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देश में छोटी हो रही कोविड की लहर

Last Updated- December 11, 2022 | 9:05 PM IST

भारत ने 20 फरवरी को लगातार दूसरे दिन 20,000 से कम संक्रमण के मामले दर्ज किए (नवीनतम सप्ताह में मामलों की औसत संख्या 24,713 थी)। एक महीने पहले भारत 3,47,254 मामलों के शीर्ष स्तर तक पहुंच गया था।
हालांकि मौजूदा लहर के दौरान संक्रमण अधिक रहा, लेकिन मामलों की मृत्यु दर (कुल मामलों की संख्या के अनुपात में मौतों की संख्या) कम रही है। बिज़नेस स्टैंडर्ड के एक विश्लेषण से पता चलता है कि मौतों और मामलों की संख्या, दोनों के ही लिहाज से तीसरी लहर पहली और दूसरी लहर के मुकाबले कम रही है। इसके अलावा इस रुख की न केवल भारत में, बल्कि अन्य देशों में भी पुनरावृत्ति हो रही है।
तीसरी लहर के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि मामलों के लिहाज से जहां एक ओर मार्च 2020 में शुरू होने वाली संक्रमण की पहली लहर संक्रमण में कमी आने तक 249 चली थी, वहीं दूसरी ओर डेल्टा स्वरूप की वजह से बीमारी की दूसरी लहर 189 दिन तक जारी रही। ओमीक्रोन स्वरूप की वजह से मौजूदा लहर 55 दिनों तक चली है।
प्रति 10 लोगों पर मौत (सात दिनों का चल औसत) के संबंध में आंकड़े इन लहरों का और अधिक प्रभाव दर्शाते हैं। पहली लहर 302 दिन तक चली, जबकि दूसरी 223 दिनों तक चली। जनवरी 2021 से शुरू होने वाली तीसरी लहर 48 दिन तक चली है। पिछली तीन लहरों में अमेरिका में इसी तरह का रुख देखा गया है। जहां पहली लहर 89 दिन तक चली, वहीं दूसरी लहर 101 दिन लंबी रही। तीसरी लहर सबसे ज्यादा लंबी, जो 143 दिन तक चली, लेकिन फिर चौथी लहर तक यह अवधि घटकर 117 दिन रह गई और मौजूदा लहर 67 दिन से जारी है। फ्रांस में भी समान रुख नजर आया है।
इन तीन लहरों के संबंध में ब्राजील और भारत समान रहे हैं। इस रुख को बदलने वाला एकमात्र देश ब्रिटेन ही है, जहां पांचवीं लहर चौथी लहर की तुलना में अधिक समय तक चली है। ब्रिटेन में मौजूदा उछाल तीसरी की तुलना में कम दिनों तक चली है।
हालांकि मौतों के लिहाज से सभी देश समान हैं, क्योंकि पिछली दो लहरों के मुकाबले मौजूदा लहर में संक्रमण कम रहा है। विशेषज्ञ बताते हैं कि इसकी वजह शायद वायरस की बदलती प्रकृति और लोगों में प्रतिरोधक क्षमता है।
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष के श्रीनाथ रेड्डी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि दो प्रमुख कारण ये हैं कि वायरस अधिक संक्रामक होता जा रहा है, इसलिए यह कम समय में अधिक लोगों को चपेट में ले लेता है। दूसरा कारण यह है कि अतिसंवेदनशील लोग कम हैं, जो संक्रमित नहीं हुए हैं, इसलिए उन्हें कम समय में सुरक्षित किया जाता है। अलबत्ता इसका अर्थ यह नहीं है कि यह रुख जारी रहे। टीकाकरण की कम दर के कारण अमेरिका में मामलों की मृत्यु दर अन्य देशों की तुलना में ज्यादा रही है।

First Published - February 23, 2022 | 11:02 PM IST

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