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भारत का आर्थिक परिदृश्य मजबूत: दास

Last Updated- December 11, 2022 | 11:38 PM IST

भारत नीतियों में सख्ती की परिस्थितियों का सामना करने के लिए 2013 की तुलना में कहीं बेहतर तरीके से तैयार है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बिज़नेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई समिट के अंतिम दिन आज कहा कि तमाम अड़चनों के बावजूद भारत का वृद्घि परिदृश्य मजबूत बना हुआ है और आरबीआई ने विकास दर को पटरी पर लाने के लिए सरकार के साथ पूरा सहयोग किया है।
दास ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था अब भी विकास के लिए जूझ रही है लेकिन आरबीआई को पूरा भरोसा है कि चालू वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था 9.5 फीसदी की दर से विकास करेगी। उन्होंने कहा, ‘विकास की संभावना मजबूत हुई है। वृद्घि के संकेतक बहुत सकरात्मक हैं और हम सकल घरेलू उत्पाद में 9.5 फीसदी की अनुमानित वृद्घि दर हासिल कर लेंगे।’ दास ने कहा कि पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में हालिया कटौती मुद्रास्फीति के लिहाज से महत्त्वपूर्ण है और खाद्य मुद्रास्फीति भी अब नियंत्रण में दिख रही है। सरकार ने भी आपूर्ति पक्ष की चुनौतियों को दूर करने की पहल की है। हालांकि मुख्य मुद्रास्फीति उच्च स्तर पर बनी हुई है और आरबीआई उस पर करीब से नजर रखे हुए है। आरबीआई गवर्नर ने उम्मीद जताई कि मुद्रास्फीति 5.3 फीसदी के पहले से लक्षित दायरे में ही रहेगी मगर तेजी से बदलते परिदृश्य पर भी आरबीआई की नजर है।
केंद्रीय बैंक बैंकिंग तंत्र में तरलता की स्थिति को संतुलित बनाने में जुटा है और आरबीआई सभी उपाय बहुत सोच-विचार के उपरांत ही करता है। उन्होंने कहा कि 1 लाख करोड़ रुपये के दीर्घावधि रीपो ऑपरेशन (एलटीआरओ) का पैसा आरबीआई के पास वापस आ गया है।
अधिशेष तरलता के कारण ओवरनाइट और अल्पावधि उधारी की दरें काफी कम हुई हैं और यह रीपो दर 3.35 फीसदी के आसपास हैं।
दास ने कहा कि आरबीआई अब बॉन्ड प्रतिफल का निर्धारण बॉन्ड बाजार पर छोड़ रहा है, खास तौर पर अल्पावधि की दरों के लिए। उन्होंने कहा कि पिछले साल के उलट इस बार केंद्रीय बैंक ब्याज दरें निर्धारित करने में सक्रियता नहीं दिखा रहा है।
भारत के पास विदेशी मुद्रा का रिकॉर्ड भंडार है, जो विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में ज्यादा भरोसा और सुरक्षा देता है। उन्होंने कहा, ‘आज हम ज्यादा सहज स्थिति में हैं। हम 2013 की तरह चुनौतियां नहीं देख रहे हैं।’ दास ने इस तरह के सुझावों को सिरे से खारिज किया है कि आरबीआई को न्यूनतम आर्थिक पूंजी बरकरार रखने के लिए सरकार से पूंजी की जरूरत होगी। उन्होंने कहा, ‘पर्याप्त तरलता और कम ब्याज दर से आवास ऋण में जल्द तेजी आने की उम्मीद है लेकिन हर बैंक को सतर्क रहना चाहिए ताकि उनकी जोखिम आकलन क्षमता खुदरा ऋण में बेजा वृद्घि का पता लगा सके।’ उन्होंने कहा कि अगले साल से कॉर्पोरेट क्षेत्र से भी कर्ज की मांग बढ़ेगी क्योंकि ये फर्में कम ब्याज दर होने के कारण अभी बॉन्ड बाजार में जा रही हैं।
कहा जा रहा है कि फिनटेक और बड़ी तकनीकी कंपनियों के बैंकिंग क्षेत्र में आने पर आरबीआई के पास उनका प्रबंधन करने के लिए पर्याप्त कौशल नहीं है। इस पर दास ने कहा, ‘हमने नियमन विभाग में फिनटेक विभाग गठित किया है। हमारे पास पर्याप्त दक्षता है।’ लेकिन डिजिटल दुनिया नियामक के लिए नई चुनौतियां भी खड़ी कर रही है। उन्होंने कहा कि फिनटेक कोई खतरा नहीं हैं लेकिन बैंकों को तकनीक कुशल होना चाहिए और उन्हें अपनी तकनीक को उन्नत बनाने पर ध्यान देना चाहिए।
केंद्रीय बैंक ने क्रिप्टोकरेंसी पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि निजी वर्चुअल करेंसी वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम पैदा कर सकती है। आरबीआई ने इस बारे में सरकार के सामने विस्तृत प्रस्तुति दी है और उस पर काम किया जा रहा है।दास ने कहा कि भारत का समग्र परिदृश्य सकारात्मक है। उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना, बुनियादी ढांचे पर व्यय, एयर इंडिया का निजीकरण और दूरसंचार क्षेत्र के संकट का समाधान करने जैसे सरकार के कदम भारत के विकास की गाथा के अनुरूप हैं।

First Published - November 10, 2021 | 9:58 PM IST

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