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पुरानी दिक्कतों से लगातार जूझ रहा टाटा समूह

Last Updated- December 12, 2022 | 2:23 AM IST

टाटा संस से रतन टाटा के सेवानिवृत्त होने के करीब एक दशक बाद और समूह से साइरस मिस्त्री को बाहर किए जाने के करीब पांच साल बाद भी भारत में निजी क्षेत्र का सबसे बड़ा कारोबारी समूह टाटा समूह पुरानी दिक्कतों से ही जूझ रहा है। 

तगड़ा मुनाफा देने वाली टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) को छोड़ दें तो समूह की सूचीबद्ध कंपनियों को वित्त वर्ष 2021 में समेकित शुद्घ घाटा हुआ है और यह घाटे का लगातार तीसरा साल था। टीसीएस को छोड़कर समूह की सूचीबद्ध कंपनियों को वित्त वर्ष 2021 में संयुुक्त रूप से 3,405 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ, जो वित्त वर्ष 2020 में 2,996 करोड़ रुपये था। टीसीएस समेत समूह की सूचीबद्ध कंपनियों को पिछले वित्त वर्ष में संयुक्त रूप से 29,025 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ, जो वित्त वर्ष 2020 के मुनाफे 29,344 करोड़ रुपये से मामूली कम था। इसीलिए समूह की वित्तीय स्थिति टीसीएस के वित्तीय प्रदर्शन और नकदी आवक पर अत्यधिक निर्भर है। टीसीएस को वित्त वर्ष 2021 में 32,430 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ, जो समूह की कंपनियों की संयुक्त आमदनी से अधिक है।

वित्त वर्ष 2021 में समूह का वित्तीय अनुपात लगातार तीसरे साल सुधरा है, लेकिन टीसीएस को छोड़कर टाटा की सबसे बड़ी कंपनियां अपने कारोबार में लगाई गई पूंजी पर पर्याप्त कमाई कर रही हैं। टीसीएस को छोड़कर समूह की कंपनियों का लगाई गई पूंजी पर प्रतिफल (आरओसीई) 5.4 फीसदी रहा, जो एक साल पहले के 3.8 फीसदी से अधिक है। लेकिन यह सेंसेक्स की कंपनियों के करीब 11 फीसदी के आरओसीई के आधे से भी कम है। हालांकि टीसीएस समेत समूह का संयुक्त आरओसीई 11.2 फीसदी रहा, जो एक साल पहले के 10 फीसदी से अधिक है। अच्छी बात यह है कि एक दशक तक कर्ज में बढ़ोतरी के बाद पहली बार समूह की बैलेंस शीट में कर्ज घटता दिखा है। समूह की संयुक्त उधारी वित्त वर्ष 2021 में साल भर पहले के मुकाबले 4 फीसदी कम रही। वित्त वर्ष 2010 के बाद पहली बार कर्ज में गिरावट आई। इस गिरावट की अगुआ टाटा स्टील रही है, जिसने इस्पात क्षेत्र में स्थितियां सुधरने का फायदा उठाकर पिछले वित्त वर्ष में करीब 28,000 करोड़ रुपये का कर्ज लौटा दिया। नतीजतन समूह की कंपनियों का संयुक्त कर्ज घटकर वित्त वर्ष 2021 के अंत में 3.35 लाख करोड़ रुपये रह गया, जो वित्त वर्ष 2020 के आखिर में 3.49 लाख करोड़ रुपये था। 

समूह का इक्विटी के मुकाबले कुल कर्ज वित्त वर्ष 2021 में 1.18 गुना रह गया, जो एक साल पहले 1.27 गुना था। इक्विटी के मुकाबले शुद्ध कर्ज का अनुपात सुुधरकर 0.91 गुना हो गया, जो एक साल पहले 1.05 गुना था।

मगर टाटा मोटर्स, इंडियन होटल्स और सूचीबद्ध दूरसंचार कंपनी टाटा टेलिसर्विसेज (महाराष्ट्र) समूह के लिए चिंता का विषय बनी हुई हैं। इन तीनों के मोटे घाटे ने टाटा स्टील, टाटा कंज्यूमर, वोल्टास और टाटा एलेक्सी जैसी कंपनियों का लाभ बराबर कर दिया। समूह के खुदरा उद्यम- टाइटन और ट्रेंट भी पिछले वित्त वर्ष में कोविड-19 से प्रभावित हुए। ट्रेंट को एक दशक से भी ज्यादा समय में पहली बार वित्त वर्ष 2021 में शुद्ध घाटा हुआ। टाइटन के शुद्घ लाभ में वित्त वर्ष 2020 के मुकाबले 42 फीसदी गिरावट आई। मगर विश्लेषकों का अनुमान है कि देश भर में खुदरा परिचालन सामान्य होने पर इन कंपनियों के कारोबार में वित्त वर्ष 2022 में तेजी से सुधार आएगा। 

समूह में तीसरी सबसे अधिक ऋणग्रस्त कंपनी टाटा पावर का शुद्ध लाभ वित्त वर्ष 2021 में दो अंकों में बढ़ा, लेकिन इसकी आमदनी कर्ज और इसके परिचालन में लगाई हुई पूंजी के मुकाबले कम बनी हुई है।

टाटा मोटर्स को लगातार घाटा होना टाटा संस के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बना हुआ है क्योंकि इस प्रमुख वाहन कंपनी का समूह की परिसंपत्तियों में एक-तिहाई और समूह की सभी सूचीबद्ध कंपनियों की संयुुक्त उधारी में 40 फीसदी हिस्सा है। समूह के स्तर पर शुद्ध घाटे की मुख्य वजह टाटा मोटर्स और टाटा टेलिसर्विसेज (महाराष्ट्र) (टीटीएमएल) की वित्तीय समस्याएं थीं। टाटा मोटर्स को वित्त वर्ष 2021 में 13,452 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ। टीटीएमएल को कम राजस्व और ऊंची परिचालन लागत के कारण पिछले वित्त वर्ष में 1,997 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ। इन दो कंपनियों के भारी-भरकम घाटे ने टाटा स्टील के मुनाफे को बरबाद कर दिया।

First Published - July 26, 2021 | 11:29 PM IST

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