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भारतीय गेमिंग उद्योग के लिए मंजिल अभी नजर आ रही दूर

Last Updated- December 11, 2022 | 8:58 PM IST

देश में गेमिंग स्टार्टअप कंपनियों ने हालांकि पिछले कुछ सालों में निवेशकों की अच्छी-खासी रुचि पैदा की है, लेकिन इस क्षेत्र ने सरकार का पर्याप्त ध्यान आकृष्ट नहीं किया है। कर्नाटक, जो उन कुछ राज्यों में से एक है जिन्होंने एनिमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग और कॉमिक्स (एवीजीसी) नीति की घोषणा की है, बड़ा अपवाद रहा है। इस साल जनवरी में इसने गेमिंग के लिए अपने पहले उत्कृष्टता केंद्र की शुरुआत की है, हालांकि इस नीति की घोषणा के लगभग एक दशक बाद ऐसा किया गया है।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने पिछले साल भारतीय उद्योग परिसंघ के एक कार्यक्रम में एवीजीसी क्षेत्र के महत्त्व पर प्रकाश डाला था। मंत्री ने कहा था ‘एवीजीसी नौ प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है और वर्ष 2024 तक करीब तीन लाख करोड़ रुपये (43.93 अरब डॉलर) तक पहुंचने की उम्मीद है, जो 13.5 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक विकास दर या सीएजीआर है।’ उन्होंने यह भी कहा कि इस क्षेत्र में क्रिएट इन इंडिया और ब्रांड इंडिया का पथ प्रदर्शक बनने की संभावना है।
इस साल के बजट से इस विचार को विस्तार मिला है। अपने बजट भाषण में एवीजीसी प्रमोशन टास्क फोर्स की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि एनीमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग और कॉमिक्स क्षेत्र युवाओं को रोजगार देने की भारी संभावनाएं प्रदान करता है। सभी हितधारकों के साथ एक एवीजीसी प्रमोशन टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा ताकि इसे साकार करने के तरीकों की सिफारिश की जा सके और हमारे बाजारों तथा वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए घरेलू क्षमता का निर्माण हो सके।

तय करना है लंबा सफर
अलबत्ता भारत को इस क्षेत्र में अन्य देशों की क्षमता के अनुरूप पहुंचने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है। हालांकि एनिमेशन, विजुअल इफेक्ट्स और कॉमिक्स के संबंध में अलग से आंकड़े उपलब्ध नहीं है, लेकिन तकनीकी कंपनियों पर नजर रखने वाली ट्रैक्सन टेक्नोलॉजीज के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि भारत गेमिंग क्षेत्र की स्टार्टअप कंपनियों की संख्या और इस क्षेत्र में फंड प्रवाह दोनों के ही लिहाज से चीन, अमेरिका और ब्रिटेन से पिछड़ा हुआ है। जहंा एक ओर भारत में गेमिंग प्रौद्योगिकी क्षेत्र में 64 स्टार्टअप हैं, वहीं दूसरी ओर चीन में 137 स्टार्टअप के साथ यह संख्या दोगुनी से भी ज्यादा है। इस क्षेत्र में ब्रिटेन में 139 स्टार्टअप हैं, जबकि अमेरिका में ऐसे स्टार्टअप की संख्या सात गुना ज्यादा हैं।
गेमिंग में भी स्थिति अलग नहीं है, जो गेमिंग स्टार्टअप के बड़े समूह का प्रतिनिधित्व करता है। जहां भारत और चीन में ऐसे स्टार्टअप की संख्या तकरीबन समान (क्रमश: 920 और 985) है, वहीं ब्रिटेन में 1,216 गेमिंग स्टार्टअप और अमेरिका में 3,374 हैं। अमेरिका को गेमिंग में कुछ सबसे बड़े नामों का गौरव प्राप्त है जैसे एपिक गेम्स (फोर्टनाइट की विनिर्माता) और लोकप्रिय गेम पोकेमॉन गो की विनिर्माता निआंटिक लैब्स।
वित्त पोषण के मामले में भारत का गेमिंग क्षेत्र चीन, ब्रिटेन और अमेरिका से काफी पीछे है। ट्रैक्सन के आंकड़ों से पता चलता है कि दिसंबर 2021 तक इस क्षेत्र में शीर्ष 10 भारतीय स्टार्टअप का औसत वित्त पोषण आकार केवल $7.73 करोड़ डॉलर था। दूसरी ओर चीन में वित्त पोषण का औसत आकार 14.17 करोड़ डॉलर था, जबकि अमेरिका में शीर्ष स्टार्टअप कंपनियों को औसतन $80.96 डॉलर का वित्त पोषण मिला।
भारत के मामले में वित्त पोषण के आंकड़ों में कुछ बदलाव आया है, क्योंकि सर्वाधिक वित्त पोषण वाले स्टार्टअप नेे अन्य नौ स्टार्टअप के संयुक्त वित्त पोषण की तुलना में ज्यादा पैसा जुटाया है। ब्रिटेन अकेला ऐसा अन्य देश है, जो इस तरह की असमानता दिखाता है। अगर सर्वाधिक वित्त पोषण वाली स्टार्टअप को प्रत्येक देश के समीकरण से हटा दिया जाए, तो भारत का औसत वित्त पोषण और भी गिरकर 4.27 करोड़ डॉलर हो जाता है। चीन के वित्त पोषण का आकार गिरकर 12.3 करोड़ डॉलर और अमेरिका का 8.51 करोड़ डॉलर रह जाता है।

प्रचुर संभावना
हालांकि क्रय शक्ति समानता (पीपीपी) के लिहाज से भारत और चीन वित्त पोषण के मामले में समान स्तर पर हैं लेकिन भारत अमेरिका से काफी पीछे है, जिसने केवल एक-चौथाई से कुछ ही ज्यादा वित्त पोषण जुटाया है। पीपीपी के लिहाज से भारतीय कंपनियों का औसतन 24 करोड़ डॉलर वित्त पोषण किया, जबकि अमेरिका में यह औसतन 80.96 करोड़ डॉलर रहा है।
अलबत्ता विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय गेमिंग को वह मिल गया है, जो वह चाहता है। नवंबर 2021 में जारी बीसीजी-सिकोआ की रिपोर्ट में कहा गया है कि अपने मोबाइल-फस्र्ट को बढ़ावा देने के साथ गेमिंग उद्योग में वर्ष 2025 तक पांच अरब डॉलर का वार्षिक राजस्व अर्जित करने की क्षमता है, जो मौजूदा 1.5 अरब डॉलर से अधिक है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भले ही यह क्षेत्र छोटा था, लेकिन इसने अमेरिका के 10 प्रतिशत और चीन के आठ प्रतिशत की तुलना में 38 प्रतिशत का सीएजीआर (2017-20 के दौरान) दर्ज किया था।
वैश्विक गेमिंग बाजार में लगभग आधी हिस्सेदारी अमेरिका और चीन की है, जबकि भारत की हिस्सेदारी बहुत कम एक प्रतिशत है। भारतीय स्टार्टअप के लिए सामग्री के मुद्रीकरण की दिक्कत रही है। भारत में वर्ष 2020 में प्रति मोबाइल गेमर का औसत वार्षिक व्यय (पीपीपी समायोजित) केवल तीन से 10 डॉलर रहा, जो चीन के 57 से 66 डॉलर और अमेरिका के 73 से 77 डॉलर का एक अंश था। साफ तौर पर भारत को बेहतर प्रदर्शन के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है।

First Published - March 1, 2022 | 10:58 PM IST

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