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क्षमता बढ़ाने पर होगा निवेश

Last Updated- December 11, 2022 | 7:32 PM IST

भारतीय कंपनियां वित्त वर्ष 2023 में नई क्षमता के सृजन पर निवेश बढ़ाने की योजना बना रही हैं क्योंकि महामारी एवं लॉकडाउन के कारण दो साल की मंदी के बाद उपभोक्ता मांग में बढ़त के संकेत नजर आ रहे हैं। इस महीने किए गए मुख्य कार्याधिकारियों के सर्वेक्षण से इसका पता चलता है।
इस समाचार-पत्र ने 19 सीईओ का सर्वेक्षण किया, जिनमें आधे से ज्यादा ने कहा कि वे चालू वित्त वर्ष में अपना निवेश पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 25 फीसदी से अधिक बढ़ाने की योजना बना रह हैं। केवल 10.5 फीसदी ने यह कहा कि वे वित्त वर्ष 2022 की तुलना में निवेश घटाएंगे। इस महीने की शुरुआत में भारतीय रिजर्व बैंक ने अनुमान जताया था कि कारोबारी आत्मविश्वास सुधरने, बैंक ऋणों में बढ़ोतरी और सड़कों एवं राजमार्गों में सरकार के पूंजीगत व्यय जारी रहने से निवेश की रफ्तार तेज होने के आसार हैं।
विनिर्माण क्षेत्र में क्षमता उपयोग वित्त वर्ष 2022 की दिसंबर तिमाही में सुधरकर 72.4 फीसदी पर पहुंच गया, जो इससे पिछली तिमाही में 68.3 फीसदी था। इस तरह मार्च 2020 में समाप्त तिमाही में क्षमता उपयोग महामारी से पहले के 69.9 फीसदी के स्तर को भी पार कर गया है। आम तौर पर भारतीय कंपनियां नई परियोजनाओं के लिए योजना उस समय बनाना शुरू करती हैं, जब स्थापित क्षमता का उपयोग 75 फीसदी को पार कर जाता है। रिलायंस, टाटा समूह, जेएसडब्ल्यू और अदाणी समूह उन शीर्ष कंपनियों में शामिल हैं, जो पहले ही नवीकरणीय ऊर्जा, इस्पात संयंत्रों और सेमीकंडक्टर कारोबार में अरबों डॉलर के निवेश की घोषणा कर चुकी हैं। उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजनाओं से भी कंपनियों को नई क्षमता के सृजन पर निवेश करने को प्रोत्साहन मिला है। एक विनिर्माण कंपनी के सीईओ ने नाम प्रकाशित नहीं करने का आग्रह करते हुए कहा, ‘मांग निश्चित रूप से बढ़ी है। इससे आपूर्ति से संबंधित अवरोध सामने आए हैं क्योंकि बहुत से लघु एवं मझोले उद्योग बंद हो चुके हैं और बड़े उद्योगों को कार्मिकों की उपलब्धता में दिक्कतें आ रही हैं।’
टाटा स्टील के सीईओ एवं एमडी और भारतीय उद्योग परिसंघ के एमडी और अध्यक्ष टीवी नरेंद्रन ने सोमवार को कहा कि सीआईआई के करीब 70 फीसदी सदस्यों ने इस साल पूंजीगत व्यय पर ज्यादा खर्च की योजना बनाई है। वैश्विक स्तर पर जिंसों की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण कच्चे माल की बढ़ती लागत सीईओ की मुख्य चिंता थी। सर्वेक्षण में शामिल 36.8 फीसदी सीईओ ने कहा कि उनकी आमदनी पर कोई असर नहीं होगा जबकि  26.3 फीसदी सीईओ ने कहा कि उनकी लागत पर 1 से 1.25 फीसदी असर पड़ेगा।
(देव चटर्जी के साथ शैली मोहिले, शिवानी शिंदे, ईशिता आयान दत्त, विनय उमरजी और शाइन जैकब)

First Published - April 27, 2022 | 1:11 AM IST

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