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हिंदी लेखकों के लिए ओटीटी पर अपार संभावनाएं

Last Updated- December 15, 2022 | 2:14 AM IST

कोविड-19 महामारी का यह निराशाजनक दौर अगर किसी क्षेत्र के लिए सुनहरे मौके का पैगाम लेकर आया है तो वह है मनोरंजन क्षेत्र में ऑनलाइन स्ट्रीमिंग करने वाला ओवर दि टॉप (ओटीटी) मंच। सिनेमाघरों के बंद होने की वजह से महानगरों ही नहीं बल्कि मझोले और छोटे शहरों के दर्शक भी अब मनोरंजन के लिए नेटफ्लिक्स और एमेजॉन के साथ-साथ इरोस नाऊ, जी5, डिज्नी हॉटस्टार, एमएक्स प्लेयर, सोनी लिव, यप्प टीवी, वूट जैसे देशी-विदेशी ओटीटी मंचों पर ज्यादा निर्भर हो रहे हैं। देश में ओटीटी वीडियो बाजार से जुड़ी रेडसीर कंसल्टिंग की रिपोर्ट के मुताबिक मार्च और जुलाई 2020 के बीच ओटीटी क्षेत्र में सबस्क्राइबरों की तादाद 30 फीसदी तक बढ़ी और यह 2.2 करोड़ से बढ़कर 2.9 करोड़ हो गई। इसके अलावा अप्रैल-जुलाई 2020 के दौरान कुल स्ट्रीमिंग में 50 फीसदी से अधिक हिंदी भाषा का योगदान था।
नेटफ्लिक्स से मिली जानकारी के मुताबिक कंपनी हिंदी भाषा को लेकर बेहद गंभीर हैं और 2019 से लेकर इस साल तक नेटफ्लिक्स, भारत में सामग्री पर 3000 करोड़ रुपये निवेश कर रही है। हमने यहां 15 सीरीज और 22 फि ल्में रिलीज की हैं और कई नई कहानियों पर काम जारी है।’ नेटफ्लिक्स की उपाध्यक्ष (सामग्री) मोनिका शेरगिल ने कहा कि हिंदीभाषी लोगों के लिए नेटफ्लिक्स ने हिंदी यूजर इंटरफेस लॉन्च किया है ताकि लोग इस भाषा में साइन अप करने से लेकर और सामग्री सर्च भी आसानी से कर सकें।
इस वक्त कई विदेशी वेबसीरीज को भारतीय परिवेश के अनुरूप नए कलेवर में ढाला जा रहा है जिसकी वजह से हिंदी लेखकों के लिए एक बड़ा बाजार तैयार हुआ है उनकी मांग बढ़ी है। कई विदेशी कंपनियों की स्थानीय भाषा में सामग्री देने (कंटेंट लोकलाइजेशन) की रणनीति से हिंदी भाषा के लेखकों के लिए रोजगार के मौके बने हैं। डिज्नी हॉटस्टार पर रिलीज हुई सुष्मिता सेन अभिनीत वेबसीरीज ‘आर्या’ की लेखिका अनु सिंह चौधरी कहती हैं, ‘ओटीटी मंचों को अगर हिंदी भाषी क्षेत्रों और दर्शकों तक अपनी पहुंच बनानी है तो हिंदी पट्टी की कहानियां उन्हें चाहिए। हिंदी पट्टी की कहानियां कहने और लिखने वाले लोग मुंबई में नहीं हैं जो हिंदी पट्टी की भाषा, परिवेश और किरदार भी समझते हों। हमने यह देखा कि महामारी के दौरान स्क्रिप्ट की मांग बढ़ी है।’ लेकिन हिंदी लेखकों के सामने इस नए माध्यम की चुनौतियां भी हैं।
‘आर्टिकल 15’ जैसी बहुचर्चित फिल्म के लेखक गौरव सोलंकी कहते हैं, ‘इस वक्त बेहतर कहानी से भी स्टार बनने की संभावनाएं हैं। ओटीटी मंचों की वजह से दर्शकों के लिए वैश्विकस्तर की मनोरंजक सामग्री का दायरा बढ़ा है। ऐसे में हिंदी फि ल्मों और वेबसीरीज को लेकर दर्शकों की उम्मींदें और अपेक्षाएं भी बढ़ रही हैं। एक फिल्म के मुकाबले वेबसीरीज में तीन गुना ज्यादा सामग्री लगती है। लेखक को अगर एक फि ल्म के लिए 100 से भी कम पन्ने लिखने होते हैं तो 7-8 एपिसोड वाली वेबसीरीज के लिए 300-400 पन्ने तक की स्क्रिप्ट लिखनी पड़ती है जो कई बदलावों से गुजरती है।’ सोलंकी एक वेबसीरीज और  ‘फ्रीडम’ नाम की फिल्म पर काम कर रहे हैं जिसके निर्देशक दिवाकर बनर्जी हैं।
संजू, बरेली की बर्फी और जलेबी जैसी फि ल्मों के गीतकार पुनीत शर्मा मशहूर निर्देशक तिग्मांशु धूलिया की एक वेबसीरीज पर काम कर रहे हैं और वह कहते हैं, ‘लोग अब सतही सामग्री को बर्दाश्त नहीं करते हैं। ऐसे में लेखकों को नए विषय पर नए तरीके से सोचने और बेहतर कहानी लिखने का बड़ा दबाव है और प्रतिस्पद्र्धा भी बढ़ी है। अगर एक लेखक सामाजिक-आर्थिक मुद्दों से जुड़े विषयों को गहराई से कहने की क्षमता रखता है तो वह वैश्विक स्तर के दर्शकों की निगाह में आ सकता है।’ वह यह भी कहते हैं कि इस वक्त लेखकों को जितनी आजादी है और वे जितने विषयों पर सोच पा रहे हैं वैसा मौका सिनेमा या टीवी नहीं दे पाया था। वह कहते हैं,  ‘जब तक सेंसरशिप की बाधाएं नहीं हैं तब तक तो लेखकों के लिए अपार मौके हैं।’
एमेजॉन प्राइम पर बेहद मशहूर हुई वेब सीरीज ‘पंचायत’ के लेखक चंदन कुमार इंजीनियरिंग से लेखन के क्षेत्र में उतरे हैं और आजकल ‘पंचायत-2’ में मसरूफ हैं। उनका मानना है कि ऑनलाइन डिजिटल मनोरंजन प्लेटफ ॉर्म ‘टीवीएफ ‘ के लिए काम करने की वजह से उन्हें लेखन में दांव आजमाने में कोई दिक्कत नहीं आई क्योंकि उनको संगठित तरीके से काम करने का मार्गदर्शन मिल रहा था। वह कहते हैं, ‘नए लेखकों को ओटीटी मंच की जरूरतों और इस कला की समझ होनी चाहिए क्योंकि यह फि ल्मों से अलग है। वैसे जो हिंदी लेखक फ्रीलांसर के तौर पर काम करते हैं उन्हें हर स्तर पर अपना रास्ता बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।’

