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सिटाग्लिप्टिन का पेटेंट होगा खत्म, आएंगे 200 जेनरिक ब्रांड

Last Updated- December 11, 2022 | 5:45 PM IST

मधुमेह यानी डायबिटीज का उपचार करने वाले प्रमुख दवा मॉलिक्यूल सिटाग्लिप्टन का पेटेंट इसी महीने खत्म होने जा रहा है। उद्योग को उम्मीद है कि अगले दो महीने में इस श्रेणी में 50 दवा कंपनियों के कम से कम 200 नए ब्रांड बाजार में आ सकते हैं। उद्योग के जानकारों का कहना है कि इससे ग्राहकों को भी लाभ होगा क्योंकि नए ब्रांड आने से इस दवा की कीमत 50 से 70 फीसदी तक कम हो सकती है।
सिटाग्लिप्टिन को मर्क ऐंड कंपनी ने तैयार किया था और इसका पेटेंट खत्म होते ही भारतीय दवा बाजार में बड़े पैमाने पर इसका जेनरिक संस्करण उतारा जा सकता है। ​टाइप 2 मधुमेह के उपचार में इस्तेमाल होने वाले अपेक्षाकृत नए समूह की दवाओं को ग्लिप्टिन नाम दिया गया है। भारत में मधुमेह-रोधी टैबलेट का बाजार करीब 16,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
इसका जेनरिक संस्करण लाने की प्रक्रिया शुरू भी हो चुकी है। मुंबई की ग्लेनमार्क फार्मा ने कहा कि उसने सिटा​ग्लिप्टिन और इसके कॉम्बिनेशन का जेनरिक प्रारूप बाजार में उतारा है जिसकी एक गोली का दाम 10.50 रुपये से 19.90 रुपये के बीच है। सिटा​ग्लिप्टिन ब्रांड की एक गोली अभी 38 से 42 रुपये में मिलती है।
बाजार शोध फर्म अवाक्स की अध्यक्ष शीतल सापले ने कहा कि सिटा​ग्लिप्टिन का पेटेंट जुलाई में खत्म हो जाएगा, जो देश के दवा बाजार के लिए अच्छा मौका होगा और उसका फायदा उठाने की कोशिश भी की जाएंगी। उन्होंने कहा, ‘अभी मधुमेह-रोधी गोली के बाजार में करीब 200 कंपनियां है और कुल बिक्री में 80 फीसदी हिस्सेदारी शीर्ष 20 कंपनियों की है।’ सापले का अनुमान है कि 50 कंपनियों के 200 से अ​धिक ब्रांड जुलाई-अगस्त तक सिटा​ग्लिप्टिन के बाजार में आ सकते हैं। भारतीय फार्मा बाजार में दवाओं का पेटेंट खत्म होने के बाद जेनरिक संस्करण उतारने की होड़ लगी रहती है। उदाहरण के लिए विल्डाग्लिप्टिन और विल्डाग्लिप्टन-मेटफॉर्मिन कॉम्बिनेशन  का पेटेंट खत्म होने के बाद साल भर के भीतर ही इसके ब्रांड 8 से बढ़कर 150 तक पहुंच गए। इस समय देसी बाजार में इसके 209 ब्रांड मौजूद हैं। इसी तरह डैपा​ग्लिफ्लोजिन और डैपाग्लिफ्लोजिन-मेटमॉर्फिन कॉम्बिनेशन का पेटेंट खत्म होने पर महीने भर में इसके ब्रांड 9 से बढ़कर 80 हो गए।
उद्योग मानता है कि कीमत गिरना पक्का है। सिटा​​ग्लिप्टिन का जेनरिक संस्करण लाने की तैयारी कर रही मुंबई की एक कंपनी के वरिष्ठ सेल्स एवं मार्केटिंग अ​धिकारी ने कहा कि वि​भिन्न ब्रांडों की दवा की कीमत घटकर प्रति गोली 12 से 17 रुपये रह सकती है। फिलहाल इसकी कीमत 38 रुपये प्रति गोली है।
कुछ साल पहले 2015 में जब टेनेलि​ग्लिप्टिन का पेटेंट खत्म हुआ था तब ग्लेनमार्क पहली भारतीय कंपनी थी, जिसने 55 फीसदी कम दाम पर इसकी जेनरिक दवा बाजार
में लाई थी। इसके बाद कई अन्य कंपनियां भी जेनरिक संस्करण लेकर आईं, जिससे कीमत कम करने की जंग छिड़ गई। दिसंबर 2019 में नोवार्तिस की विल्डा​ग्लिपटिन का पेटेंट खत्म होने के बाद बाजार में इसके कई जेनरिक संस्करण आए और महीने भर में इस दवा की कीमत 70 फीसदी तक घट गई थी।
इसी तरह अक्टूबर 2020 में एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित डैपा​ग्लिफ्लोजिन का पेटेंट खम हुआ था। भारत में इसका लाइसेंस सन फार्मा के पास था और उसके ब्रांड की कीमत 30 रुपये प्रति गोली थी। इसी के जेनरिक ब्रांडों में दवा की कीमत 11 से 15 रुपये प्रति गोली है।
मधुमेहरोधी दवा की श्रेणी में कई पेटेंट खत्म हुए हैं, जिससे बाजार का ग​​णित बदल गया है। सापले ने कहा कि ​ग्लिप्टिन और ​ग्लिफ्लोजिन की बाजार हिस्सेदारी बढ़ने की प्रमुख वजह इसके दाम का कम होना है।

First Published - July 8, 2022 | 12:00 AM IST

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