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कोविड प्रतिबंधों से मुश्किल में रेस्तरां

Last Updated- December 11, 2022 | 10:15 PM IST

देश भर में रेस्तरां मालिकों को आगे मुश्किलें नजर आ रही हैं। कोविड-19 की वजह से लगाए गए नए प्रतिबंधों ने दूसरी लहर के बाद आ रहे सुधार को पटरी से उतार दिया है। ज्यादातर रेस्तरां मालिकों ने इस अनिश्चितता के कारण विस्तार योजनाएं रोक दी हैं और कारोबार में कमी की भरपाई के लिए राहत की मांग की है। रेस्तरां मालिकों का कहना है कि अगर परिचालन के घंटों और क्षमता की मौजूदा बंदिशें बरकरार रहीं तो उन्हें अपने कामगारों को हटाने जैसे मुश्किल फैसले लेने होंगे।
महानगरों के रेस्तरां मालिकों ने कहा कि महानगरों में रेस्तरां पहले ही सरकारी दिशानिर्देशों के मुताबिक आधी क्षमता पर चल रहे थे। दिल्ली सरकार की तरफ से सोमवार को घोषित अतिरिक्त दिशानिर्देशों से उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं, जिनमें रेस्तरां को रात 10 बजे बंद करना अनिवार्य किया गया है।
रेस्तरां मालिकों का कहना है कि उन पर सरकार के निर्देशों की सीधी मार पड़ रही है। इस उद्योग को करीब तीन साल से लगातार घाटा उठाना पड़ रहा है। नई दिल्ली की न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में पेबल स्ट्रीट कैफे के निदेशक आशीष आहूजा ने कहा, ‘हम सभी नियमों का पालन करते हैं, लेकिन फिर भी हमें ही मार झेलनी पड़ रही है। पैकिंग और डिलिवरी का अभी कारोबार में मामूली हिस्सा है और यह हमारे कारोबार के लिए उपयुक्त नहीं है।’
आहूजा के लिए महामारी बड़ी चुनौतीपूर्ण रही है। उन्हें पहली लहर के दौरान कनॉट प्लेस (सीपी) में कैफे का एक आउटलेट बंद करना पड़ा। उन्होंने कहा, ‘सीपी मेंं एक आउटलेट गंवाने से हमारा कारोबार कम हो गया था, इसलिए उम्मीद है कि हम अब कर्मचारी नहीं गवाएंगे। हम कम लागत के मॉडल पर परिचालन करते हैं, लेकिन हमारे लिए भी घाटा उठाने की एक सीमा है।’
राष्ट्रीय राजधानी में रोजाना करीब 20,000 मामले आ रहे हैं, इसलिए दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने सभी रेस्तरां में खाना खाने और बार पर मंगलवार से रोक लगा दी है। केवल रेस्तरां को पैक करके देने या डिलिवरी करने की मंजूरी होगी।
इम्प्रेसारियो हैंडमेड रेस्टोरेंट्स के सीईओ एवं एमडी रियाज अमलानी ने इस आदेश को मनमानी करार देते हुए कहा, ‘हम उन लोगों के आदेशों का पालन कर रहे हैं, जिन्हें ये फैसले लेने का अधिकार है। लेकिन हम चाहते हैं कि हमें इस बारे में कुछ बताया जाता कि वे यह क्यों मानते हैं कि इससे मदद मिलेगी। यह एक प्रभावी उपाय नहीं है।’ नैशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया रिपोर्ट के मुताबिक महामारी की पहली दो लहरों के बाद करीब 25 फीसदी खाद्य कारोबार के उद्यमियों ने अपना कारोबार पूरी तरह बंद कर दिया है और 24 लाख लोगों का रोजगार छिन गया है। भारत के खाद्य बाजार का आकार घटकर वित्त वर्ष 2021 में 2,00,762 करोड़ रुपये पर आ गया, जो वित्त वर्ष 2020 में 4,23,624 करोड़ रुपये रहा था। रेस्टोरेंट एसोसिएशन के मुताबिक अगर तत्काल राहत के उपाय नहीं किए गए तो उद्योग ‘स्थायी रूप से कमजोर’ हो जाएगा।
इन प्रतिबंधों से अन्य शहरों के रेस्तरां मालिक भी खफा हैं। फेडरेशन ऑफ होटल ऐंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएचआरएआई) के उपाध्यक्ष गुरबक्श सिंह कोहली ने कहा, ‘सरकार और मीडिया ने मनोरोग पैदा कर दिया है। लोगों को सतर्कता और चिंता नहीं करने की सलाह के बजाय इसकी एक लंबी फेहरिस्त तैयार की गई है कि क्या न करें। इसके नतीजतन लोग बाहर नहीं निकल रहे हैं। सभी रेस्तरां सुनसान हैं। इनमें लोगों की आवक क्षमता की महज 15 फीसदी रह गई है, जो पहले 80 फीसदी तक थी।’
अन्य के कारोबार में भारी गिरावट आई है। कोलकाता के स्पेशियलिटी रेस्टोरेंट के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अंजन चटर्जी ने कहा कि दूसरी लहर के बाद कारोबार सुधर लगा था। असल में यह त्योहारी सीजन की बदौलत कोविड से बेहतर हो गया था। लेकिन अब कारोबार 60 फीसदी तक घट गया है।
होटल्स ऐंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन (एचआरए) के गुजरात चैप्टर के अध्यक्ष नरेंद्र सोमानी ने कहा कि इस महीने की शुरुआत से कारोबार सामान्य से 40 फीसदी कम हो गया है।

First Published - January 11, 2022 | 11:33 PM IST

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