facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

उत्तराखंड में UCC आज से लागू; शादी, तलाक और पैतृक संपत्ति के बंटवारे को लेकर नियमों पर क्या होगा असर

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस ऐतिहासिक कदम का नेतृत्व किया। उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान यूसीसी पोर्टल का अनावरण किया, जो इस कानून के लागू होने में अहम भूमिका निभाएगा।

Last Updated- January 27, 2025 | 2:21 PM IST
uniform civil code
Representative image

उत्तराखंड ने आज से यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू कर दिया है, जिससे यह ऐसा कानून लागू करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है। सभी धर्मों के व्यक्तिगत कानूनों को एक समान बनाने के उद्देश्य से लाए गए इस कानून को लेकर शुरुआत से ही समर्थन और विरोध दोनों देखने को मिले हैं।

उत्तराखंड के UCC एक्ट में शादी और तलाक, संपत्ति का उत्तराधिकार, लिव-इन रिलेशनशिप और इससे जुड़े अन्य मामलों को रेगुलेट किया गया है। यह कानून पुरुषों और महिलाओं की शादी की उम्र को बराबर करता है, सभी धर्मों के लिए तलाक के आधार और प्रक्रियाओं को समान बनाता है, साथ ही बहुविवाह (polygamy) और हलाला पर रोक लगाता है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस ऐतिहासिक कदम का नेतृत्व किया। उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान यूसीसी पोर्टल का अनावरण किया, जो इस कानून के लागू होने में अहम भूमिका निभाएगा। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद यह कानून अपनाने वाला यह देश का पहला राज्य बन गया है।

यूसीसी का मकसद है धर्म, लिंग, जाति और समुदाय के आधार पर भेदभाव को खत्म करना और समाज को समानता के आधार पर जोड़ना। यह कदम उत्तराखंड को सामाजिक न्याय की नई दिशा में ले जाने वाला माना जा रहा है।

यह कानून शादी, तलाक, विरासत और लिव-इन रिलेशनशिप जैसे कई सामाजिक मुद्दों को संबोधित करता है। UCC के तहत शादियों, तलाक और लिव-इन रिलेशनशिप की रजिस्ट्रेशन को जरूरी बनाया गया है।”

उत्तराखंड में लागू हुआ यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC)

2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनावों के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वादा किया था कि अगर वे दोबारा सत्ता में आते हैं तो यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करेंगे। चुनाव में जीत के बाद उन्होंने इस वादे को पूरा करने के लिए एक पांच सदस्यीय कमेटी बनाई, जिसकी अध्यक्षता जस्टिस रंजन प्रकाश देसाई ने की। इस कमेटी ने 2.3 लाख से ज्यादा नागरिकों से सुझाव लेकर कोड का ड्राफ्ट तैयार किया।

740 पन्नों के इस ड्राफ्ट को 2 फरवरी 2024 को मुख्यमंत्री के सामने पेश किया गया। 4 फरवरी को इसे कैबिनेट ने मंजूरी दी। 6 फरवरी को इसे विधानसभा में पेश किया गया और अगले ही दिन पास कर दिया गया। इसके बाद 28 फरवरी को राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह ने इसे अपनी स्वीकृति दी और अंततः 11 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस बिल पर साइन कर इसे कानून बना दिया।

उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है जहां UCC लागू किया गया है। इसे लेकर सरकार ने इसे सभी के लिए समान अधिकार और कानून का प्रतीक बताया।

उत्तराखंड में आज, 27 जनवरी को यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू हो गया। यह खास दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देहरादून दौरे के साथ जुड़ा है। अधिकारियों ने पुष्टि की है कि UCC से जुड़ा पोर्टल आज दोपहर 12:30 बजे राज्य सचिवालय से लॉन्च किया जाएगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे देश को संगठित, समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाने के प्रधानमंत्री के ‘महायज्ञ’ में उत्तराखंड की ओर से दी गई एक महत्वपूर्ण आहुति बताया। उन्होंने रविवार को कहा, “UCC हमारे राज्य की एक पेशकश है, जिसे प्रधानमंत्री के इस महायज्ञ में समर्पित किया गया है।”
उत्तराखंड में UCC किन पर लागू होगा?

