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उत्तराखंड: पानी भरपूर पर आत्मनिर्भरता अब भी दूर

Last Updated- December 08, 2022 | 3:07 AM IST

उत्तराखंड में 2 प्रमुख जलविद्युत परियोजनाओं का निर्माण कार्य रोकने के बावजूद राज्य सरकार को भरोसा है कि आने वाले समय में बिजली उत्पादन बढ़ेगा।


सरकार ने जून में भागीरथी नदी पर बन रही 480 मेगावाट की मनेरी और 381  मेगावाट की भैरोंघाटी जलविद्युत परियोजनाओं का निर्माण रोक दिया था। इस कदम से राज्य में विद्युत उत्पादन की कमान संभालने वाली सरकारी कंपनी उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) को जोरदार झटका लगा था।

हालांकि इसके बाद भी अधिकारियों को विश्वास है कि मौजूदा पंचवर्षीय योजना में छोटी जलविद्युत परियोजनाओं के जरिए कम से कम 100 मेगावाट अतिरिक्त बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा। सरकार को उम्मीद है कि अगले साल लैंको और जीवीके जैसी निजी कंपनियां भी कम से कम 100 मेगावाट अतिरिक्त बिजली का उत्पादन करेंगी।

बिजली उत्पादन से जुड़ी सरकारी इकाई उत्तराखंड ऊर्जा निगम लिमिटेड (यूपीसीएल) ने बताया कि इस साल राज्य में बिजली की खपत बढ़कर 673.2 करोड़ यूनिट हो गई है जो 2003-04 में 303.9 करोड़ यूनिट थी। काफी समय से अटकी पड़ी 304 मेगावाट की मनेरी भाली चरण 2 जलविद्युत परियोजना की शुरुआत इस साल जल्द हो जाने से सरकार ने राहत की सांस ली होगी।

बिजली संकट से जूझ रही सरकार को मनेरी भाली ने राहत पहुंचाई है। विशेष बात यह है कि 9 नवंबर, 2000 को उत्तराखंड के अलग राज्य बन जाने के बाद से राज्य में शुरू हुई यह पहली परियोजना है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य की कुल जल विद्युत उत्पादन क्षमता 25,450 मेगावाट है जिसमें से कुल स्थापित क्षमता 2,810 मेगावाट की है।

एनएचपीसी, एनटीपीसी, टीएचडीसी जैसी केंद्रीय इकाइयों और दूसरी निजी कंपनियों को करीब 13,667 मेगावाट की परियोजनाएं आवंटित की गई हैं। राज्य सरकार जल्द ही 8,932 मेगावाट की कुल क्षमता वाली परियोजनाएं आवंटित करने के लिए नीतियां बनाएगी।

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ये सारी परियोजनाएं अगले पांच से दस सालों में लगा दी जाती हैं तो उत्तराखंड देश का ऊर्जा संपन्न राज्य बन जाएगा। ऊर्जा सचिव शत्रुघ्न सिंह ने बताया, ‘इन सभी परियोजनाओं को लगाने में 5 से 10 वर्षों का समय लगेगा।’

सरकार ने पिछले महीने पिथौरागढ़ जिले में काली नदी पर 6000 मेगावाट की पंचेश्वर परियोजना को भी मंजूरी दी थी। इस परियोजना को भारत और नेपाल दोनों मिल कर पूरा करेंगे। यह भारत में सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना होगी। इधर मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी ने केंद्र सरकार से अतिरिक्त बिजली की मांग की है।

उन्होंने केंद्र सरकार से 12 लाख यूनिट अतिरिक्त बिजली की मांग की है। इसके अलावा राज्य सरकार नई ऊर्जा नीति पर भी काफी भरोसा कर रही है। सरकार ने सूक्ष्म और छोटी जलविद्युत परियोजनाओं के लिए स्थानीय उद्यमियों और ग्राम पंचायतों को वरीयता देने का फैसला किया है।

ऊर्जा उत्पादन कार्यक्रम में स्थानीय कंपनियों और ग्राम पंचायतों के अलावा राज्य में पंजीकृत सोसाइटी को भी वरीयता दी जा रही है। ऊर्जा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि, ‘स्थानीय उद्यमियों को सब्सिडी दी जाए और बैंकों से आसानी से ऋण मिल सके, इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है। ‘

First Published - November 13, 2008 | 11:31 PM IST

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