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नौकरी की तलाश कर रहे प्रतिभाशाली लोगों के लिए सुनहरा वक्त

Last Updated- December 11, 2022 | 4:28 PM IST

आजकल कंपनियां प्रतिभाशाली लोगों को नौकरी देने के लिए कई तरह की रियायत से लेकर कई सुविधाएं भी दे रही हैं क्योंकि बाजार में काम करने वाले अच्छे लोगों की कमी दिख रही है। कंपनियां महीने में एक बार कर्मचारियों को उनके लिए विशेषतौर पर ‘यू डे’ की छुट्टी देने से लेकर जिम सदस्यता का भुगतान करते हुए नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों की प्राथमिकताओं पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
 कंपनियों का कहना है कि घर से काम करने (डब्ल्यूएफएच) के विकल्प से लेकर घर-दफ्तर के मिले-जुले काम वाले मॉडल, पांच दिनों के काम वाला हफ्ते के साथ नौकरी ढूंढ रहे लोग अब संतुलित जीवन चाहते हैं ऐसे में वे भर्ती के दौरान भी इस तरह की सुविधा की मांग कर रहे हैं।
 भर्ती से जुड़े विशेषज्ञ और नौकरी की वेबसाइटों का मानना है कि यह रुझान तब तक बना रहेगा जब तक कि विक्रेताओं के बाजार का दबदबा बना रहेगा।
 प्रमुख जॉब साइट इंडीड इंडिया के प्रमुख (बिक्री) शशि कुमार ने कहा, ‘आज ऐसा बाजार है जहां नौकरी चाहने वालों की तादाद बड़ी है और इनमें से कई लोग इस तरह काम करना पसंद करते हैं जिससे काम और जीवन में संतुलन आ सके। नतीजतन, इंडीड सहित कई प्रगतिशील कंपनियां इस तरह की सुविधाओं की पेशकश कर रही हैं क्योंकि महामारी के बाद काम और जिंदगी में संतुलन की बात पर लगातार जोर दिया जा रहा है।’
 कुमार के अनुसार, कर्मचारी तेजी से उन कंपनियों के लिए प्राथमिकता दिखा रहे हैं जो उनके समय को महत्त्व देती हैं और जहां काम का एक समावेशी माहौल है और जहां विविधता और स्थिरता को प्राथमिकता दी जाती है।
 कुमार ने कहा, ‘महामारी ने कंपनियों के कर्मचारियों को सुविधा देने के तरीके में बदलाव किया है।। महामारी के बाद कर्मचारियों की बेहतर सुरक्षा और समर्थन देने के लिए, कंपनियों ने प्रगतिशील पहल की है। हम पहले से ही भुगतान वाली छुट्टी, मानसिक स्वास्थ्य के लिए समर्थन, मातृत्व और पितृत्व अवकाश, ईएसओपी, बच्चों की देखभाल/क्रेच सुविधाओं के साथ-साथ नए दफ्तरों में थोड़ा आराम करने की सुविधा भी दी जा रही है।
 टीमलीज एडटेक की अध्यक्ष और सह-संस्थापक और टीमलीज सर्विस की वरिष्ठ उपाध्यक्ष नीति शर्मा ने नौकरी चाहने वाले लोगों में काम और जीवन के संतुलन पर बढ़ते जोर पर कुमार के विचारों पर सहमति जताई है।
 शर्मा का कहती हैं, ‘कर्मचारी अपनी कंपनियों से संतुलन बनाने के लिए कह रहे हैं। महामारी के दौरान बहुत काम करने के बावजूद किसी ने भी ज्यादा आउटपुट नहीं देखा। लेकिन अब लोगों को घर से काम करने की आदत हो गई है। कंपनियां अब घर-दफ्तर (हाइब्रिड) के मिले-जुले मॉडल पर काम कर रही हैं जिनमें दफ्तर से दो या तीन दिन काम करना अनिवार्य होगा।’ उन्होंने कहा कि चार-पांच दिवसीय कार्य सप्ताह अब भी भारत में चर्चा के चरण में है।
