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प्रतिष्ठित जूरी ने चुने उद्योग जगत के नगीने

Last Updated- December 11, 2022 | 8:30 PM IST

कारोबारी उत्कृष्टता के लिए बिज़नेस स्टैंडर्ड सालाना अवॉड्र्स 2021 के विजेताओं का चयन करने के लिए आठ सदस्यों वाले प्रतिष्ठित निर्णायक मंडल की पिछले हफ्ते वर्चुअल बैठक हुई, जिसमें भारतीय उद्योग जगत के सर्वश्रेष्ठ उद्यमियों के नाम पर मुहर लगाई गई।
आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला की अध्यक्षता वाले निर्णायक मंडल में जेएसडब्ल्यू समूह के चेयरमैन सज्जन जिदंल, केकेआर इंडिया के वरिष्ठ सलाहकार संजय नायर, एजेडबी ऐंड पाटर्नर्स की संस्थापक एवं मैनेजिंग पार्टनर जिया मोदी, ईवाई इंडिया के चेयरमैन राजीव मेमानी, मैकिंजी ऐंड कंपनी में वरिष्ठ पार्टनर नोशिर काका, सिरिल अरमचंद मंगलदास के मैनेजिंग पार्टनर सिरिल श्रॉफ और बेन कैपिटल प्राइवेट इक्विटी के चेयरमैन अमित चंद्रा शामिल थे।
बिड़ला ने कहा, ‘साल के विजेताओं को चुनने के लिए निर्णायक मंडल ने कुछ देर विचार-विमर्श किया। विजेताओं का चयन करना कठिन निर्णय था क्योंकि सूची में कई अच्छी कंपनियां शामिल थीं। बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों में हाल के समय में छांटी गई सभी कंपनियों का वित्तीय प्रदर्शन शानदार दिख रहा था।’ इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए कई नामों पर चर्चा की गई। लेकिन विजेताओं के पक्ष में जो बात गई वह था उनके कारोबारी मॉडल के प्रति निर्णायक मंडल का भरोसा क्योंकि भयानक महामारी के दौर में उन्होंने संबंधित उद्योगों में नवोन्मेष के दम पर कारोबार को नया  आयाम दिया।
इन्फोसिस के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी सलिल पारेख को कंपनी में असाधारण बदलाव लाने और शानदार प्रदर्शन के लिए सीईओ ऑफ द इयर चुना गया। स्वास्थ्य क्षेत्र में योगदान और शानदार प्रदर्शन के बल पर सिप्ला कंपनी ऑफ द इयर का खिताब जीतने में सफल रही।
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स को स्टार पीएसयू ऑफ द इयर, प्रॉक्टर ऐंड गैम्बल हाइजीन ऐंड हेल्थ केयर को स्टार एमएनसी, डॉ. लाल पैथलैब्स को स्टार एसएमई और जीरोधा ब्रोकिंग को स्टार्टअप ऑफ द इयर पुरस्कार के लिए  चुना गया।
निर्णायकों ने सर्वसम्मति से अपोलो हॉस्पिटल्स एंटरप्राइजेज के संस्थापक प्रताप सी रेड्डी को लाइफ टाइम अचीवमेंट सम्मान के लिए चुना।
निर्णायक मंडल के चेयरमैन बिड़ला ने बातचीत शुरू करते हुए सदस्यों से छांटे गए उम्मीदवारों के साथ हितों के टकराव का अगर कोई मामला हो तो उसका खुलासा करने को कहा। निर्णायकों को बिज़नेस स्टैंडर्ड रिसर्च ब्यूरो द्वारा वित्तीय प्रदर्शन के आधार पर संकलित कंपनियों की सूची पहले ही मुहैया कराई जा चुकी थी, जिनमें से सात श्रेणियों में विजेताओं को चुना जाना था।
बिड़ला ने चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि वित्तीय आंकड़ों के अलावा असाधारण चुनौतियों और स्थापित कारोबारी मॉडल में रातोरात बदलाव को ध्यान में रखते हुए कंपनियों के दीर्घावधि कारोबारी दृष्टिकोण और सुदृढ़ नैतिक योगदान का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।
कोविड महामारी के दौरान समाज में योगदान, पर्यावरणीय, सामाजिक, गवर्नेंस मानदंड, संकट के दौर से कंपनी को उबारना और लगातार बेहतर प्रदर्शन चर्चा का केंद्र रहा। कुछ सदस्यों ने भारतीय अर्थव्यवस्था में गैर-सूचीबद्घ कंपनियों के उत्कृष्ट योगदान का भी उल्लेख किया लेकिन इनके वित्तीय आंकड़े सार्वजनिक नहीं होने के कारण उन पर विचार नहीं किया गया।
