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आईटीआई में बदलाव की बयार

Last Updated- December 07, 2022 | 1:02 AM IST

रायबरेली स्थित आईटीआई लिमिटेड आजकल खुद को नई प्रौद्योगिकी से लैस करने की कवायद में जुटी है।


इन प्रौद्योगिकी में गीगाबाइट पैसिव ऑप्टिकल नेटवर्क (जी-पॉन) शामिल है। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक कंपनी जी-पॉन टेक्नोलॉजी का लाइसेंस हासिल करने के लिए अमेरिका स्थित कंपनी अल्फियन कॉरपोरेशन के साथ बातचीत कर रही है। इससे पहले आईटीआई लिमिटेड का नाम इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज लिमिटेड था।

सूत्रों ने बताया कि ‘मोलतोल और शुरुआती बातचीत की जारी है।’ जी-पॉन एक आधुनिक संचार प्रणाली है जिसके जरिए तेजी से और सुरक्षित डेटा ट्रांसफर किया जाता है। अल्फियन संचार प्रणाली का विकास और माकेर्टिंग करती है। कंपनी कई तरह के ब्राडबैंड एक्सेस उत्पादों की पेशकश भी करती है जो जी-पॉन नेटवर्क समाधान के लिए अनुकूल हैं।

पॉन एक प्वाइंट से मल्टीमीडिया संचार प्रणाली है और एक ऑप्टिकल फाइबर के जरिए कई स्थानों पर इस प्रणाली को स्थापित किया जा सकता है। जी-पॉन की गति काफी तेज है, इसकी सुरक्षा प्रणाली अपेक्षाकृत अधिक मजबूत है और इथरनेट जैसे आधुनिक संचार प्रोटोकाल को अपनाया जा सकता है। आईटीआई टेलीकॉम और डेटा ट्रांसफर कंपनियों को जी-पॉन सेवाओं की पेशकश करेगी। इन कंपनियों में सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) प्रमुख है।

इसबीच आईटीआई बेंगलूर ने भी जीएसएम थ्री-जी परियोजना की दिशा में आगे बढ़ना शुरू कर दिया है। थ्रीजी मोबाइल की दुनिया में नवीनतम टेक्नोलॉजी है। आईटीआई रायबरेली दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के लिए जीएसएम उपकरणों, टॉवर और अन्य शेल्टर एसेंबरली का विनिर्माण करती है। कंपनी मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे दूसरे राज्यों की परियोजनाओं के लिए भी उपकरणों की आपूर्ति करती है।

आईटीआई बेंगलूरु, पालाक्कड (केरल), श्रीनगर, राय बरेली, मनकापुर और नैनी (उत्तर प्रदेश) के ग्राहकों में बीएसएनएल, एमटीएनएल, रेलवे और सेना शामिल हैं। इसके अलावा आईटीआई अफगानिस्तान, आयरलैंड, मलेशिया, नेपाल, श्रीलंका, स्विटजरलैंड और जिंबाब्वे  जैसे देशों के ग्राहकों की मांग को भी पूरा करता है।

आईटीआई की कुछ इकाइयां में नोट काटने का काम, निवर्टर और पर्सनल कम्प्यूटर (पीसी) बनाने का काम भी शुरू किया जा चुका है। इन उत्पादों के बाजार में हालांकि, उनकी बड़ी हिस्सेदारी नहीं है। आईटीआई भारत के प्रमुख दूरसंचार संस्थानों में है और इसकी स्थापना 1948 में की गई थी। देश के मौजूदा दूरसंचार नेटवर्क में कंपनी ने 60 प्रतिशत से अधिक का योगदान किया है।

यह दीगर बात है कि आईटीआई का घाटा बढ़कर 2,500  करोड़ रुपये हो चुका है। केन्द्र सरकार द्वारा 2005 और 2007 में क्रमश: 1,000 करोड़ रुपये और 350 करोड़ रुपये का पुनरोद्धार पैकेज दिए जाने के बावजूद आईटीआई लगातार घाटे में चल रही है। कंपनी को आने वाले दिनों में वित्तीय प्रदर्शन में सुधार की उम्मीद है।

First Published - May 22, 2008 | 10:14 PM IST

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