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उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी घटी, पंजाब और गोवा में इजाफा

Last Updated- December 11, 2022 | 9:09 PM IST

बेरोजगारी एक ऐसा क्षेत्र है, जहां सभी राजनीतिक दल इस चुनावी मौसम में सत्ताधारी दल पर निशाना साधते हैं। हालांकि कोविड ने निश्चित रूप से रोजगार को बाधित किया है, लेकिन बिज़नेस स्टैंडर्ड के एक विश्लेषण से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी में पांच सालों में गिरावट आई है। इसके विपरीत उत्तराखंड, गोवा और पंजाब में इजाफा देखा गया है।
सीएमआईई के तिमाही आंकड़े बताते हैं कि सितंबर-दिसंबर तिमाही के दौरान उत्तर प्रदेश की बेरोजगारी दर 4.83 प्रतिशत थी। पांच साल पहले सितंबर और दिसंबर 2016 के बीच राज्य में आठ प्रतिशत बेरोजगारी दर देखी गई थी। इस अवधि के दौरान पंजाब में बेरोजगारी दर 6.13 प्रतिशत से बढ़कर 7.85 प्रतिशत हो गई। गोवा में 12.85 प्रतिशत से बढ़कर 13.09 प्रतिशत इजाफा देखा गया। उत्तराखंड की बेरोजगारी दर 2.3 प्रतिशत से बढ़कर 4.08 प्रतिशत हो गई। देश के मामले में सीएमआईई के आंकड़े बेरोजगारी में इजाफा बताते हैं, जो 6.68 प्रतिशत से बढ़कर 7.1 प्रतिशत हो गई है।
24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के संपूर्ण विश्लेषण से मिश्रित परिणामों का पता चलता है, जहां एक ओर इस अवधि के दौरान 13 राज्यों में बेरोजगारी दर में गिरावट देखी गई, वहीं दूसरी ओर 11 राज्यों में इजाफा देखा गया है। राजस्थान सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला राज्य रहा है, इसके बाद हरियाणा और झारखंड का स्थान है। राजस्थान में सितंबर-दिसंबर 2016 और वर्ष 2021 की इसी अवधि के बीच बेरोजगारी दर पांच प्रतिशत के स्तर से 19 प्रतिशत बढ़कर 24 प्रतिशत हो गई। देश में सबसे अधिक बेरोजगारी दर वाले हरियाणा में इस अवधि के दौरान 17 प्रतिशत अंक की उछाल दर्ज की गई है। लेकिन एक अन्य विचारणीय कारक है श्रम बल की कम होती भागीदारी दर। सीएमआईई के आंकड़े बताते हैं कि श्रम बल की भागीदारी दर में गिरावट आई है, केवल चार राज्यों – राजस्थान, असम, झारखंड और मेघालय को छोड़कर, जहां पिछले पांच वर्षों में श्रम बल की भागीदारी दर में इजाफा देखा गया है।
कुल मिलाकर इन चार राज्यों में उत्तराखंड सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला रहा, जिसने काम की तलाश करने वाले बेरोजगार लोगों की संख्या में 55 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। जहां एक तरफ उत्तर प्रदेश में वर्ष 2021-22 की तीसरी तिमाही के मुकाबले 2016-17 की तीसरी तिमाही के दौरान संपूर्ण श्रम बल में छह प्रतिशत तक की गिरावट थी, वहीं दूसरी तरफ काम की तलाश करने वाले बेरोजगार लोगों की संख्या में 43 प्रतिशत की कमी रही। गोवा में काम की तलाश कराने वाले बेरोजगारों की कुल संख्या में 25 प्रतिशत की गिरावट आई, लेकिन श्रम बल में तेजी से गिरावट (30 प्रतिशत) देखी गई। 24 में से दस राज्यों (पंजाब और उत्तराखंड भी शामिल) में इस अवधि के दौरान काम की तलाश करने वाले बेरोजगार लोगों की संख्या में इजाफा देखा गया। आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) से मिले आंकड़े वर्ष 2017-18 और वर्ष 2019-20 के बीच समान परिणाम दिखाते हैं। जुलाई और जून के बीच रोजगार मापने वाली पीएलएफएस की वार्षिक रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2017-18 और वर्ष 2019-20 के बीच, उत्तर प्रदेश, गोवा और मणिपुर उन राज्यों में शामिल थे, जहां बेरोजगारी में कमी आई। इसके विपरीत पंजाब और उत्तराखंड में बेरोजगारी दर में क्रमश: 1.6 प्रतिशत और 2.3 प्रतिशत तक का इजाफा देखा गया। पीएलएफएस के आंकड़ों के अनुसार देश के लिहाज से इस अवधि के दौरान बेरोजगारी में 0.1 प्रतिशत का इजाफा रहा।
ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी के संबंध में पीएलएफएस की तिमाही रिपोर्ट के विश्लेषण से समान रुख देखने को मिलता है। हालांकि इससे यह भी संकेत मिलता है कि उत्तर प्रदेश के मुकाबले पंजाब में जुलाई 2020 और मार्च 2021 के बीच तीन तिमाहियों के दौरान शहरी बेरोजगारी दर कम रही है। आंकड़े यह भी दर्शाते हैं कि वर्ष 2019-20 की तुलना में सभी चुनावी राज्यों में बेरोजगारी में इजाफा हुआ है।

First Published - February 20, 2022 | 10:53 PM IST

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