2017 में यह प्रतिष्ठित पुरस्कार जीतने वाले जिंदल लंदन से इस बैठक में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि विजेता चुनते समय महामारी से प्रभावित साल में लगातार बेहतर प्रदर्शन करने वाली कंपनी का ध्यान रखा जाना चाहिए।
देश के दो अग्रणी कारोबारी घरानों, दो अग्रणी प्राइवेट इक्विटी फंड, दो वैश्विक प्रबंधन सलाहकार संगठनों और दो प्रमुख लॉ फर्मों के प्रमुखों वाले प्रतिष्ठित निर्णायक मंडल ने जब वित्त वर्ष 2021 में कारोबारी उत्कृष्टता पुरस्कार के लिए विजेताओं के नाम चुनने के मकसद से बैठक की तो पारेख और सिप्ला की असाधारण उपलब्धियों को नजरअंदाज करना कठिन था।
कोविड-19 महामारी के दौरान बाकी उद्योगों की तह इन्फोसिस ने भी रातोरात अपने कारोबारी मॉडल में बदलाव किया और अपने कर्मचारियों को घरों से काम करने की अनुमति दी ताकि कारोबार सुचारु तरीके से चलता रहे और कर्मचारियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सके। देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी सेवा प्रदाता कंपनी ने 2020-21 में 13.56 अरब डॉलर आय अर्जित की। रुपये के हिसाब से देखें तो वित्त वर्ष 2021 में इन्फोसिस की आय सालाना 10.7 फीसदी बढ़कर 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक रही। इसी तरह शुद्घ मुनाफा 16.6 फीसदी बढ़कर 19,351 करोड़ रुपये रहा। इन्फोसिस ने शानदार प्रदर्शन करते हुए वृद्घि के मामले में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज जैसी प्रतिस्पर्धी कंपनियों को पीछे छोड़ दिया और कंपनी का बाजार मूल्यांकन 7.87 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले तीन साल में 40 फीसदी सालाना चक्रवृद्घि दर को दर्शाता है। पिछले एक साल के दौरान वृद्घि 48 फीसदी रही। वित्त वर्ष 2018 में जब पारेख को कंपनी का प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी नियुक्त किया गया था तब कंपनी परेशानी से जूझ रही थी। इन्फोसिस ने डिजिटल कारोबार, मुख्य क्षमता पर जोर देने और कुशलता बढ़ाने तथा स्थानीयकरण की रणनीति बनाई। इन सभी क्षेत्रों में कंपनी ने बेहतर प्रगति की। पारेख के नेतृत्व में इन्फोसिस ने अरबों डॉलर के ठेके हासिल किए और निवेशकों, ग्राहकों, कर्मचारियों, निदेशक मंडल और अन्य हितधारकों का भरोसा बढ़ाया।
नायर ने कहा, ‘वर्ष के सीईओ ऑफ दि इयर के पुरस्कार पर काफी विचार-विमर्श करना पड़ा क्योंकि इसके लिए कुछ और भी उम्मीदवार थे। हालांकि सबकी सहमति में सलिल का नाम आया क्योंकि उन्होंने कंपनी की बागडोर संभालने के बाद से मजबूत प्रदर्शन दिखाया है। हम सभी जानते हैं कि उन्होंने बहुत मुश्किल समय में इन्फोसिस के सीईओ के रूप में पदभार संभाला।’
मुंबई मुख्यालय वाली कंपनी सिप्ला भारत की तीसरी सबसे बड़ी दवा कंपनी है और यह दक्षिण अफ्रीका में तीसरी सबसे बड़ी ओवर-दि-काउंटर (ओटीसी) खिलाड़ी है। इसके अलावा प्रिस्क्रिप्शन के आधार पर यह अमेरिका में आठवीं सबसे बड़ी कंपनी और उभरते बाजारों में दूसरी सबसे बड़ी भारतीय निर्यातक है।
1935 में स्थापित, सिप्ला ने पिछले साल परिचालन के 85 साल पूरे किए और 2020-21 के लिए इसका राजस्व 11.8 प्रतिशत बढ़कर 19,160 करोड़ रुपये हो गया जबकि कर के बाद मुनाफा (पीएटी) 55.5 प्रतिशत बढ़कर 2,405 करोड़ रुपये हो गया। वित्त वर्ष 2018 और वित्त वर्ष 2021 के बीच, सिप्ला के राजस्व में 8.1 प्रतिशत की सालाना चक्रवृद्धि दर से वृद्धि दर्ज की गई और पीएटी में सालाना 19.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
