किसानों को इस बार खुले बाजार में निजी कारोबारियों को गेहूं बेचने से ज्यादा कमाई हुई है, जिससे देश में ट्रैक्टर बनाने वाली कंपनियों के चेहरे खिल गए हैं। ट्रैक्टर ऐंड मैकेनाइजेशन एसोसिएशन के आंकड़ों से पता चलता है कि किसानों ने फसल बिक्री से मिलने वाली रकम का इस्तेमाल ट्रैक्टर खरीद में किया है। इससे जून तिमाही के पहले दो महीनों में ट्रैक्टर बिक्री 44 फीसदी बढ़ी है, जो पिछले 4 साल के अप्रैल-मई महीनों में सबसे अधिक है।
खाद्य मंत्रालय के मुताबिक इस साल किसानों ने इस साल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार को गेहूं बेचने के बजाय ऊंचे भाव पर निजी कारोबारियों को बेचना पसंद किया है। इससे उन्हें गेहूं बिक्री से 5,994 करोड़ रुपये ज्यादा मिलने का अनुमान है।
इसका असर ट्रैक्टर बिक्री पर पड़ता लग रहा है। भारत ट्रैक्टर जैसे कृषि यंत्रों का विश्व का सबसे बड़ा बाजार है। ट्रैक्टर उद्योग के संगठन के आंकड़ों से पता चलता है कि देश में ट्रैक्टर बिक्री जून तिमाही के पहले दो महीनों में बढ़कर 1,71,141 रही, जो पिछले साल की इसी अवधि में 1,19,031 थी।
फिक्की राष्ट्रीय कृषि समिति के चेयरपर्सन टी आर केशवन ने कहा कि खाद्य की ऊंची कीमतों और मॉनसून अनुकूल रहने के अनुमान से ट्रैक्टर कंपनियों की बिक्री आगे भी जारी रहेगी मगर इसकी रफ्तार कुछ सुस्त हो जाएगी। उन्होंने कहा कि पिछले साल जून में ट्रैक्टर की बिक्री काफी ज्यादा हुई थी। इस साल उसके मुकाबले गिरावट की संभावना होने और पर्याप्त स्टॉक के कारण ट्रैक्टर डीलरों द्वारा खरीद सुस्त किए जाने से वित्त वर्ष 2023 की जून तिमाही में वृद्धि सुस्त पड़कर करीब 15 फीसदी पर आ सकती है।
केशवन कहा, ‘इसके बाद अगर मॉनसून अच्छा रहता है और समय पर आता-जाता है तो वृद्धि अनुमानों से अधिक भी रह सकती है।’
मार्च में बिक्री कम रहने के कारण अप्रैल की बिक्री काफी अधिक रही थी। मई की शुरुआत में कीमतों की बढ़ोतरी की घोषणा के कारण भी अप्रैल में बिक्री ज्यादा रही। मगर कीमत वृद्धि के कारण जून में बिक्री पिछले साल जून की तुलना में 10 फीसदी कम रह सकती है। पिछले साल जून में बिक्री तगड़ी रही थी।
ट्रैक्टर बाजार की अगुआ महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के अध्यक्ष (ट्रैक्टर एवं कृषि उपकरण क्षेत्र) हेमंत सिक्का ने कहा, ‘पिछले दो महीनों के दौरान मांग बहुत अच्छी रही है।’ इस अवधि में महिंद्रा ऐंड महिंद्रा की ट्रैक्टर बिक्री 50 फीसदी बढ़ी है। अगले कुछ महीनों के दौरान बिक्री में कुछ नरमी आएगी, लेकिन यह त्योहारी सीजन में फिर बढ़ेगी।
सिक्का ने कहा, ‘लगातार चौथे साल मॉनसून सामान्य रहने का पूर्वानुमान जताया गया है, जिससे खरीफ फसल अच्छी रहने के आसार हैं। इससे आने वाले महीनों में ट्रैक्टर उद्योग में वृद्धि को सहारा मिलेगा।’
एनएसएसओ के आंकड़ों से पता चलता है कि रबी फसलों की अच्छी कीमतों के कारण भी ग्रामीण बाजार की मांग सुधरी है। फसल उत्पादन की हिस्सेदारी घटने के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों के किसान परिवारों की मासिक औसत आय में इसकी करीब 38 फीसदी हिस्सेदारी है। ज्यादातर खाद्य उत्पादों की कीमतें पिछले कुछ महीन से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) या पिछले साल के भाव से ऊपर बनी हुई हैं।
एस्कॉर्ट्स कुबोटा में कृषि एवं निर्माण कारोबार के अध्यक्ष शेनु अग्रवाल ने कहा कि ट्रैक्टर उद्योग के लिए मांग की स्थितियां अनुकूल बनी हुई हैं। इसमें कर्ज की उपलब्धता, ग्रामीण आय और मॉनसून अच्छा रहने के अनुमान से मदद मिली है। अग्रवाल ने कहा, ‘इस समय सबसे बड़ी चिंता महंगाई है। ट्रैक्टर की कीमतें पिछली 6-7 तिमाहियों के दौरान काफी बढ़ी हैं। फिर भी बढ़ी लागत के बड़े हिस्से की वसूली नहीं हो पाई है। ऐसे में हमारे पास चरणबद्ध तरीके से कीमतें बढ़ाने के अलावा कोई चारा नहीं है। कच्चे माल की कीमतों में कुछ गिरावट बहुत जरूरी है।’
कई बाजार एजेंसियों और कारोबारियों से प्राप्त आंकड़ों से पता चलता है कि चने को छोड़कर रबी सीजन की ज्यादातर फसलों के दाम एमएसपी से ऊपर बने हुए हैं। उदाहरण के लिए गेहूं का भाव सीजन की शुरुआत से ही इसके एमएसपी 2,015 रुपये प्रति क्विंटल से करीब 100 से 300 रुपये अधिक चल रहा है। सरसों का भाव 5,050 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी से 1,000 से 1,500 रुपये प्रति क्विंटल अधिक बना हुआ है।