बढ़ा मेहनताना
फि ल्मों या टीवी के मुकाबले लेखकों को ओटीटी मंचों पर अब अच्छा पैसा भी मिल रहा है। हालांकि महामारी की वजह से इस पर थोड़ा असर जरूर पड़ेगा लेकिन ज्यादातर लेखक इस बात को स्वीकारते हैं कि ओटीटी मंचों ने लेखन को अहमियत देते हुए बेहतर मेहनताने की राह बनाई है। स्क्रीनराइटर्स एसोसिएशन ने फि ल्मों में लेखन के लिए फीस का एक स्लैब तैयार किया है जिसके मुताबिक 5 करोड़ रुपये बजट की फि ल्म के लिए लेखक को 12 लाख रुपये, 5 करोड़ रुपये से 15 करोड़ रुपये बजट के लिए 24 लाख रुपये और 15 करोड़ रुपये से ज्यादा बजट की फि ल्म के लिए लेखक को न्यूनतम 36 लाख रुपये फ ीस दी जानी चहिए। हालांकि ओटीटी के लेखन के लिए फीस का तयशुदा मानदंड नहीं है। उद्योग की मानें तो जिन लेखकों की वेबसीरीज या फिल्म आ चुकी हैं वे एक वेबसीरीज के लिए 30 लाख से 50 लाख रुपये तक लेते हैं। हालांकि नए लेखकों को एक एपिसोड के लिए 50 हजार से से 5 लाख रुपये तक मिल सकते हैं लेकिन यह बजट और प्रोडक्शन हाउस पर निर्भर करता है। लेखकों और निर्देशकों के हितों के लिए काम करने वाली एजेंसी के जरिये भी लेखक काम कर रहे हैं ताकि उनका प्रतिनिधित्व बेहतर तरीके से हो सके।

गुणवत्ता पर जोर
सोलंकी कहते हैं, ‘अब फि ल्मों के साथ-साथ वेबसीरीज में भी फि ल्मीपन कम करने और कहानी को यथार्थ के ज्यादा करीब पहुंचाने की कोशिश हो रही है। अवधि ज्यादा होने की वजह से जिस तरह किताब का लेखक किसी किरदार को विस्तार देता है वैसे ही वेबसीरीज की कहानियों में भी विस्तार देखने को मिल रहा है। दोहराव से बचते हुए मौलिकता बरकरार रखना जरूरी हो जाता है।’ वहीं अनु कहती हैं, ‘वेबसीरीज पर कई स्तरों पर काम होता है। कई दफा टीम के साथ लेखन में आपकी मूल कहानी कोई और मोड़ ले लेती है। सभी लेखकों के लिए यह आसान नहीं होता। कई बार कहानी क्रियान्वयन के स्तर पर पहुंच नहीं पाती तो आपकी साल भर की मेहनत खराब भी हो सकती है।’

ओटीटी का बढ़ता बाजार
उद्योग के अनुमान के मुताबिक देश का ओटीटी बाजार 2018 के 4,464 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023 तक 11,976 करोड़ रुपये के स्तर तक पहुंच सकता है क्योंकि इसमें अब विज्ञापन साझेदारी के लिए भी संभावनाएं तैयार हो रही हैं। टैम के आंकड़ों के मुताबिक लॉकडाउन की अवधि के दौरान ज्यादा दर्शक सबस्क्राइबर मिलने से ओटीटी विज्ञापन नें भी तेजी देखी गई और यह मार्च के मुकाबले अप्रैल में दोगुनी हो गई। देश में ओटीटी वीडियो बाजार से जुड़ी रेडसियर कंसल्टिंग की रिपोर्ट के मुताबिक मार्च और जुलाई 2020 के बीच ओटीटी के सबस्क्राइबरों की तादाद 30 फ ीसदी तक बढ़ी और यह 2.2 करोड़ से बढ़कर 2.9 करोड़ हो गई। इसके अलावा अप्रैल-जुलाई 2020 के दौरान कुल स्ट्रीमिंग में 50 फ ीसदी से अधिक हिंदी भाषा का योगदान था।

First Published - September 13, 2020 | 11:26 PM IST

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