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बिल्डर के भरोसे बैठेंगे तो बाद में खुद को कोसेंगे

Last Updated- December 11, 2022 | 3:52 PM IST

हाल ही में नोएडा में एमरल्ड कोर्ट के भीतर सुपरटेक कंपनी के बनाए दो टावर गिरा दिए गए। उन्हें गिराने का आदेश देकर उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट संदेश दिया है कि भवन निर्माण से जुड़े नियमों और पैमानों का उल्लंघन किसी भी कीमत पर बरदाश्त नहीं किया जाएगा चाहे इमारत कितनी भी बड़ी क्यों न हो और कितने भी खर्च से क्यों न बनी हो। यह घटना उन लोगों के लिए भी सावधान होने की घंटी है, जो मकान खरीदने जा रहे हैं।
जब हम मकान खरीदने जाते हैं तो अक्सर बिल्डर हमसे सभी कागजी कार्रवाई पूरी होने, अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) मिलने और नियमों के मुताबिक ही इमारत होने का दावा करते हैं। मगर मुकदमेबाजी से या डेवलपर के साथ विवाद में उलझने से बचना है तो उसके दावों और वादों की सच्चाई जानने के लिए आपको मेहनत करनी होगी। कम से कम ट्विन टावर की घटना ने तो बता ही दिया है कि यह कवायद कितनी अहम है।
ट्विन टावर में डेवलपर ने बिल्डिंग प्लान में बार-बार बदलाव किया और मंजिलों की संख्या बढ़ाता रहा। इंडसलॉ के पार्टनर जी विवेकानंद बताते हैं, ‘नोएडा भवन नियमों में आपदाओं से बचने के लिए कुछ खास तरह के कायदे दिए गए हैं। ऊंची इमारतें बनाते समय डेवलपरों को टावरों के बीच एक खास दूरी बनाए रखनी होती है, जो टावरों की ऊंचाई के हिसाब से तय की जाती है। इस मामले में दोनों टावर नियमों में तय दूरी के मुकाबले एक-दूसरे के काफी करीब बने हुए थे।’
जब टावर एक-दूसरे के बहुत करीब बनाए जाते हैं तो सूरज की रोशनी और हवा की आवाजाही में भी रुकावट आती है। यहां उत्तर प्रदेश अपार्टमेंट अधिनियम के प्रावधानों का भी उल्लंघन किया गया था। एएनजी पार्टनर्स – एडवोकेट्स एंड सॉलिसिटर्स के मैनेजिंग पार्टनर अंशुल गुप्ता कहते हैं, ‘इस कानून के मुताबिक अगर डेवलपर किसी परियोजना में फ्लैट बेच चुका है तो उसे बिल्डिंग प्लान में बड़े बदलाव करने से पहले वहां मकान खरीद चुके लोगों की रजामंदी लेनी ही पड़ेगी। मगर इस मामले में ऐसा नहीं किया गया था।’परियोजना के शुरुआती नक्शों में उस इलाके को ग्रीन एरिया यानी हरियाली वाला हिस्सा बताया गया था। बाद में डेवलपर ने उसी जमीन पर दो टावर खड़े कर दिए, जिससे खरीदार उस हरियाली से वंचित हो गए, जिसका वादा उनसे किया गया था।
ट्विन टावर मामले से यह साफ हो गया है कि मंजूरी मिली योजना को भी ताक पर रखा जा सकता है। कॉरियर्स इंडिया के प्रबंध निदेशक (सलाहकार सेवा) शुभंकर मित्रा ने कहा, यहां डेवलपर के पास मंजूरी प्राप्त योजना थी। इससे पता चलता है कि मंजूरी मिली योजना भी मकान खरीदारों को 100 फीसदी महफूज नहीं रख पाती।’ 
किसी निर्माणाधीन परियोजना में मकान खरीदने जा रहे सभी लोगों को रियल एस्टेट सलाहकार या वकील से बात करनी चाहिए, जो उनकी ओर से पूरी जांच-पड़ताल करे। 

First Published - September 6, 2022 | 10:37 PM IST

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