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नोएडा औद्योगिक पट्टी की किस्मत अधर में

Last Updated- December 12, 2022 | 5:33 AM IST

दिल्ली में सख्त कर्फ्यू और औद्योगिक ऑक्सीजन की कमी से नोएडा-ग्रेटर नोएडा की औद्योगिक पट्टी में हजारों सुविधा केंद्रों पर दुष्प्रभाव पडऩा शुरू हो गया है। श्रमिकों में कोविड-19 के बढ़ते मामले तथा एक और लॉकडाउन का डर बहुत-से लोगों को अपने गृहनगर लौटने के लिए उकसा रहा है। इसके अलावा औद्योगिक ऑक्सीजन की कमी से विनिर्माण गतिविधियों पर दबाव पड़ रहा है।
उदाहरण के लिए एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स को ही लीजिए। उपकरणों का विनिर्माण करने वाली कोरिया की इस दिग्गज कंपनी में कार्य स्थल पर मौजूद कर्मचारियों का कहना है कि चूंकि ऑक्सीजन आपूर्ति कम हो गई, इसलिए बुधवार को काम पर असर पड़ा है। ग्रेटर नोएडा के विस्तृत सुविधा केंद्र के भीतर कंपनी का भारतीय मुख्यालय है। कर्मचारियों के अनुसार औद्योगिक ऑक्सीजन की आपूर्ति इस सप्ताह की शुरुआत से ही अस्पतालों दे दी गई है, जिस वजह से इस विशाल कंपनी के परिचालन पर असर पड़ा है। इस बीच एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स के अधिकारियों ने कहा कि संयंत्र चालू है।
एलजी के इस सुविधा केंद्र के पास ही इस क्षेत्र में औद्योगिक ऑक्सीजन की सबसे बड़ी आपूर्तिकर्ता आईनॉक्स एयर प्रोडक्ट्स का संयंत्र है। इसके कर्मचारियों के अनुसार केंद्र्र सरकार द्वारा हस्तक्षेप किए जाने के बाद पिछले सप्ताह से यहां ऑक्सीजन का उत्पादन काफी बढ़ गया है। वर्तमान में यह मुख्य रूप से स्वास्थ्य उद्योग को आपूर्ति कर रही है। विभिन्न इकाइयों में परिचालन पर असर से कई लोग अनिश्चितता की स्थिति में आ गई हैं, जिनमें से कुछ ने अस्थायी रूप से काम स्थगित कर दिया है। क्षेत्र में कतार लगाए खड़े और इंतजार कर रहे ट्रकों से लेकर स्थानीय विके्रताओं तक का दृश्य आजीविका बाधित होने की दास्तां बयां करता है।
एक संयंत्र से टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएं तमिलनाडु ले जाने के लिए युधिष्ठिर सिंह लगभग 110 किलोमीटर दूर धारूहेड़ा (हरियाणा) से अपने खाली कंटेनर ट्रक के साथ सवेरे-सवेरे पहुंच गए थे। अचानक काम स्थगित किए जाने के आदेश से उनके पास अनिश्चित काल तक इंतजार करने अलावा कोई विकल्प नहीं बचा, क्योंकि माल लदाई का काम रुक गया है।
सड़क किनारे किराने की एक छोटी-सी दुकान चलाने वाले बिट्टू यादव कहते हैं कि रोज के कारोबार में 70 प्रतिशत तक की गिरावट आई है, क्योंकि सैंकड़ों कर्मचारी नहीं आ रहे हैं। अब उसकी एकमात्र उम्मीद पास के मारुति सुजूकी डीलरशिप और आईनॉक्स एयर संयंत्र के ग्राहक हैं। हजारों अन्य इकाइयों पर भी इसका असर महसूस किया जा रहा है। नोएडा एंटरप्रेन्योर्स एसोसिएशन (एनईए) के महासचिव वीके सेठ के अनुसार प्रवासियों के लौटने से क्षेत्र में कई विनिर्माताओं को नुकसान होना शुरू हो गया है। सेठ कहते हैं ‘दिल्ली के कफ्र्यू ने कई अनुबंधित और कारखानों के दिहाड़ी श्रमिकों को बेचैन कर दिया है और उन्होंने वापस घर जाना शुरू कर दिया है। इससे छोटी इकाइयों में परिचालन प्रभावित हो रहा है।’ हालांकि मार्च तक सुधार स्थिर था, लेकिन कारोबारी माहौल में अचानक हुए बदलाव से सेठ जैसे कई लोग भविष्य के संबंध में अनजान हैं। हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने सप्ताह के दिनों में लॉकडाउन करने से इनकार करके उद्योग को भरोसा दिलाने का प्रयास किया है, लेकिन इस शनिवार से शुरू होने वाले सप्ताहांत के लॉकडाउन ने श्रमिकों के बीच चिंता पैदा कर दी है।
इसके अलावा कच्चे माल की बढ़ती लागत और कम नकदी प्रवाह से बड़ी इकाइयों के छोटे और मध्य आपूर्तिकर्ताओं के वित्त को हानि पहुंच रही है। सहायक-सामग्री विनिर्माता कृष्णा डाई कास्टिंग के संयंत्र प्रबंधक कहते हैं ‘जिंस के दाम 100 से 200 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं, लेकिन बड़ी फर्में हमें ज्यादा दाम देने को तैयार नहीं हैं। अब नकदी प्रवाह का प्रबंध करना असंभव है। इसलिए हमारी तरह कई लोग उत्पादन और श्रमिकों की संख्या में कटौती कर रहे हैं।’
स्थानीय उद्योग मालिकों द्वारा लगाए गए अनुमान से यह संकेत मिलता है कि इस क्षेत्र में काम करने वाले 6,00,000 प्रवासी श्रमिकों में से कम से कम 15 प्रतिशत पहले ही अपने कस्बों और गांवों में लौट चुके हैं। इनमें से अधिकांश लोग उत्तर प्रदेश और बिहार से आते हैं। पिछले साल के संकट ने उन्हें इस बार शीघ्र ही यह कदम उठाने के लिए प्रेरित किया है।
इस और पिछले साल के लॉकडाउन के आर्थिक प्रभाव ने इस क्षेत्र में कम से कम 1,200 इकाइयों को काम बंद करने के लिए विवश किया है। एनईए के रिकॉर्ड से पता चलता है कि नोएडा-ग्रेटर नोएडा की औद्योगिक पट्टी में करीब 11,000 पंजीकृत इकाइयां हैं, जिनमें से तकरीबन 3,000 इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं के निर्माण में लगी हुई हैं।
सेठ का कहना है कि हर तरफ मुसीबत होने और कोविड की बढ़ती लहर से राहत नहीं मिलने के कारण इस औद्योगिक पट्टी की किस्मत अगले सप्ताह तक ही स्पष्ट होने की संभावना है। अगर प्रवासी श्रमिक जाना जारी रखते हैं और आर्थिक गतिविधि रफ्तार नहीं पकड़ती है, तो क्षेत्र की स्थिति और भी अधिक भयानक हो सकती है।

First Published - April 23, 2021 | 11:30 PM IST

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