उत्तर प्रदेश की राजधानी में मौजूद बायोटेक पार्क को योगी सरकार सुविधाओं और संसाधनों से लैस बायोटेक हब के तौर पर विकसित करेगी। प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक लाख करोड़ डॉलर की बनाने के लक्ष्य में जुटी राज्य सरकार ने इसके लिए लखनऊ स्थित बायोटेक पार्क को नई सुविधाओं और संसाधनों से लैस करने का फैसला किया है। इसके लिए 10 करोड़ रुपये केंद्र सरकार से मांगे गए हैं। सरकार को उम्मीद है कि इससे राज्य के करीब 1,000 युवाओं को रोजगार मुहैया हो सकेगा।
प्रदेश सरकार के अधिकारियों का कहना है कि बायोटेक पार्क जल्द ही नए रंगरूप के साथ पुनः विकसित किया जाएगा। इसमें तमाम नई सुविधाओं जैसे रिसर्च के लिए आधुनिक लैब या फिर पशुओं पर नए टीके आदि के शोध के लिए जानवरों की उपलब्धता आदि पर काम किया जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर 10 करोड़ रुपये मांगे हैं। इसी के साथ सरकार रिसर्च संस्थाओं से पीपीपी रूप में अनुबंध कर नए स्टार्टअप के जरिये उच्चस्तरीय प्रयोगशालाएं भी स्थापित करेगी। विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध कराने और निजी क्षेत्र के निवेश के बाद प्रदेश सरकार को बायोटेक पार्क में 1,000 से ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है। बायोटेक हब बनाने के लिए प्रदेश सरकार संस्थान के ढांचागत नियमों में भी बदलाव करेगी।
गौरतलब है कि लखनऊ स्थित बायोटेक पार्क की स्थापना मई 2003 को पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा की गई थी। जुलाई 2002 में लखनऊ विश्वविद्यालय में भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी की मौजूदगी में हुई 89वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में लखनऊ शहर को बायोटेक सिटी घोषित किया गया था। लखनऊ के बायोटेक पार्क ने वर्ष 2007 में पूरी तरह काम करना शुरू किया। हालांकि राजधानी लखनऊ में कई राष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिक शोध संस्थान होने के बावजूद इस पार्क का वह स्वरूप नहीं हो सका, जो हैदराबाद स्थित बायोटेक पार्क का रहा। अब योगी सरकार बायोटेक पार्क को विकसित कर उसकी पूरी क्षमता का उपयोग करना चाहती है।