 हालांकि, उन्होंने कहा कि कंपनियों कर्मचारियों को काम के दिनों को चुनने की आजादी दे रही हैं जब भी वे दफ्तर में आना चाहते हों और वे कितने घंटे दफ्तर में काम करेंगे इस लिहाज से भी उन्हें आजादी दे रही हैं। कुमार के अनुसार, जॉब साइट के साथ-साथ कंपनी के रूप में कई कंपनियां ‘यू डे’ की पेशकश कर रही हैं, जहां कर्मचारियों को खुद का ख्याल रखने के लिए एक कार्य दिवस की छुट्टी मिलती है।
 कुमार ने कहा, ‘कई कंपनियां वेलनेस कार्यक्रमों में निवेश कर रही हैं, मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन बना रही हैं और अतिरिक्त अवकाश का समय भी दे रही हैं। इसके अलावा प्रतिभाशाली लोगों को कई तरह की मनोरंजन वाली गतिविधियों से जोड़ने के साथ ही जिम की सदस्यता का भुगतान भी कर रही हैं।’
 ऑप्टिमहायर की भर्ती सलाहकार, संस्थापक और मुख्य कार्या​धिकारी लक्ष्मी एम कोडाली ने बताया कि नौकरी चाहने वाले लोग स्वास्थ्य लाभ बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘पिछले कुछ वर्षों में लगभग सभी ने अपने मेडिक्लेम का इस्तेमाल किया। ऐसे में वे अब कम से कम 5 लाख रुपये के अधिक कवरेज की मांग कर रहे हैं।’
 काम करने की जगह के संदर्भ में होटल जैसे कुछ गैर-तकनीकी क्षेत्रों में अभी भी कार्यस्थल पर लोगों का उपस्थित रहना जरूरी होता है। ऐसे में उद्योग की प्रकृति को देखते हुए, उन क्षेत्रों की कंपनियों में कर्मचारियों की तरजीह पर ज्यादा जोर है जहां घर से काम संभव है।
 ऑप्टिमहायर के भर्ती सलाहकार और संस्थापक सीईओ लक्ष्मी एम कोडाली कहती हैं, ‘नौकरीपेशा लोगों को दूर से काम करने के फायदे का अहसास हो गया है। इससे न केवल आने-जाने पर लगने वाले समय और पैसे की बचत शामिल है, बल्कि इसमें यह बात भी शामिल है कि कैसे कंपनियां कर्मचारियों के काम का आकलन कर रही हैं कि वे इसे कैसे या कब करते हैं।’
 इसके अलावा, नौकरी चाहने वालों की प्राथमिकताओं में सबसे बड़ा बदलाव वेतन पैकेज से जुड़ा रहा है। शर्मा का कहना है, ‘वेतन में बढ़ोतरी की उम्मीदें बढ़ गई हैं और कुछ ने तो 100-200 फीसदी बढ़त की उम्मीद भी की है। कुछ कंपनियां वेतन में भत्तों के रूप में कई तरह के फायदे जोड़ रही हैं। हालांकि, ये सभी अल्पकालिक हैं। एक बार जब प्रतिभाशाली लोगों की कमी दूर हो जाएगी तब यह तेजी धीमी हो जानी चाहिए।’
 विशेषज्ञों का कहना है कि प्रतिभा की मौजूदा कमी ने कंपनियों के लिए टियर-2 और टियर-3 शहरों में कर्मचारियों को ढूंढना अधिक आकर्षक बना दिया है।
 इंडीड द्वारा किए गए शोध का हवाला देते हुए, कुमार ने कहा कि कोयंबत्तूर, कोच्चि और जयपुर जैसे शहरों का 2019 से पहले नौकरियों की भर्ती भी 0.1 फीसदी तक का योगदान होता था लेकिन अब दूर से काम करने या घर-दफ्तर के मिले-जुले मॉडल के तहत काम करने के विकल्प के चलते यह तादाद अब एक प्रतिशत से अधिक हो गई है।

First Published - August 21, 2022 | 10:30 AM IST

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