उत्तराखंड में देहरादून और मसूरी के बीच रज्जूमार्ग (रोपवे) बनने में थोड़ा और वक्त लग सकता है। उत्तराखंड पर्यटन विभाग की इस परियोजना की बोली प्रक्रिया में विभिन्न कारणों से देरी होने की संभावना है।
विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि बोली प्रक्रिया को शुरू करने से पहले विभाग को वन एवं पर्यावरण केंद्र से मंजूरी लेनी होगी। पर्यटन विभाग राज्य मार्ग परियोजना के निर्माण के लिए निजी कंपनियों को आमंत्रित करना चाहता है। इसके अलावा, सूत्रों ने बताया कि इस परियोजना के लिए सरकार को अभी 17 एकड़ जमीन हासिल करना बाकी है।
जमीन अधिग्रहण के लिए सरकार ने अभी तक सिर्फ अधिसूचना पत्र ही जारी किया है। यही नहीं, अभी तक सरकार ने थापर समूह से भी कोई औपचारिक बातचीत नहीं की है, जिसकी 7 एकड़ जमीन परियोजना के लिए अधिग्रहण की जानी है। उल्लेखनीय है कि इस राज्यमार्ग के निर्माण के लिए 700 करोड़ रुपये प्रस्तावित किए गए हैं।
राज्यमार्ग बन जाने के बाद देहरादून और मसूरी की दूरी महज 40 मिनट से भी कम समय में की जा सकेगी। उत्तराखंड इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट कंपनी (यूआईपीसी) प्राइवेट लिमिटेड ने इस परियोजना के लिए डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार की है। मालूम हो कि यूआईपीसी राज्य सरकार और आईएल ऐंड एफएस का संयुक्त उपक्रम है।
वर्तमान में, देहरादून और मसूरी की सड़क मार्ग से दूरी 35 किलोमीटर है। सरकार पारिस्थितिकीय पर्यटन के एक प्रमुख हब के रूप में जार्ज एवरेस्ट एस्टेट को भी विकसित करने की योजना बना रही है। बहरहाल, जंगल और पर्यावरण केंद्र से एक बार मंजूरी मिल जाने के बाद सरकार राज्यमार्ग परियोजना के लिए प्रस्ताव अनुरोध और योग्यता अनुरोध आमंत्रित करेगी। यूआईपीसी के अध्यक्ष राजीव कुमार गर्ग ने बताया कि इसमें हर घंटे 1100 यात्रियों को ले जाने की क्षमता होगी।
खास बात
देहरादून- मसूरी राज्यमार्ग परियोजना की बोली प्रक्रिया में हो रही है देरी
वन और पर्यावरण केंद्र से मंजूरी का इंतजार
17 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करना भी है अभी बाकी