कहते हैं कि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है लेकिन बात अगर आर्थिक शिखर पर पहुंचने की जाए तो इस राज्य का योगदान सिफर ही नजर आता है।
राज्य सरकार के सामने 2009 के दौरान सबसे बड़ी चुनौती राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति को सामान्य बनाने, निवेशकों के भरोसे को बहाल करने और व्यापारियों की शिकायतें दूर करने की होगी। केन्द्र तथा माया सरकार के बीच जारी तकरार भी चुनावी साल में विकास के पहिये की हवा निकालने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
उत्तर प्रदेश के लिए 2008 की सबसे महत्वपूर्ण घटना जेपी एसोसिएट्स के साथ गंगाएक्सप्रेसवे परियोजना के लिए कंसेशन एग्रीमेंट पर दस्तखत है। लेकिन ग्रेटर नोएडा से बलिया को जोड़ने वाली इस परियोजना के लिए अभी तक एलाइनमेंट का काम पूरा नहीं हो सका है।
राज्य सरकार के सामने 2009 में सबसे बड़ी चुनौती तब पेश आएगी जब इस परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण को मूर्त रूप दिया जाएगा। जमीन अधिग्रहण को लेकर बुलंदशहर, उन्नाव, शाहजहांपुर और बलिया में विरोध प्रदर्शन पहले ही शुरू हो चुके हैं।
राज्य सरकार 2008 के दौरान तीन बार वित्तीय बोली मंगाने के बावजूद इलाहाबाद की बारा और करछना बिजली परियोजनाओं के बारे में कोई फैसला नहीं कर सकी है और 2009 में भी ये परियोजनाएं सरकार के गले की फांस बनी रहेंगी। लेकिन यह अकेली ऐसी घटना नहीं है जो सरकार के प्रति निवेशकों में अविश्वास पैदा करती हो।
नोएडा में इतालवी कंपनी ग्रेजियानो ट्रांसमिशियोनी के सीईओ ललित किशोर चौधरी की हत्या के बाद औद्योगिक सुरक्षा की स्थिति को लेकर राज्य सरकार की खूब भद्द पिटी। राज्य में राजनीतिक दुश्मनी की बलिबेदी पर विकास को बलिदान करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ा गया।
वर्ष 2008 में रायबरेली के लालगंज में प्रस्तावित रेल कोच फैक्ट्री के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के भूमि पूजन कार्यक्रम के ठीक एक दिन पहले मायावती सरकार ने तकनीकी खामियों की आड़ में रेल कारखाने के लिए किए गए भूमि के आवंटन को ही रद्द कर दिया। हालांकि बाद में मायावती सरकार ने जमीन लीज के आधार पर फिर वापस कर दी।
दूसरो ओर केंद्र सरकार ने ग्रेटर नोएडा हवाई अड्डे को तकनीकी मंजूरी देने के बावजूद मामले को मंत्रियों के समूह के हवाले कर दिया। सूत्रों ने बताया है कि समाजवादी पार्टी के साथ नजदीकी बढ़ने के बाद केंद्र सरकार 2009 में हवाई अड्डा परियोजना को इटावा स्थानांतरित कर सकती है।
राज्य सरकार ने निवेशकों को रिझाने के लिए 14 जुलाई को नई दिल्ली में निवेशक बैठक करने की योजना बनाई। लेकिन तड़गे प्रचार अभियान के बावजूद एक दिन पहले ही बैठक को रद्द करने की घोषणा कर दी गई। इसके बाद सरकार ने 21 नवंबर को ऐसी ही एक बैठक की हालांकि बैठक में कोई ठोस निवेश प्रस्ताव नहीं आ सका।
औरैया में पीडब्ल्यूडी के इंजींनियर मनोज गुप्ता की कथित तौर पर बसपा विधायक द्वारा हत्या किए जाने के बाद अब सरकारी परियोजनाओं में और देरी होने की आशंका है। स्पष्ट नीतियों के अभाव में राज्य के व्यापारी वैट से नाराज हैं। पड़ोसी राज्यों के मुकाबले उत्तर प्रदेश में वैट की दर काफी अधिक है।