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यूक्रेन संकट: गेहूं निर्यात की पहल

Last Updated- December 11, 2022 | 8:56 PM IST

भारत विदेश में राजनयिक अभियान के अपने नेटवर्क पर ध्यान देने की कोशिश कर रहा है ताकि देश के अनाज निर्यातक गेहूं और मक्के को दुनिया में भेजने में सक्षम हो सकें क्योंकि आने वाले कुछ वक्त तक रूस और यूक्रेन से आपूर्ति बाधित रहने की आशंका है। दो अनाजों के निर्यात की बात करें तो इनमें मक्के की तुलना में गेहूं का निर्यात आसान हो सकता है क्योंकि घरेलू स्तर पर भी इसकी अधिकता है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘हम अपने निर्यातकों को दिलासा दे रहे हैं और विदेश में विभिन्न भारतीय मिशनों का समर्थन हासिल करने की कोशिश की जा रही है।’ रूस के संकट की वजह से दुनिया में गेहूं की कीमतों में उछाल आई है और अमेरिका में गेहूं का वायदा कारोबार 2008 के बाद से अपने उच्चतम स्तर तक पहुंच गया है।
भारत के गेहूं की गुणवत्ता, स्वाद और बनावट की तुलना रूस के लाल सागर क्षेत्र से प्रभावित गेहूं से की जा सकती है और यह यूक्रेन और रूस के गेहूं की भरपाई करने के लिए उपयुक्त है। एक प्रमुख वैश्विक कारोबारी कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘दुनिया भर में कहीं भी जहां मिल में भेजने लायक गेहूं की जरूरत है वहां भारत इस अंतर को कम कर सकता है क्योंकि हमारी कीमतें अत्यधिक प्रतिस्पर्धी हैं।’ पहले ही, कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि लेबनान भारतीय गेहूं खरीदने की कोशिश कर रहा है जबकि कुछ दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों ने रूस-यूक्रेन संकट के बाद से लगभग 400,000 टन गेहूं का ऑर्डर दिया है।
व्यापार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि यूक्रेन के गेहूं के लिए विश्व बाजारों में 295-320 डॉलर प्रति टन पर अनुबंध की दर तय की गई है जबकि अर्जेंटीना का गेहूं लगभग 318-321 डॉलर प्रति टन है और फ्रांस का गेहूं लगभग 320-338 डॉलर प्रति टन है। इसी वक्त भारतीय गेहूं की दर लगभग 315-320 डॉलर प्रति टन है।
कारोबारी अधिकारी ने कहा, ‘इसके अलावा, रमजान भी करीब ही हैं और लेबनान, मिस्र आदि जैसे मध्य पूर्व के अधिकांश देश अपनी मांग पूरा करने के लिए रूस और यूक्रेन के गेहूं पर निर्भर हैं। ऐसे में भारत अगर उनकी जगह निर्यात कर सकता है तब घरेलू भंडार का बेहतर इस्तेमाल करने में मदद मिल सकती है।’
भारत, राज्य के भंडार में मौजूद गेहूं के बड़े स्टॉक के एक हिस्से को खत्म करने के मौके के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है जिसके 16 फरवरी तक लगभग 2.59 करोड़ टन होने का अनुमान लगाया गया था जो 1 अप्रैल को संग्रह की जाने वाली आवश्यक मात्रा से 248 प्रतिशत अधिक थी। रूस दुनिया में पहले पायदान पर रहने वाला गेहूं निर्यातक है और यह चीन और भारत के बाद सबसे बड़ा उत्पादक है जबकि यूक्रेन, दुनिया भर में शीर्ष पांच गेहूं निर्यातकों में से एक है।
दोनों युद्धरत देशों की अगली गेहूं की फसल जून के आसपास दुनिया के बाजार में आने की उम्मीद है और कारोबार सूत्रों ने कहा कि भारत शायद इसका फायदा उठाने की स्थिति में है क्योंकि अधिक स्टॉक होने के साथ ही देश में अप्रैल से शुरू होने वाले विपणन वर्ष 2022-23 में 11.1 करोड़ टन से अधिक ताजा गेहूं की कटाई हो सकती है।
कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के अध्यक्ष एम अंगामुत्थु ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘वैश्विक गेहूं निर्यात में व्यवधान की स्थिति बन रही है। हम विभिन्न देशों के साथ काम कर रहे हैं जिन्हें खाद्य एवं पोषण के लिए गेहूं की आपूर्ति की आवश्यकता है। भारत के गेहूं निर्यातक इसकी आपूर्ति करने के लिए तैयार हैं। मांस और पशु उत्पादों की आपूर्ति में भी व्यवधान की स्थिति है। एपीडा स्थिति का जायजा ले रहा है और इसके लिए सभी हितधारकों के साथ उपयुक्त हस्तक्षेप किया जाएगा।’

मक्का
यूक्रेन मक्का के प्रमुख निर्यातकों में से एक है लेकिन कारोबारी सूत्रों ने कहा कि भारत से अतिरिक्त भंडार के अपेक्षाकृत छोटे दायरे को देखते हुए कारोबार के एकबड़े हिस्से का दावा करना मुश्किल होगा। लेकिन, माल ढुलाई की बढ़ती दरों से भारत की जापान और ताइवान जैसे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों को मक्का निर्यात करने की उम्मीदों को बल मिलता है।
एक वैश्विक कारोबारी कंपनी के एक अन्य व्यापारी ने कहा, ‘कुछ दिन पहले तक माल ढुलाई की दरें अर्जेंटीना से जापान के लिए लगभग 70 डॉलर प्रति टन थीं जबकि भारत को भौगोलिक निकटता की वजह से कुछ फायदा मिल सकता है।’ भारत ने जनवरी से दिसंबर 2021 के बीच लगभग 36 लाख टन मक्के का निर्यात किया जो पिछले साल की समान अवधि के दौरान 20 लाख टन था।
व्यापार सूत्रों ने कहा कि भारत का मक्का अंतरराष्ट्रीय बाजारों में लगभग 293-300 डॉलर प्रति टन की दर बेचा जा रहा था जबकि अर्जेंटीना का मक्का 305 डॉलर प्रति टन और अमेरिका का मक्का 304 डॉलर प्रति टन पर बिक रहा है।

First Published - March 3, 2022 | 11:35 PM IST

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