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उप्र: योगी ने जारी की जनसंख्या नीति

Last Updated- December 12, 2022 | 2:51 AM IST

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति 2021-2030 जारी की और कहा कि बढ़ती जनसंख्या समाज में फैली असमानता और अन्य समस्याओं की जड़ है तथा समाज की उन्नति के लिए जनसंख्या नियंत्रण प्राथमिक शर्त है। मुख्यमंत्री ने अपने सरकारी आवास पर विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति 2021-2030 जारी करने के बाद आयोजित समारोह में बढ़ती जनसंख्या की समस्या के प्रति स्वयं तथा समाज को जागरूक करने का प्रण लेने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में इस विषय को लेकर समय-समय पर चिंता जताई गई है कि बढ़ती जनसंख्या विकास में कहीं न कहीं बाधक हो सकती है और इस पर अनेक मंचों से पिछले चार दशकों से निरंतर चर्चा चल रही है।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि इसके अलावा वृद्धों की देखभाल और कल्याण में सुधार भी प्राथमिकता में है। इस नीति के जरिये वर्ष 2026 तक महिलाओं में जागरूकता और 2030 तक सकल प्रजनन दर को 1.9 प्रतिशत तक लाना है। राज्य में अभी सकल प्रजनन दर 2.1 प्रतिशत है।
उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग राज्य की जनसंख्या के नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण विषय पर काम कर रहा है तथा इसने एक विधेयक का प्रारूप तैयार किया है। विधि आयोग ने इस विधेयक का प्रारूप अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया है और 19 जुलाई तक जनता से इस पर राय मांगी गई है। इस विधेयक के प्रारूप के अनुसार इसमें दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन से लेकर स्थानीय निकायों में चुनाव लडऩे पर रोक लगाने का प्रस्ताव है और सरकारी योजनाओं का लाभ न दिए जाने का भी जिक्र है। संभल से समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद डॉक्टर शफीकुर्हमान वर्क ने सरकार की तरफ इशारा करते हुए रविवार को उत्तर प्रदेश के प्रस्तावित जनसंख्या कानून पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा कि कानून बनाना आपके हाथ में है लेकिन जब बच्चा पैदा होगा उसे कौन रोक सकता है।
मुख्यमंत्री ने अपने आवास पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि जिन देशों ने, जिन राज्यों ने इस दिशा में अपेक्षित प्रयास किए, उनके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं और इसमें और भी प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। योगी ने कहा कि हर तबके को इस जागरूकता अभियान के साथ जोडऩा पड़ेगा।
उन्होंने कहा, ‘दो बच्चों के बीच में उचित अंतराल नहीं होगा तो उनके पोषण पर असर पड़ेगा। शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर को नियंत्रित करने में कठिनाई होगी।’ चिकित्सा स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री जयप्रताप सिंह और चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना ने भी समारोह को संबोधित किया। अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) अमित मोहन प्रसाद ने कहा कि यह जनसंख्या नीति अत्यंत समावेशी है और प्राकृतिक संसाधनों के साथ जनसंख्या का संतुलन जरूरी है। उन्होंने कहा कि 40 साल में जनसंख्या दोगुनी से भी ज्यादा बढ़ी है इसलिए जरूरी है कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रयास किए जाएं जिससे कि सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय के दृष्टिकोण को साकार किया जा सके। जनसंख्या नीति के बारे में राज्य सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति का मूल लक्ष्य यही है कि सभी लोगों के लिए जीवन के प्रत्येक चरण में जीवन गुणवत्ता में सुधार हो और साथ ही साथ सतत विकास के लिए व्यापक एवं समावेशी दृष्टिकोण से चीजें आगे बढ़ें। उन्होंने बताया कि लक्ष्य की प्राप्ति के लिए विशिष्ट उद्देश्य प्रस्तावित किए गए हैं जिसके तहत जनसंख्या स्थिरीकरण का लक्ष्य प्राप्त किया जाना, मातृ मृत्यु और बीमारियों की समाप्ति, नवजात और पांच वर्ष से कम आयु वाले बच्चों की मृत्यु रोकना और उनकी पोषण स्थिति में सुधार करने के अलावा इस नीति में किशोर-किशोरियों के लिए यौन और प्रजनन  स्वास्थ्य एवं पोषण से संबंधित सूचनाओं और सेवाओं में सुधार पर जोर दिया गया है।    

First Published - July 11, 2021 | 11:30 PM IST

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