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सियासी भूचाल में फंसी उद्धव सरकार

Last Updated- December 11, 2022 | 6:06 PM IST

शिवसेना की ताकत माने जाने वाले विधायक और महाराष्ट्र के मंत्री एकनाथ शिंदे की पार्टी से खुली बगावत उद्धव सरकार पर भारी पड़ती नजर आ रही है। राज्य के सियासी संकट पर देशभर की निगाहें लगी हुई है। महाराष्ट्र सरकार के घटक दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ मिलकर सरकार बचाने की पूरी कोशिश में लगे हुए हैं जबकि सबसे अधिक विधायकों वाली भाजपा वेट ऐंड वॉच की भूमिका में है ।
शिंदे को मनाने और सरकार बचाने की जहद्दोजहद में शिवसेना और उसके सहयोगी दलों ने सुबह से ही मुंबई से सूरत और दिल्ली की दौड़ शुरू कर दी। हर किसी का एक ही सवाल है कि यह सरकार बचेगी या फिर बागी विधायकों की मदद से इस बार भाजपा महाराष्ट्र में सरकार बनाने में कामयाब होगी। शिंदे और शिवसेना के कुछ अन्य विधायकों के अचानक गायब हो जाने के बाद को पार्टी नेताओं तथा विधायकों की आपात बैठक बुलानी पड़ी। शिवसेना ने शिंदे पर कार्रवाई करते हुए उन्हें विधायक दल के नेता पद से बर्खास्त कर दिया। उनकी जगह अजय चौधरी को विधायक दल का नेता बनाया गया।  महा विकास आघाडी (एमवीए) के घटक दल के नेताओं ने दावा किया कि राज्य सरकार की स्थिरता पर कोई खतरा नहीं मंडरा रहा है। राकांपा के प्रमुख शरद पवार ने कहा, ‘ महाराष्ट्र में तीसरी बार सरकार गिराने का प्रयास किया जा रहा है। यह शिवसेना का आंतरिक मामला है और उद्धव ठाकरे स्थिति को संभाल लेंगे। मुझे भरोसा है कि इसमें कुछ ना कुछ रास्ता निकलेगा। महाराष्ट्र सरकार की तीनों सहयोगी पार्टीयों में सही तालमेल है।’ राकांपा नेता और मंत्री जयंत पाटिल ने कहा,’ राकांपा के सभी विधायक संपर्क में हैं। मुझे नहीं लगता कि सरकार अल्पमत में आ जाएगी।’ राज्य सरकार में मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि उनकी पार्टी के विधायक स्थिर हैं। महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता नाना पटोले ने एमवीए सरकार को किसी तरह के खतरें की आशंकाओं को खारिज किया। कांग्रेस के मंत्री बालासाहेब थोरात ने कहा कि उनकी पार्टी शिवसेना के घटनाक्रम पर करीबी नजर रख रही है, कांग्रेस के सभी विधायकों से फिलहाल मुंबई में ही रहने के लिए कहा गया है।
शिवसेवा सांसद संजय राउत ने कहा कि शिंदे से संपर्क हो गया है। इस सारे घटनाक्रम के पीछे भाजपा है। ईडी की कार्रवाई के डर से एकनाथ शिंदे ने बगावत कर दी है। कई विधायकों ने हमसे संपर्क किया है कि उन्हें जबरन वहां ले जाया गया है। हमारे एक विधायक रात में ही सूरत से मुंबई आने की कोशिश कर रहे थे। उनके साथ चार और विधायक भी थे लेकिन गुजरात पुलिस ने हमारे विधायकों को पकड़ लिया है। अगर महाराष्ट्र पुलिस को गुजरात जाने का मौका मिला तो वह सभी को वापस लाएगी । जिस पर महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि शिंदे वाले घटनाक्रम से भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है। शिंदे से सरकार बनाने का कोई प्रस्ताव मिलता है तो हम यकीनन उस पर गंभीरता से विचार करेंगे।
शिंदे ने टि्वीट करके कहा कि हम बालासाहेब के सच्चे शिवसैनिक हैं, बालासाहेब ने हमें हिदुत्व सिखाया है। हम सत्ता के लिए कभी भी धोखा नहीं देंगे। बालासाहेब के विचारों और धर्मवीर आनंद साहेब ने हमें धोखा देना नहीं सिखाया है। दावा किया जा रहा है कि शिंदे के साथ 26 से अधिक विधायक है। केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के राज्यसभा सदस्य नारायण राणे ने शिंदे का समर्थन किया। उन्होंने ट्वीट किया कि बहुत बढ़िया एकनाथ जी। आपने उचित समय पर उचित निर्णय लिया है। नहीं तो जल्द ही आपका भी आनंद दीघे जैसा हश्र हो सकता था। ठाणे के लोकप्रिय शिवसेना नेता दीघे का 2001 में निधन हो गया था।
महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए कुल 145 विधायकों की जरूरत है जबकि भाजपा के पास अपने सिर्फ 106 विधायक हैं। ऐसे में उसे सरकार बनाने के लिए कम से सम 39 विधायकों के समर्थन की जरूरत है। महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में शिवसेना के 55, राकांपा के 53, कांग्रेस के 44, बहुजन विकास आघाडी के तीन और समाजवादी पार्टी, एआईएमआईएम व प्रहार जनशक्ति पार्टी के दो-दो विधायक हैं । मनसे, माकपा, पीडब्लूपी, स्वाभिमानी पक्ष, राष्ट्रीय समाज पार्टी, जनसुराज्य शक्ति पार्टी और क्रांतिकारी शेतकरी पक्ष के पास राज्य विधानसभा में एक-एक विधायक हैं। विधानसभा में निर्दलीय विधायकों की संख्या 13 है।
सोमवार देर रात विधान परिषद चुनाव में एमवीए को झटका लगने के कुछ घंटों बाद यह घटनाक्रम शुरु हुआ। चुनाव में भाजपा ने उन पांचों सीटों पर विजय हासिल की, जबकि उसके पास महज चार उम्मीदवारों को जीत दिलाने के लिए जरूरी वोट थे। शिवसेना और राकांपा के खाते में दो-दो सीटें गईं। वहीं, कांग्रेस के दो उम्मीदवारों में से एक को हार का सामना करना पड़ा। मुख्यमंत्री पद साझा करने के मुद्दे को लेकर 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना ने अपने दीर्घकालिक सहयोगी भाजपा के साथ गठबंधन तोड़कर राकांपा और कांग्रेस के साथ मिलकर राज्य में सरकार का गठन किया था।

First Published - June 22, 2022 | 12:30 AM IST

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