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चुनाव में रमे रमन, वादों के सहारे जीतने का जतन

Last Updated- December 10, 2022 | 7:11 PM IST

छत्तीसगढ़ की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने चार महीने पहले राज्य विधानसभा चुनावों के लिए जिन रियायतों की घोषणा की थी, उनका फायदा पार्टी को लोकसभा चुनाव के दौरान मिलने की उम्मीद है।
शायद भाजपा इस बात को अच्छी तरह समझती भी है तभी उसने लोकसभा के चुनाव के लिए इस बार अलग से नई योजनाओं और रियायतों की घोषणाएं नहीं की हैं। पार्टी बड़ी चतुराई के साथ उन वादों को पूरा करने में जुटी हुई है जो उसने विधानसभा चुनावों से पहले किए थे।
पार्टी के चुनाव प्रबंधकों को लगता है कि ऐसा कर वह दोहरा लाभ कमा सकते हैं। एक तो पार्टी अपने पुराने वादों पर खरी उतरेगी और दूसरा वह इस तरह से आगामी चुनावों के लिए मतदाताओं को रिझाने में कामयाब भी रहेगी।
चुनाव प्रक्रियाओं का अध्ययन करने वाले बताते हैं, ‘भाजपा इस तरह एक तीर से दो निशाने साध रही है।’ पार्टी ने राज्य विधानसभा चुनाव के पहले जो घोषणाएं की थीं उनसे मतदाताओं को अपनी ओर खींचने में वह कामयाब रही थी। अब पार्टी उन्हीं मसलों को जिंदा रखने की कोशिश में है और उन्हीं के दम पर लोकसभा चुनाव में विजय पताका लहराने की सोच रही है।
भाजपा ने 2009-10 के लिए बजट में 22,211 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा था जिसमें से करीब 3,000 करोड़ रुपये सरकार ने उन वादों के लिए आवंटित किए थे, जिनका जिक्र उसने चुनावी घोषणापत्र में किया था। हालांकि राज्य सरकार अपने पुराने वादों को धड़ाधड़ पूरा करने की कोशिशों में जुटी हुई है क्योंकि उसे इस बात का एहसास है कि लोकसभा चुनाव के लिए उलटी गिनती शुरू हो चुकी है।
सरकार ने अपनी अधिकांश घोषणाओं के लिए बजटीय प्रावधान तो कर ही दिए थे और उन्हें 1 अप्रैल से लागू करने की घोषणा भी वह कर चुकी है, साथ ही उसने 23 से 28 फरवरी तक किसान महोत्सव का अयोजन भी किया था। इसका मकसद किसानों की समस्याओं का तत्काल समाधान था।
इस महोत्सव के दौरान सरकार ने किसानों को धान की पैदावार के लिए बोनस की पहली किस्त बांटी थी। राज्य सरकार ने चुनावी घोषणापत्र में कहा था कि जो किसान सरकारी समितियों को अपनी फसल बेचते हैं उन्हें प्रति क्विंटल धान पर 270 रुपये बोनस दिया जाएगा। राज्य के कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू ने बताया कि इस महोत्सव के दौरान किसानों को 440 करोड़ रुपये बोनस के तौर पर बांटे गए।
दरअसल राज्य की भाजपा बोनस बांटकर 32 लाख किसानों को अपने पाले में करने की कोशिश में है। इस योजना के तहत एक किसान जो 100 क्विंटल धान बेचता है उसे बोनस के तौर पर दो किश्तों में 27,000 रुपये अतिरिक्त मिलेंगे। सरकार दूसरी किस्त अगले वित्त वर्ष में जारी करेगी।
गरीबी रेखा से नीचे जीवन गुजार रहे परिवारों को 2 रुपये प्रति किलो के हिसाब से चावल देने, अंत्योदय परिवारों को 1 रुपये प्रति किलो की दर से चावल उपलब्ध कराने, 5 हॉर्स पावर से कम क्षमता वाले पंप इस्तेमाल करने वाले किसानों को मुफ्त बिजली, बीपीएल परिवारों को मुफ्त नमक, आंगनबाड़ी कर्मचारियों को साइकिल समेत कुछ दूसरी योजनाएं हैं जिन्हें अगले वित्त वर्ष में लागू किया जाएगा।
अधिकारियों ने बताया कि इन योजनाओं को 1 अप्रैल से लागू किया जाएगा, यानी लोकसभा चुनाव के ठीक पहले। अधिकारियों ने साफ किया, ‘इन घोषणाओं को लेकर चुनाव आयोग आचारसंहिता के उल्लंघन का आरोप भी नहीं लगा सकता है क्योंकि ये घोषणाएं काफी पहले की गई हैं।’
राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार उच्च विद्यालय में पढ़ने वाली जनजातीय छात्राओं को साइकिल खरीदने के लिए नकद रकम दे रही है। योजना का लाभ 71,000 छात्राओं को मिलेगा।
भाजपा सरकार के इस चुनावी तरकश को काम करता देख विपक्षी दल कांग्रेस में खलबली मची हुई है और वह सरकार पर गलत कदम उठाने का आरोप लगा रही है। राज्य कांग्रेस के महासचिव रमेश वार्लयानी कहते हैं, ‘भाजपा सरकार मतदाताओं को रिझाने के लिए अधिकारों का गलत इस्तेमाल कर रही है।’
पुराने वादों को पूरा करने में जुटी सरकार
किसानों के लिए खास बोनस योजना
भाजपा के चुनावी तरकश से कांग्रेस घायल

First Published - March 7, 2009 | 2:59 PM IST

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