इस कंपनी के नेतृत्व में पीढ़ीगत बदलाव देखा गया है जिसे भारत से 40 प्रतिशत और अमेरिकी बाजार से 21 प्रतिशत राजस्व मिलता है। सिप्ला के समेकित राजस्व में दक्षिण अफ्रीकी क्षेत्र, उभरते बाजार और यूरोप क्रमश: 18 प्रतिशत, 10 प्रतिशत और 5 प्रतिशत का योगदान देते हैं।
सिप्ला को ‘कंपनी ऑफ  दि इयर’ के रूप में चुने जाने के बारे में श्रॉफ  ने कहा कि कंपनी का प्रदर्शन उत्कृष्ट रहा है और इसके कई अन्य दिलचस्प पहलू भी थे विशेष रूप से महामारी के दौरान स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में इसके योगदान को देखा गया। श्रॉफ ने कहा, ‘तथ्य यह है कि पीढ़ीगत बदलाव काफी सहज था और इसी वजह से इसका प्रदर्शन काफी अच्छा हो गया और जूरी के लिए सिप्ला का चयन करने में काफी खुशी भी हुई।’
सभी जूरी सदस्यों ने इस बात पर सहमति जताई की चयन के पहले स्तर पर वित्तीय अनुपात पर गौर करना अहम था। साथ ही साथ इस बात पर सहमति जताई गई कि उन व्यक्तियों को समान महत्व दिया जाए जिन्होंने नवाचार पर ध्यान दिया है और संस्थानों को बेहतर बनाने में उस वक्त अपना योगदान दिया महामारी को नियंत्रित करने की चुनौतियों की वजह से हालात अनुकूल नहीं थे और सरकारों ने भी सख्त प्रतिबंध लगाए थे।
जूरी ने कई उत्कृष्ट शख्सियतों पर चर्चा भी की जिन्होंने भारत के कॉरपोरेट इतिहास पर गहरा और स्थायी प्रभाव छोड़ा है लेकिन ‘लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार’ के विजेता के रूप में चुनने में अपोलो अस्पताल के संस्थापक प्रताप सी रेड्डी के नाम पर सबने सर्वसम्मति जताई।
बिड़ला ने कहा, ‘हमने प्रताप रेड्डी को स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए कार्यों को ध्यान में रखते हुए चुना, खासकर महामारी के समय के दौरान और उन्हें उनके कामों का श्रेय मिलना ही चाहिए। ऐसा लगता है कि उन्होंने कंपनी के लिए एक बेहतर उत्तराधिकारी चुना है और कंपनी के आंकड़े भी अच्छे हैं।’ जूरी ने माना कि 89 साल के रेड्डी न केवल स्वास्थ्य देखभाल की दुनिया में बल्कि एक परोपकारी व्यक्ति के रूप में भी महत्त्वपूर्ण शख्सियत हैं। रेड्डी ने 1983 में अपोलो हॉस्पिटल्स की स्थापना की जो भारत में अस्पतालों की पहली कॉरपोरेट चेन थी और इसने देश भर में विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवा की शुरुआत की। आज कंपनी का बाजार मूल्यांकन 66,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है। स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में योगदान के लिए रेड्डी को 2010 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था जो भारत में दूसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार है।
जूरी ने ‘स्टार्टअप ऑफ  दि इयर’ पुरस्कार के लिए कई उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा की। एक लंबी चर्चा के बाद, जीरोधा को चुना गया जिसका लाभ कमाने वाले कारोबारी मॉडल दिलचस्प है। काका ने कहा, ‘कई रोमांचक विकल्प थे और आखिरकार हम सभी ने जीरोधा के नाम पर मुहर लगाने की बात की जो कई मोर्चे पर नवाचार में अग्रणी हैं।’ ‘स्टार पीएसयू ऑफ  दि इयर’ पर जूरी ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स के नाम पर मुहर लगाई क्योंकि कंपनी विभिन्न वित्तीय पैमाने पर लगातार बेहतर प्रदर्शन के कारण सर्वसम्मति से सबकी पसंद थी। चंद्रा ने कहा कि यह सब पिछले तीन वर्षों में बाजार मूल्यांकन में महत्त्वपूर्ण वृद्धि की वजह से हुआ और बाजार भी इस तथ्य को स्वीकार करता है कि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स में जबरदस्त क्षमता है।

First Published - March 28, 2022 | 11:01 PM IST

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