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BS Manthan: भविष्य में कैसी होंगी नौकरियां? Future of Jobs पर बोले एक्सपर्ट- लोगों को लगातार अपना स्किल डेवलप करना जरूरी

BS Manthan में अपनी बात रखते हुए राधिका कपूर ने कहा कि कुछ नौकरियों में कुछ काम को भविष्य में स्वचालित किया जाएगा और इसमें बदलाव आएगा।

Last Updated- February 28, 2025 | 7:01 PM IST

BS Manthan 2025, Day 2: बिज़नेस स्टैंडर्ड के वार्षिक सम्मेलन ‘मंथन’ के दूसरे दिन शुक्रवार, 28 फरवरी को भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी सुमिता डावरा, अंतरराष्ट्रीय मजदूर संघ की सीनियर एम्पलाईमेंट स्पेशलिस्ट राधिका कपूर और भारतीय मजदूर संघ से जुड़े हिरणमय पंड्या ने ‘Future of Jobs’ विषय पर अपनी बातें रखीं। बातचीत की शुरुआत में देश में लगातार बढ़ रहे स्टार्टअप की तारीफ करते हुए सुमिता डावरा ने कहा, “आज स्टार्टअप बहुत सारे लोगों को रोजगार दे रहे हैं। हमें इस बात पर बहुत गर्व है कि आज, भारत जीसीसी के लिए वैश्विक केंद्र है। वे इस समय लाखों युवाओं को रोजगार दे रहे हैं।”

वहीं राधिका कपूर ने कहा कि कुछ नौकरियों में कुछ काम को भविष्य में स्वचालित किया जाएगा और इसमें बदलाव आएगा। लेकिन कई अन्य व्यवसायों के नजरिए से देखे तो इससे उनकी उत्पादकता में बढ़ोतरी होगी क्योंकि स्वचालन से अन्य चीजों के लिए समय मिल जाता है। यह एक अच्छी पहल होगी।

जबकि हिरणमय पंड्या ने भविष्य में नौकरी के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, नई तकनीकों को अपनाने के लिए लोगों के लिए खुद को और अधिक स्किल्ड करना महत्वपूर्ण हो जाएगा। कई लोग नई और उभरती टेक्नोलॉजी को समझ नहीं पाते हैं जिससे कई समस्याएं आती हैं, इसलिए प्रशिक्षण और स्किल डेवलपमेंट पर ध्यान देना जरूरी है।

भविष्य में कैसी होंगी नौकरियां? इस विषय पर बात करते हुए राधिका कपूर ने कहा, “जब हम भविष्य में नौकरियों के सवाल की बात करते हैं, तो यह इस बात पर निर्भर करेगा कि दुनिया भर में कैसी नीतियां बनाई जाती हैं। देशों में स्किल डेवलपमेंट (कौशल विकास) की क्या व्यवस्था है, वे किस तरह की औद्योगिक नीतियां अपनाते हैं और लोगों के लिए क्या सामाजिक सुरक्षा सिस्टम लागू करते हैं, यह सब बहुत महत्वपूर्ण होगा।”

राधिका कपूर, “हर पेशे में कुछ खास काम होते हैं। जब टेक्नोलॉजी इनोवेशन, जैसे AI और जेनरेटिव AI, पेश किए जाते हैं, तो कुछ काम ऑटोमेट हो जाते हैं, लेकिन पूरा पेशा खत्म नहीं होता। इस वजह से कोई भी पेशा पूरी तरह समाप्त नहीं होगा।”

वह कहती हैं कि ऑटोमेशन से कुछ कामों में कमी आ सकती है, लेकिन इससे उत्पादकता भी बढ़ेगी क्योंकि यह अन्य चीजों के लिए समय बचाएगा। दो साल पहले किए गए एक स्टडी ने भी इस बात का समर्थन किया था, जिसमें यह बताया गया था कि AI के ऑग्मेंटिंग प्रभाव ऑटोमेशन के प्रभाव से कहीं अधिक थे। इस स्टडी में पाया गया कि केवल 2.3 प्रतिशत वैश्विक नौकरियां ऑटोमेशन के कारण प्रभावित हो सकती हैं, जबकि 13 प्रतिशत स्थानीय नौकरियों को AI के ऑग्मेंटिंग से लाभान्वित होने की संभावना है।

