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साल 2020 में ऑनलाइन खेलों का रहा दबदबा

Last Updated- December 10, 2022 | 2:13 AM IST

गंभीर आर्थिक संकट के चलते साल 2020 में कई कारोबार या तो बंद होने के लिए मजबूर हो गए या कुछ बहुत मुश्किल से खुद को बचाने में सफल हुए। हालांकि इस दौर में भी, ऑनलाइन गेमिंग एक ऐसा उद्योग था जिसने न केवल विस्तार किया, बल्कि नए ग्राहकों के साथ साथ कई निवेशक भी इस ओर आए।  
ऑनलाइन रिटेलर्स, ओवर-द-टॉप (ओटीटी) सेवाएं, हैंड सैनिटाइजर निर्माता और फूड डिलिवरी एग्रीगेटर महामारी में काफी लाभान्वित हुए हैं, लेकिन ये सब गेमिंग प्लेटफार्मों की आश्चर्यजनक सफलता के सामने काफी छोटे हैं, जिन्होंने  लॉकडाउन के बीच रिकॉर्ड ट्रैफिक को आकर्षित किया।
मोबाइल प्रीमियर लीग (एमपीएल) के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी साई श्रीनिवास का कहते हैं, ‘पिछले कुछ महीनों में हमारे उपयोगकर्ताओं की संख्या 4 करोड़ से बढ़कर 7 करोड़ से अधिक हो गई है। साथ ही, प्लेटफॉर्म पर कुछ लोकप्रिय खेलों के ग्राहकों की संख्या में 400 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी गई है।’
अन्य लोकप्रिय गेमिंग प्लेटफॉर्मों ने भी इसी तरह के आंकड़े जारी किए हैं। लाइव स्ट्रीमिंग ऐंड एस्कॉर्ट ऐप लोको ने लॉकडाउन के महीनों के दौरान उपयोगकर्ताओं की संख्या में 20 प्रतिशत की वृद्धि देखी है। साल की शुरुआत में प्रारंभ हुए ई-वार गेम ने पहले पांच महीनों में ही 5,00,000 से अधिक उपयोगकर्ता पूरे कर लिए है। कुल मिलाकर, गेमिंग ऐप्स ने इस वर्ष की पहली छमाही के दौरान उपभोक्ताओं की संख्या में 40-50 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर्ज की है।
साल 2020 में मोबाइल फोन के उपयोग में वृद्धि के साथ-साथ इंटरनेट का उपयोग भी तेजी बढ़ा है। गेमिंग फर्म पॉकेट52 के मुख्य विपणन अधिकारी देवाशिष भट्टाचार्य कहते हैं, ‘अगर हम महामारी को एक तरफ छोड़ दें, तो भी इस क्षेत्र में तेजी देखने को मिलेगी। क्लाउड कंप्यूटिंग में हालिया वृद्धि से ऑनलाइन गेमिंग के विकास में मदद मिली है। साथ ही, पोकर और रम्मी, हमेशा से भारत के घर-घर में खेले जाने वाले गेम रहे हैं।’
लूडो और रम्मी जैसे सामान्य खेल, ‘कौशल आधारित’ हैं और अधिकांश राज्यों में कानूनी है। इन खेलों का तेजी से विस्तार हो रहा है और इनमें मिलने वाले नकद पुरस्कारों के साथ-साथ पुरानी पीढ़ी के बीच उनकी लोकप्रियता के कारण ये खेलने और समझने में आसान है। यह बताता है कि साल 2020 में लूडो किंग को गूगल प्ले स्टोर पर 50 करोड़ से अधिक बार इंस्टॉल आखिर क्यों किया गया।
फैंटेसी गेम भी इसमें बहुत पीछे नहीं रहे। भले ही बीता साल खेलों के लिए बेहतर न रहा हो लेकिन इंडियन प्रीमियर लीग के 13 वें सीजन ने इन प्लेटफार्मों के लिए उत्प्रेरक का कार्य किया, जिनमें से कई आक्रामक विज्ञापन के माध्यम से और ब्रांड ऐंबेसडर बनकर प्रशंसकों की भावनाओं को भुनाया। जनवरी 2020 में लॉन्च हुए फैंटेसी अखाडा में इस साल 2 लाख से अधिक उपभोक्ता जुड़े। ऐप के संस्थापक अमित पुरोहित ने कहा, ‘यह सच है कि कुछ बड़े कार्यक्रमों के लिए उद्योग के प्रमुख खिलाड़ी टाइटल प्रायोजक थे, जिससे अधिक लोग इन ऐप पर आएं।’
