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जमीन लौटाने को तैयार हैं वेंडर

Last Updated- December 10, 2022 | 12:15 AM IST

टाटा मोटर्स की महत्त्वाकांक्षी कार नैनो के निर्माण के लिए कलपुर्जों की आपूर्ति करने वाले वेंडरों ने कंपनी परिसर में दी गई भूमि लौटाने का फैसला कर लिया है।
इसके लिए कंपनियों ने पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम के अधिकारियों से बातचीत भी शुरू कर दी है। निगम ने नैनो की लागत कम रखने के लिए टाटा मोटर्स और उसे कलपुर्जों की आपूर्ति करने वाली कंपनियों को सिंगुर में जमीन उपलब्ध कराई थी।
परिसर में मौजूद इकाई के एक वेंडर ने बताया, ‘हम सिंगुर में अपनी जमीन बेचना चाहते हैं। वैसे भी वहां कोई और कंपनी तो आने से रही। इसीलिए हमने इस बारे में निगम से बातचीत शुरू कर दी है।’ कंपनी ने नैनो परिसर में भूमि खरीदने के लिए 80 लाख रुपये खर्च किए थे।
कंपनी ने निगम के  साथ जमीन लीज पर लेने के लिए सीधे तौर पर करार किया था। निगम के साथ हुए करार के तहत वेंडरों को 15 लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से भूमि लीज पर दी गई थी। कंपनियों को हर साल लीज शुल्क चुकाना था। सभी वेंडरों ने औद्योगिक विकास निगम के साथ व्यक्तिगत करार किए थे। 
नैनो के लिए मेटल शीट और बॉडी फ्रेम की आपूर्ति करने वाली कंपनी कैपारो इंजीनियरिंग के एक सूत्र ने बताया कि कंपनी निगम से जमीन पर ब्याज के साथ मुआवजा देने के लिए जोर डालेगी। कंपनी ने कहा कि सिंगुर संयंत्र पर उसने लगभग 100 करोड़ रुपये खर्च किए थे।
जब पिछले साल अक्टूबर में टाटा ने सिंगुर से कदम वापस खींचे तो कंपनी उत्पादन करने के लिए बिल्कुल तैयार थी। उन्होंने बताया कि कंपनी जमीन से जुड़े मुद्दे पर टाटा मोटर्स के निर्देशों का इंतजार करेगी।
एक और वेंडर बॉश इंडिया ने बताया कि अभी सिंगुर में मौजूद कंपनी की जमीन पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। कंपनी भी इस मामले पर टाटा मोटर्स के निर्देशों का इंतजार कर रही है। गुजरात के साणंद में संयंत्र लगाने से पहले बॉश इंतजार करने की नीति अपना रही है। 
निगम के निदेशक सुब्रत गुप्ता ने बताया, ‘अगर कोई कंपनी सिंगुर में जमीन वापस करना चाहती है तो हम उसे कीमत देने के लिए तैयार हैं।’ उन्होंने बताया कि अभी तक इस बारे में उनसे सिर्फ एक ही कंपनी ने बातचीत की है।
उन्होंने कहा, ‘बल्कि पहले जिन वेंडरों को नैनो के पुर्जे बनाने थे अब उनमें से कई वेंडरों ने सिर्फ उत्पाद बदलकर इस जमीन का इस्तेमाल करने की इच्छा जताई है।’ नैनो परियोजना से जुड़े हुए लगभग 55 वेंडरों ने सिंगुर में भूमि खरीदने के लिए निगम के साथ करार किया था।
वेंडर लगभग 290 एकड़ जमीन वापस करने की बात कर रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो सिंगुर में नई परियोजनाएं लगने की संभावना बढ़ जाएगी। क्योंकि स्थानीय लोगों ने निगम पर उनकी जमीन जबरदस्ती अधिग्रहित करने का आरोप लगाया था। इसी बात पर हुए विरोध के कारण टाटा को सिंगुर छोड़ना पड़ा था।
अगर निगम को यह भूमि वापस मिल जाती है तो वह इसे किसानों को देकर बाकी जमीन उद्योगों को दे सकती है। दरअसल टाटा मोटर्स को दी गई 997 एकड़ भूमि में से किसान लगभग 300 एकड़ जमीन वापस करने की मांग कर रहे थे।

First Published - February 6, 2009 | 8:56 PM IST

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