वर्षा कम होने से उत्तराखंड के 13 जिलों में से 11 जिले सूखे की चपेट में हैं।इसकी खबर मिलते ही राज्य सरकार सकते में पड़ गई है।
वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि पिछले छह माह से राज्य के अधिकांश जिले सूखे की चपेट में हैं। इसकी वजह से रबी फसल को खासा नुकसान पहुंचा है। बारिश के मौसम में कम वर्षा होने से टिहरी, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ जिले की हालत और ज्यादा खराब है।
उधर, प्रदेश के मुखिया बी. सी. खंडूड़ी केंद्र से सहायता मांगने दिल्ली पहुंच गए हैं। उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार से मुलाकात कर सूखे की मार झेल रहे किसानों की मदद की गुहार लगाई है।
अधिकारियों का कहना है कि कम बारिश की वजह से राज्य में केवल फसल को ही नुकसान नहीं पहुंचा है, बल्कि प्राकृतिक जल स्रोतों पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। खंडूड़ी ने बताया कि राज्य के 11 जिले सूखे की मार झेल रहे हैं और करीब 5 जिलों के 3216 गांवों के किसानों की 50 फीसदी फसल सूखे की भेंट चढ़ गई है। खंडूड़ी ने केंद्र से प्रभावित किसानों के लिए 8000 मीट्रिक टन गेहूं और 65129 मीट्रिक टन चावल की मांग की है।
एमईटी के डायरेक्टर आनंद शर्मा ने कहा कि दिसंबर से मार्च के बीच उत्तराखंड में औसत से भी कम मात्रा में बारिश हुई है। ऐसे में पहाड़ी इलाकों में फसल को नुकसान पहुंचना स्वाभाविक है, क्योंकि वहां सिंचाई का कोई दूसरा साधन उपलब्ध नहीं है। खंडूड़ी ने गढ़वाल और कुमांऊ के कमिश्नर और जिलाधिकारियों को पूरी स्थिति पर नजर रखने को कहा है। किसानों के लिए राहत योजनाएं तैयार करने का निर्देश भी है।
देवभूमि से नाराज इंद्र
दिसंबर-मार्च में औसत से कम वर्षा से रबी की फसल को भारी नुकसान
जल-स्तर घटने की आशंका से भी नहीं इनकार
बी. सी. खंडूड़ी ने मदद के लिए केंद्र से लगाई गुहार