facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

ओलंपिक शुरू होने से क्या फर्क पड़ता है!

Last Updated- December 07, 2022 | 3:43 PM IST

पड़ोसी देश चीन की राजधानी बीजिंग में खेलों के महाकुंभ की शुरूआत में कुछ घंटे ही बचे हैं लेकिन इस कारण जालंधर के खेल उद्योग के खुश होने की कोई वजह नहीं बनती है।


जालंधर से हर साल करीब 500 करोड़ रुपये के खेल का सामान निर्यात किया जाता है लेकिन इस बार यहां के किसी भी उद्योगपति को ओलंपिक से जुड़ा हुआ एक भी आर्डर नहीं मिला है।

खेल का सामान बनाने वाले कारोबारी रवीन्द्र धीर ने बताया कि ‘बीजिंग ओलंपिक चीनी उद्योगपतियों के लिए खुशी का मौका हो सकता है, लेकिन जहां तक भारत और खास तौर से जालंधर की बात है, उन्हें ओलंपिक से जुड़ा हुआ एक भी आर्डर नहीं मिला है।

कारेबारी पिछले साल मिले आर्डर को पूरा करने में व्यस्त हैं। इनमें से ज्यादातर आर्डर क्रिकेट के सामान से संबंधित हैं।’ पड़ोसी देश में इतने महत्वपूर्ण खेल आयोजन के बावजूद आर्डर न मिलने की वजह के बारे में धीर ने बताया कि पदक तालिका में भारत का नाम आ ही जाएगा यह कोई भी पक्के तौर पर नहीं कह सकता है। ऐसे में आप घरेलू बाजार में खेल के सामान की मांग बढ़ने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं।’

उन्होंने आगे बताया कि जहां तक निर्यात की बात है तो भारतीय कारोबारियों को हर साल केवल हाकी के लिए कुछ आर्डर मिल जाते हैं। लेकिन ओलंपिक से भारतीय हाकी टीम के बाहर होने के बाद हाकी के लिए भी कोई आर्डर नहीं मिल सका है। भारतीय खेलों की हालत सुधारने के बारे में धीर ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा के दौरान ही खेल को अनिवार्य बनाने के लिए सरकार को ठोस नीति तैयार करनी चाहिए। इसके बिना बदलाव की उम्मीद नहीं है।

राष्ट्रमंडल खेलों का भी असर नहीं

ओलंपिक को छोड़िए, यहां तक कि राष्ट्रमंडल खेलों को लेकर भी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार से किसी तरह की मांग नहीं उठी है। राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन 2010 में दिल्ली में होगा। खेल के सामान के प्रमुख निर्यातक राना रघुनाथ सिंह ने बताया कि उन्हें ओलंपिक के लिए एक भी आर्डर नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि खेल उद्योग को अंतरराष्ट्रीय आयोजनों से बहुत अधिक उम्मीद नहीं रहती है।

हालांकि स्नूकर वर्ल्ड कप के दौरान शहर के खेल उद्योग में काफी तेजी देखी गई थी। इस दौरान जालंधर को बड़ी संख्या में थोक आर्डर मिले। लेकिन ओलंपिक के लिए आयोजकों ने कोई भी प्रमोशन नहीं किया, इस कारण कोई आर्डर नहीं मिल सका। ओलंपिक आर्डर नहीं मिलने के बावजूद राना परेशान नहीं हैं। उन्हें पिछले साल अच्छे आर्डर मिले थे, हालांकि उस दौरान डॉलर के कमजोर पड़ने के कारण कारोबारियों को मुनाफे पर असर पड़ा था। हालांकि अब डालर की मजबूती से मुनाफा बढ़ा है।

First Published - August 7, 2008 | 9:26 PM IST

संबंधित पोस्ट