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‘2025 में नौकरियों का संकट नहीं आएगा’

कपूर ने कहा कि अगर हम नौकरियों के भविष्य पर लगभग एक दशक पहले चर्चा कर रहे होते, तो बातचीत बिल्कुल अलग होती। उन्होंने कहा, “शुरुआत में नौकरी खत्म होने को लेकर चिंताएं थीं। लेकिन आज, 2025 में, हम आत्मविश्वास से कह सकते हैं कि ‘नौकरियों का संकट’ नहीं आएगा।” 

वहीं सुमिता डावरा ने भारत में रोजगार को बढ़ावा देने वाले प्रमुख क्षेत्रों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “सेवा क्षेत्र, फिनटेक, निर्माण क्षेत्र, विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) रोजगार वृद्धि के प्रमुख क्षेत्र हैं।” उन्होंने स्टार्टअप्स की रोजगार सृजन में भूमिका की ओर भी इशारा किया। उन्होंने कहा कि “स्टार्टअप्स में अधिक से अधिक लोग काम कर रहे हैं। सिर्फ फिनटेक सेक्टर में ही 10,000 से अधिक स्टार्टअप्स हैं।”

सुमिता डावरा ने आगे कहा कि अनुमान के अनुसार, अगले दशक में वैश्विक श्रमशक्ति में 24 प्रतिशत की बढ़ोतरी भारत से होगी। उन्होंने ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) के महत्व पर भी जोर देते हुए कहा, “भारत GCCs के लिए वैश्विक केंद्र बन चुका है। ये वर्तमान में लाखों युवाओं को रोजगार दे रहे हैं।”

उन्होंने विशेष रूप से डिजिटलाइजेशन की भूमिका को रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण बताया, खासकर स्किल डेवलपमेंट इनिशिएटिव्स और डिजिटल हब्स के माध्यम से।

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अपस्किलिंग और मानव-केंद्रित टेक्नोलॉजी की भूमिका

भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष, हिरणमय पंड्या ने कहा कि टेक्नोलॉजी के विकास के साथ-साथ यह नई नौकरियां भी पैदा करती है। हिरणमय पंड्या कहते हैं, “जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी विकसित होती है, नई नौकरियां भी आती हैं, जैसे टीम वर्कर्स और प्लेटफॉर्म वर्कर्स की भूमिकाएं।”

कोविड-19 महामारी के दौरान नौकरियों के संकट पर चर्चा करते हुए, उन्होंने कहा कि भले ही उस दौरान कई नौकरियां चली गईं, लेकिन टेक्नोलॉजी में सुधार के कारण उत्पादकता बढ़ी।

हिरणमय पंड्या ने यह भी खारिज किया कि नौकरी सृजन केवल सरकारी क्षेत्र तक सीमित है, उन्होंने निजी क्षेत्र में भी तेजी से बढ़ते रोजगार पर जोर दिया, विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स और मीडिया इंडस्ट्री में। हिरणमय पंड्या ने कहा, “निजी क्षेत्र में नौकरियों की संख्या बढ़ रही है, जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक्स और मीडिया इंडस्ट्री में। हमारे देश में इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर अन्य क्षेत्रों की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है, और इसमें जापान जैसे देशों से निवेश आ रहा है।”

अपस्किलिंग (नए कौशल सीखना) के महत्व पर जोर देते हुए, उन्होंने कहा, “कार्यबल को नई तकनीकों के अनुकूल बनाने के लिए अपस्किलिंग आवश्यक है। कई लोग नई टेक्नोलॉजी को समझने में असमर्थ हैं, इसलिए प्रशिक्षण और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।”

हाल ही में, ILO और एशिया-प्रशांत क्षेत्र सहित विभिन्न सरकारों ने इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए कदम उठाए हैं। हालांकि, पंड्या ने अत्यधिक टेक्नोलॉजी निर्भरता के खिलाफ चेतावनी दी और कहा, “टेक्नोलॉजी हमारी सेवा में होनी चाहिए, न कि हम टेक्नोलॉजी के गुलाम बनें। मशीनों को हमारा सेवक बनना चाहिए, न कि इसके विपरीत।”

First Published - February 28, 2025 | 6:17 PM IST

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