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मुंबई में ऑटो और टैक्सियों के पहिए जाम

Last Updated- December 08, 2022 | 12:04 AM IST

25 साल पुरानी टैक्सियों को सड़क से हटाये जाने के विरोध में टैक्सी और ऑटोरिक्शा चालकों ने बुधवार रात 12 बजे से अपने वाहनों को सड़क पर नहीं उतारने का ऐलान किया है।


मुंबई ऑटोरिक्शा एवं टैक्सी मेंस यूनियन द्वारा घोषित इस चक्का जाम की वजह से 1 लाख 10 हजार आटोरिक्शा और 55 हजार टैक्सियां सड़कों पर नहीं दौडेंग़ी। महानगर में बढ़ते प्रदूषण को कम करने और आरामदायक टैक्सियां सड़कों पर उतारने के नाम पर महाराष्ट्र सरकार की 25 साल से ज्यादा पुरानी टैक्सियों का परमिट रद्द करने की योजना है।

इसके विरोध में टैक्सी यूनियनों ने चक्का जमा करने का रास्ता अपनाया है। यूनियन नेता शरद राव ने महाराष्ट्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ निजी एजेंसियां और कार कंपनियां सरकार के साथ मिल कर सड़कों से हमारी टैक्सियों को हटवाना चाहती हैं, जिससे उनकी महंगी टैक्सियों का कारोबार बेरोटोक चल सके।

सरकार के इस फरमान से 30 हजार से ज्यादा टैक्सी चालक बेरोजगार हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में कहीं भी वाहनों की सीमा तय नहीं की गई है फिर यहां पर ऐसा क्यों किया जा रहा है? प्रदूषण की जांच के लिए जगह- जगह परिवहन विभाग ने अपने लोग बैठा रखे हैं तो फिर प्रदूषण की बात कहां से आ जाती है, अगर कोई गाड़ी प्रदूषण के पैमाने में खरी नहीं उतरती तो उसका परमिट रद्द किया जाए, न कि एक साथ सभी टैक्सियों का सफाया ही कर दिया जाएगा।

राव के मुताबिक किसी भी पुरानी गाड़ी का परमिट रद्द करने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास है, केन्द्र सरकार ने मुंबई से टैक्सियां हटाने का अभी तक कोई प्रस्ताव नहीं दिया है तो राज्य सरकार किस आधार पर टैक्सियों को रद्द करने की बात करती है। अपना विरोध दर्ज करने के लिए टैक्सी और ऑटोरिक्शा चालक परिवहन विभाग के सचिव के सामने प्रदर्शन करेंगे।

सरकारी घोषणा के अनुसार मुंबई की सड़कों पर चलने वाली जो टैक्सियां 25 साल की हो जाएंगी उनको चलाने के लिए परमिट नहीं दिया जाएगा। टैक्सी वालों का कहना है कि अभी एक साल पहले सरकार ने सभी टैक्सियों पर सीएनजी किट लगाना अनिवार्य कर दिया था, जिसकी वजह से टैक्सी मालिकों को 20 से 25 हजार रुपये खर्च करने पड़े और आज अब उन्हें हटाने की बात कर रहे हैं।

उधार पैसे लेकर अपने घर का पेट पालने के लिए सरकार की बात हमने यह बात मान ली लेकिन अब इस फैसले के बाद तो भूखों मरने वाली बात हो जाएगी। मुंबई की सड़कों पर दौड़ने वाली 55 हजार टैक्सियों और लगभग डेढ़ लाख ऑटोरिक्शा की यहां के यातायात में अहम भूमिका है। लोग मुंबई में बसों के बाद ऑटोरिक्शा और टैक्सी को ही जीवन रेखा मानते हैं। यहां के अगर ये पूरी तरह से हड़ताल पर चले जाते हैं तो यहां की पूरी की पूरी व्यवस्था का चरमराना भी तय है।

110,000 ऑटोरिक्शा, 55 हजार टैक्सियां हड़ताल पर
30 हजार से ज्यादा चालक हो जाएंगे बेरोजगार

First Published - October 15, 2008 | 10:26 PM IST

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