मंदी में मांग कम होने के कारण कॉर्पोरेट जगत को भले ही अपने उत्पादों पर छूट देनी पड़ रही हो। लेकिन कोचिंग संस्थानों के मामले में तो गंगा दूसरी ही तरफ बह रही है।
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए छात्रों को कोचिंग देने वाले संस्थानों ने मंदी के बावजूद अपनी फीस बढ़ा दी है। एक अनुमान के अनुसार पिछले साल के मुकाबले इस साल इंजीनियरिंग, मेडिकल और प्रबंधन पाठयक्रमों के लिए होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने वाले छात्रों की संख्या में 25 फीसदी का इजाफा होगा।
त्रिवेणी एजुकेशनल सर्विसेज (टीईएस) के संजय अग्रवाल ने बताया, ‘मंदी ने हमारे कारोबार पर कोई असर नहीं डाला है। क्योंकि हम अपने कारोबार के लिए विदेशी निवेश पर निर्भर नहीं हैं। इसके अलावा शिक्षा अब बुनियादी जरूरत बन चुकी है।’
छात्रों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सभी कोचिंग संस्थानों ने पिछले साल के मुकाबले इस साल 15-20 फीसदी फीस बढ़ाने का फैसला किया है। अग्रवाल ने बताया कि छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद सरकारी अधिकारियों का वेतन भी बढ़ा है, इसीलिए फीस में मामूली बढ़ोतरी की गई है।
हर साल लगभग 1 लाख छात्र इंजीनियरिंग, मेडिकल और प्रशासनिक सेवा प्रतियोगिताओं की तैयारी करने के लिए कानपुर आते हैं। आईआईटी की तैयारी कर रहे दीपक गुप्ता ने बताया कि पिछले साल फीस 15,500 रुपये थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 18,000 रुपये कर दिया गया है। इसी तरह मेडिकल परीक्षाओं की कोचिंग फीस भी 5,000 रुपये से बढ़ाकर 6,000 रुपये कर दी गई है।
जिला विद्यालय निरीक्षक अखिलेश कुमार ने बताया कि कानूनी रूप से फीस बढ़ोतरी नहीं रोकी जा सकती है क्योंकि सभी संस्थान कम से कम फीस लेने के लिए स्वतंत्र हैं। उन्होंने बताया, ‘फीस में बढ़ोतरी रोक ने के लिए कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। लेकिन इसमें किसी तरह की अनियमितताओं को रोकने के लिए उपभोक्ताओं की शिकायतों पर ध्यान दिया जा रहा है। इसकी एक रिपोर्ट बनाकर उच्च अधिकारियों को भेज दी जाएगी।’
उत्तर प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार यू एस तोमर ने बताया, ‘शिक्षा क्षेत्र में मांग ने आपूर्ति को पीछे छोड़ दिया है। इसी का फायदा उठाकर कोचिंग संस्थान छात्रों से अधिक फीस वसूल रहे हैं।’
उन्होंने बताया कि कोचिंग की बढ़ती मांग को देखते हुए कोचिंग संस्थान अब मध्यम और छोटे शहरों का रुख कर रहे हैं। इससे उद्योग के लिए और बेहतर कारोबार की संभावनाएं सामने आई हैं। तोमर ने बताया, ‘प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित कराने वाले संस्थानों द्वारा उठाए गए कदमों के बाद भी कुकुरमुत्ते की तरह उग आए कोचिंग संस्थानों पर नकेल नहीं कसी जा सकी है। बढ़ती मांग को भुनाने के लिए कोचिंग संस्थानों ने फीस बढ़ाने का फैसला किया है।’