मनोरंजन के पारंपरिक साधनों के साथ गेमर्स ने वीडियो गेम कॉम्पिटीशन की ओर रुख किया, जो न केवल मजेदार हैं, बल्कि सामाजिक भी हैं। द एस्पोट्र्स क्लब में सह-संस्थापक ईशान आर्य ने कहा, ‘इसके कारण, माता-पिता बच्चों के साथ वीडियो गेम खेलने में सहज थे। देश में काफी समय तक जिस गेमिंग उद्योग की नकारात्मक छवि थी, अब लोगों की सोच बदल रही है जो एक सकारात्मक कदम है।’ उन्होंने कहा कि पिछले नौ महीनों में इसके प्रति जागरूकता और स्वीकार्यता बहुत बढ़ गई है, जो स्वागत योग्य है, इसी के कारण उनके दर्शकों की संख्या एक महीने में एक लाख बढ़कर कुल 10 लाख को पार कर गई है।
हालांकि, इस दौरान केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए लोकप्रिय ऐप पबजी एवं बैटलग्राउंड पर प्रतिबंध लगाकर एक झटका दिया था। उद्योग के हितधारकों का कहना है कि यह निर्णय एक अहम झटका था और कई उपभोक्ताओं की भावनाएं आहत हुई थीं। हालांकि ई-वॉर गेम्स के संस्थापक पार्थ चड्ढा का कहना है कि इस प्रतिबंध ने गेमर्स के बीच देश की भावना को मजबूत करने में मदद की। वह कहते हैं, ‘लोगों ने दूसरे ऐप का उपयोग शुरू किया। जिनमें कॉल ऑफ ड्यूटी और फ्री फायर अहम रहे। इससे हमने महसूस किया कि केवल एक स्पोट्र्स गेम होने के कारण ही इसके ग्राहकों की संख्या नहीं बढ़ी है बल्कि यहां लोगों की आंतरिक भावनाएं भी जुड़ी हैं, जो इसके विस्तार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।’ वास्तविक धन को शामिल करने वाले खेल कुछ दूसरी चुनौतियों से भी जूझ रहे हैं और उन्हें इस धारणा के खिलाफ भी लडऩा है कि वे ‘जुआ’ को प्रोत्साहित नहीं कर रहे हैं। विज्ञापन मानक परिषद ने ऐसे खेलों को बढ़ावा देने वाली कंपनियों के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए थे, जो आवश्यक भी थे। हालांकि, एक बड़े पैमाने पर अस्पष्ट नियामकीय ढांचे वाले क्षेत्र में, इस कदम को सही तरीके से लिए गया। पुरोहित कहते हैं, ‘यह एक संकेत था कि हम स्पष्ट दिशानिर्देशों की ओर बढ़ रहे हैं। यह अनिश्चितता से बहुत बेहतर है।’
यह भी शायद विकास का एक संकेत है जो अब तेजी से बढ़ रहा है। केपीएमजी के अनुसार, गेमिंग ऐप डाउनलोड (तीस लाख सालाना) और सबसे तेजी से बढ़ते मोबाइल गेमिंग बाजार की दृष्टि से भारत सबसे बड़ा उभरता हुआ बाजार है। भारत में 400 से अधिक गेमिंग स्टार्टअप हैं और मेपल कैपिटल एडवाइजर्स का मानना है कि साल 2024 तक इस उद्योग का आकार 3.75 अरब डॉलर हो जाएगा। इसके अलावा, गेम खेलने वालों की संख्या अगले दो वर्षों में 32 करोड़ से बढ़कर 47 करोड़ पहुंचने का अनुमान है।  लोको ऐप को विकसित करने वाली डिजिटल मनोरंजन कंपनी पॉकेट ऐस के संस्थापक अनिरुद्ध पंडिता कहते हैं, ‘गेमिंग एवं गेम स्ट्रीमिंग में मनोरंजन का भविष्य है क्योंकि मनोरंजन एक ऐसा  विषय है जिसमें हम डूब जाते हैं। ये गेम हमें एक ऐसी दुनिया में ले जाते हैं जहां हमें अन्य लोगों के साथ उनके अनुभव समझने का अवसर मिलता हैं। हम मोबाइल को प्राथमिकता देने वाले देश में रहते हैं , इसलिए यहां खिलाड़ी बाकी देशों के मुकाबले ऑनलाइन खेलों पर कहीं अधिक समय बिताते हैं।’

First Published - January 6, 2021 | 11:46 PM IST

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