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एस्ट्राजेनेका ने भेजा कानूनी नोटिस

Last Updated- December 12, 2022 | 6:12 AM IST

बीएस बातचीत
विश्व की सबसे बड़ी टीका विनिर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) देश की मांग पूरी करने और अपने अंतरराष्ट्रीय अनुबंध पूरे करने के बीच फंसी हुई है। सोहिनी दास के साथ बातचीत में एसआईआई के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा कि एस्ट्राजेनेका पहले ही टीका आपूर्ति में देरी को लेकर कानूनी नोटिस भेज चुकी है। बातचीत के अंश:

आप कोविड-19 के टीकों की घरेलू एवं विदेशी मांग में कैसे संतुलन साध रहे हैं?
मुझे नहीं लगता कि कोई भी व्यक्ति मेरी आज की स्थिति में खुद को देखना चाहेगा। मुझे हर राष्ट्राध्यक्ष को यह बताना पड़ रहा है कि मैं अपने देश को प्राथमिकता दे रहा हूं… यहां मामले बढ़ रहे हैं। यही वजह है कि हम अगले एक-दो महीने में भारत सरकार के आग्रह और हमारे लोगों की जरूरतों के आधार पर केवल भारत को आपूर्ति करने को तरजीह देंगे। हम इस तरह मांग में संतुलन साध रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि अगले एक- दो महीने में मामलों में बढ़ोतरी सुस्त पड़ेगी और हम जनवरी एवं फरवरी की तरह फिर से अपना निर्यात बढ़ा सकते हैं। हम उम्मीद कर रहे हैं कि यह अस्थायी उपाय है। हम इस समय भारत सरकार का 10 करोड़ खुराक का ऑर्डर पूरा करने में जुटे हैं, जिसे हम मई तक पूरा कर देंगे। इस समय हम सीमित निर्यात के साथ भारत की जरूरतों को प्राथमिकता दे रहे हैं। अगर भारत में मामले घट जाते हैं तो हम निर्यात बढ़ा सकते हैं।

क्या एस्ट्राजेनेका ने आपूर्ति में देरी को लेकर आपको कानूनी नोटिस भेजा है?
एस्ट्राजेनेका टीके की आपूर्ति में देरी के लिए हमें पहले ही कानूनी नोटिस भेज चुकी है और भारत सरकार भी यह बात जानती है। हम इस बारे में विचार कर रहे हैं कि क्या किया जा सकता है और इसमें तालमेल की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि कानूनी रास्ता अख्तियार करना अच्छा समाधान नहीं है। मैं कानूनी नोटिस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता क्योंकि यह गोपनीय है। मगर हम कानूनी विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए सभी कानूनी रास्तों की पड़ताल कर रहे हैं। सीरम भारत को आपूर्ति को प्राथमिकता देने के कारण अपनी अनुबंध जिम्मेदारियां पूरी नहीं कर पाई। इसी वजह से हमें कानूनी विवादों का सामना करना पड़ रहा है। अब तक हर किसी ने यह बात समझी है। सरकार इस बारे में विचार कर रही है कि इसका क्या समाधान निकाला जा सकता है।