उत्तराखंड में UCC (यूनिफॉर्म सिविल कोड) पूरे राज्य में लागू है। यह नियम राज्य के उन निवासियों पर भी प्रभावी रहेगा जो उत्तराखंड के बाहर रह रहे हैं। हालांकि, अनुसूचित जनजातियां और संरक्षित प्राधिकरण द्वारा विशेष अधिकार प्राप्त व्यक्ति और समुदाय UCC के दायरे से बाहर रखे गए हैं।

ऑनलाइन पोर्टल कैसे इस्तेमाल करें?

ऑनलाइन पोर्टल आज दोपहर 12:30 बजे लॉन्च हो गया और अगले हफ्ते से उत्तराखंड के नागरिकों के लिए उपलब्ध होगा। इस पोर्टल के जरिए लोग शादी, तलाक, उत्तराधिकार अधिकार, लिव-इन रिलेशनशिप और उनके समाप्ति से जुड़े मामलों का रजिस्ट्रेशन कर पाएंगे।
इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी। साथ ही, आवेदन की स्थिति को ईमेल या SMS के जरिए आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा। यह पोर्टल नागरिकों के लिए सरल और सुविधाजनक अनुभव प्रदान करेगा।

यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC): शादी और तलाक पर असर

शादी पर असर:

  • UCC के तहत पुरुषों की कानूनी शादी की उम्र 21 साल और महिलाओं की 18 साल तय की गई है।
  • सभी धार्मिक समुदायों में पॉलिगैमी और ‘हलाला’ पर पूरी तरह रोक लगाई गई है।
  • शादी धार्मिक रीति-रिवाजों से हो सकती है, लेकिन इसे 60 दिनों के अंदर रजिस्टर कराना जरूरी होगा।
  • लिव-इन रिलेशनशिप के लिए भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा।
  • 26 मार्च 2010 से पहले या उत्तराखंड के बाहर हुई शादियां कानून लागू होने के 180 दिनों के भीतर रजिस्टर कराई जा सकती हैं (यह वैकल्पिक है)।
  • सशस्त्र बलों और नाविकों को ‘प्रिविलेज्ड विल’ बनाने की सुविधा दी जाएगी, जो लचीले नियमों के तहत होगी।
  • UCC के तहत वसीयत और कोडिसिल को बनाना, रद्द करना और संशोधित करना आसान बनाया गया है।

तलाक पर असर:
UCC के तहत तलाक के लिए पुरुष और महिला दोनों को समान अधिकार दिए गए हैं। तलाक के मामले में पूरी तरह जेंडर न्यूट्रलिटी लागू की गई है, जिससे दोनों पक्ष समान आधार पर तलाक की मांग कर सकते हैं।

100 साल से भी पुराना है UCC का इतिहास

UCC का इतिहास 100 साल से भी ज्यादा पुराना है और इसकी जड़ें 19वीं सदी तक जाती हैं। उस समय शासकों ने भारतीय कानूनों, खासकर अपराध, सबूत और अनुबंध से जुड़े कानूनों को एक समान बनाने की जरूरत महसूस की थी।

हालांकि, उस वक्त यह साफ तौर पर सिफारिश की गई थी कि हिंदू और मुस्लिम पर्सनल लॉ को इस तरह के कानूनों के दायरे से बाहर रखा जाए।

ब्रिटिश शासकों के लिए भारत की विविधतापूर्ण और जटिल परंपराओं को समझना आसान नहीं था, क्योंकि वे खुद एकेश्वरवादी ईसाई थे। साथ ही, उनका मकसद भारत पर शासन कर पैसा लूटना था, इसलिए वे इस तरह के संवेदनशील मामलों में उलझना नहीं चाहते थे।

 

First Published - January 27, 2025 | 2:21 PM IST

संबंधित पोस्ट