तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होने से लगातार घाटे में चल रहें ट्रक मालिकों ने आखिरकार सरकार के खिलाफ आगामी 2 जुलाई को मोर्चा खोलने का मन बना ही लिया है।
इस बाबत ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी)के अध्यक्ष चरण सिंह लोहारा का कहना है कि आने वाली 2 जुलाई को हम अखिल भारतीय हड़ताल करेंगे। इस हड़ताल में देश के विभिन्न हिस्सों से 48 लाख वाणिज्यिक ट्रक चालक शामिल होंगे। लोहारा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि डीजल के दामों में बढ़ोतरी होने से हमें पहले से ही बहुत नुकसान हो रहा है।
इसके बावजूद गलत सरकारी नीतियों की वजह से हमारे हालात दिनोंदिन खराब होते जा रहें है। डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी होने के बावजूद सरकार ने हमारे ऊपर टोल टैक्स, सेल्स टैक्स, रोड टैक्स और डीजल सेस लगा रखा है। इसकी वजह से हमें अपनी लागत निकालने के भी लाले पड़ने लगे है। इस सबके बावजूद सरकार ने फरवरी 2008 में टोल टैक्स में लगभग 50 फीसदी की बढ़ोतरी भी कर दी है। यहीं नही कर्नाटक सरकार ने ट्रक में स्पीड गर्वनर और मैक्नेकिल टैक्स लगाकर शोषण भी कर रही है।
अगर हम गाड़ियों में स्पीड गर्वनर लगाते है तो मानी हुई बात है कि हम माल की आपूर्ति सही समय पर नहीं कर पायेंगे। इससे हमें काम मिलना भी बंद हो जाएगा और लोग रेलवे को वरीयता देने लगेंगे। लोहारा ने यह भी बताया कि रेलवे को तेल पर सब्सिडी मिलने के साथ सर्विस टैक्स,टोल टैक्स,डीजल सेस और रोड टैक्स न लगने के कारण रेलवे का किराया ट्रकों के किराये से कम हैं।
इसलिए हम अगर अपने किराये में बढ़ोतरी करते है तो निश्चित तौर पर हमारे धंधे का चौपट होना तय है। इस बाबत एआईएमटीसी के भूतपूर्व अध्यक्ष गुरिंदर पाल सिंह का कहना है कि देश में 48 लाख ट्रक चालकों के हड़ताल में चले जाने से इन पर आश्रित 10 करोड़ लोगों की जीविका और रोटी का सीधा सवाल खड़ा हो जाएगा।
प्रीमियम तेल भरवाने का दबाव
ट्रक चालकों का कहना है कि तेल में सब्सिडी देने से बचने के लिए तेल कंपनियों पेट्रोल पंपों में साधारण तेल की अपेक्षा पचास ज्यादा प्रीमियम तेल की आपूत ज्यादा कर रही है। इसकी वजह से ट्रक मालिकों को 2.25 रुपये तक मंहगे प्रीमियम डीजल को भरवाना पड़ रहा है। इसकी वजह से उनको काफी नुकसान हो रहा है। ट्रक मालिकों का कहना है कि पेट्रोल पंपों में आने वाले तेल में प्रीमियम तेल का अनुपात लगभग पचास फीसदी के आस पास है। इसलिए पेट्रोल पंप वाले भी हम पर प्रीमियम तेल डलवाने के लिए दबाव डाल रहें है।
हड़ताल का मकसद
ट्रक मालिकों ने मांग की है कि सरकार ट्रक चालकों से 2004 में किये गए उस समझौते को जारी रखे जिसमें उपभोक्ताओं से सर्विस टैक्स लेने की बात कहीं गई थी। इसके अलावा उनकी दूसरी मांगों में उत्पाद शुल्क और बिक्री शुल्क को पेट्रोलियम पदार्थो की कीमत के हिसाब से हटा कर प्रति किलोमीटर दर से लेना शामिल है। ट्रक मालिकों का कहना है कि सभी राज्यों में परिवहन के ऊपर एक ही दर पर कर लगाए जाए। ट्रक चालकों को प्रीमियम तेल भरवाने के लिए विवश न किया जाए और राज्य सरकारों द्वारा मैक्ेकिल टैक्स, टोल टैक्स, सर्विस दरों में कमी की जाए।