आपने केंद्र सरकार से उत्पादन बढ़ाने के लिए धन मांगा है। इस बारे में क्या ताजा जानकारी है?
हमने अग्रिम अनुदान राशि के लिए औपचारिक प्रस्ताव सौंपा है, जिससे हमें एक नई फैक्टरी लगाने में मदद मिलेगी। अन्यथा हमारे लिए उत्पादन बढ़ाना मुश्किल है क्योंकि हम पहले ही हजारों करोड़ रुपये निवेश कर चुके हैं। हमने इतनी बड़ी मात्रा में उत्पादन के लिए आवश्यक अतिरिक्त परिचालन पूंजी की व्यवस्था के लिए अप्रैल में 1,500 करोड़ रुपये उधार लिए हैं। सरकार इस प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उम्मीद है कि अगले सात दिनों में इस पर फैसला हो जाएगा। हमने कुछ हजार करोड़ रुपये मांगे हैं। हमारे पास पुणे में इमारत और सब कुछ है। मैं और जानकारियों का खुलासा नहीं कर सकता, लेकिन हमने कुछ हजार करोड़ रुपये मांगे हैं। इससे हम तत्काल कोविशील्ड की उत्पादन क्षमता दोगुनी कर पाएंगे। यह राशि कर्ज नहीं बल्कि अनुदान होगी।
कोविशील्ड के असर से संबंधित विवाद के बारे में आप क्या कहेंगे?
यह साफ है कि अगर दो खुराकों के बीच तीन महीने का इंतजार किया जाए तो यह 80 फीसदी असरदार है। इसे लेकर कोई विवाद नहीं है। इन बातों का प्रकाशन हो चुका है। स्कॉटलैंड की वेबसाइट दर्शाती है कि एस्ट्राजेनेका टीके की एक खुराक ही 94 फीसदी तक असरदार साबित हो रही है। इसका बहुत जल्द लैंसेट में प्रकाशन होगा और यह अगले दो सप्ताह में उपलब्ध होगी। यह टीका भारत एवं विदेश में 10 करोड़ लोगों को लग चुका है और मुश्किल से ही कोई अस्पताल में भर्ती कराने का कोई मामला आया हो।

आप तीन और टीकों पर काम कर रहे हैं। ये कब तक आने के आसार हैं?
हां, नोवावैक्स टीका सितंबर के आसपास आएगा। स्पाई बायोटेक का टीका इस साल के अंत तक आने के आसार हैं। कोडाजेनिक्स टीके में थोड़ी देरी हो रही है क्योंकि हम ब्रिटेन में परीक्षण कर रहे हैं। हमें हाल में मंजूरी मिली है और हमने पहले चरण का परीक्षण शुरू किया है, इसलिए इसमें कुछ महीने की देरी हुई है। यह वर्ष 2022 में आने के आसार हैं। हमें कुछ टीकों को प्राथमिकता देनी होगी, जिन्हें लेकर हम जानते है कि उन्हें लाइसेंस मिलेगा और उनकी मांग बढ़ेगी। हम इस बात से खुश हैं कि कोविशील्ड पहले ही अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। हमारे तीन-चार टीकों के साथ जुडऩे की वजह यह है कि अगर एक कारगर न रहे तो हमारे पास दूसरे टीके रहें। नोवावैक्स का असर पहले ही 89 फीसदी साबित हो चुका  है। यह वायरस के दक्षिण अफ्रीकी, ब्राजीलियाई और ब्रिटिश रूपों पर भी असरदार रहा है। इस साल के अंत तक हमारे पास कोविड के तीन टीके होंगे।

क्या आपको लगता है कि टीके की भारतीय कीमतों में मुनाफा मिल पाएगा?
टीकों की वैश्विक स्तर पर कीमत करीब 20 डॉलर है, जबकि हम 2 डॉलर प्रति खुराक पर बना रहे हैं। मौजूदा और नए टीका विनिर्माताओं को प्रोत्साहित करने के लिए अगर बाजार का माहौल ऐसा नहीं बनाया गया, जिसमें आप 5-7 डॉलर प्रति खुराक की दर पर बेच सकें तो टीका विनिर्माताओं को कोई प्रोत्साहन नहीं मिलेगा। कीमतों के इस माहौल में निजी टीका विनिर्माताओं के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं है।

क्या कच्चे माल की कमी उत्पादन बढ़ाने में आड़े आ रही है?
हां ऐसा हो रहा है क्योंकि अमेरिका ने रक्षा अधिनियम लागू कर दिया है और कच्चे माल के निर्यात पर रोक लगा दी है। इसकी वजह से सभी टीका विनिर्माताओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस वजह से नोवावैक्स का उत्पादन रुक गया है। अगर हमारे लिए अमेरिकी कच्चा माल उपलब्ध होता तो नोवावैक्स का स्टॉक 50 फीसदी अधिक होता।

First Published - April 6, 2021 | 11:37 PM IST

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