facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

इलेक्ट्रिक वाहनों से घटेगा तेल आयात व्यय!

Last Updated- December 11, 2022 | 7:31 PM IST

आयातित ईंधन की कीमतें और इलेक्ट्रिक वाहन का आयात कुल मिलाकर भारत से विदेश को जाने वाले धन का प्रवाह बढ़ा सकता है। वहीं अगर इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ती है तो इससे सरकार की ईंधन खरीद में मोलभाव की क्षमता बढ़ेगी और इसका दूरगामी लाभ मिलने की संभावना है।
विदेशी विनिमय बाहर जाने के दो तत्व हैं। इलेक्ट्रिक कार बनाने के आयात की लागत पेट्रोल-डीजल से चलने वाली कार (आईसीई) की तुलना में बहुत ज्यादा है। दूसरा तत्व परिचालन लागत से जुड़ा है, जो वाहन चलाने पर आता है। जीवाश्म ईंधन से चलने वाली कार के पूरे काल में आयातित ईंधन का इस्तेमाल होता है। अगर एक साल में 12,000 किलोमीटर चलने के आधार पर कार की 15 साल उम्र के हिसाब से देखें तो यह मोटा खर्च है। वहीं इलेक्ट्रिक कार में बमुश्किल कोई परिचालन लागत होती है।
एक बार अगर ऐसा हो जाता है कि इलेक्ट्रिक कार की स्वीकार्यता बढ़ जाए तो सरकार कुल मिलाकर ईंधन आयात बिल पर आने वाले खर्च को मोलभाव के आधार पर रोक सकती है। कार्बन उत्सर्जन कम करने के अलावा सरकार का इलेक्ट्रिक वाहन पर जोर देने का यह मुख्य मकसद है।
नोमुरा के एक शोध में कहा गया है कि 2020 में एक ही मॉडल की इलेक्ट्रिक कार की आयात लागत आईसीई वाली कार की लागत से दोगुनी थी, जिसमें विनिर्माण की आयात लागत आयातित ईंधन की लागत दोनों शामिल है। यह अनुमान लगाया गया कि आईसीई कार के लिए वाहन के पूरे जीवन चक्र हेतु करीब 3 लाख रुपये के आयातित तेल (सभी करों को छोड़कर) की जरूरत होगी। लेकिन अगर यह कल्पना की जाए कि तेल की कीमतें स्थिर बनी रहेंगी, रिसर्च में अनुमान लगाया गया है कि 2030 तक यह खाईं न सिर्फ भर जाएगी, बल्कि इलेक्ट्रिक कार के आयात की लागत आईसीई कार के उसी माडल की तुलना में कम होगी।
बहरहाल रूस यूक्रेन युद्ध के कारण तेल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर को पार कर गई है और सरकार स्थानीयकरण के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना पर जोर दे रही है। इसके चलते इलेक्ट्रिक कार और पेट्रोल से चलने वाली कार के पूरे जीवन में आने वाले कुल खर्च का अंतर बहुत तेजी से कम होगा। हालांकि तेल की कीमतों में उतार चढ़ाव को देखते हुए इसकी सटीक गणना मुश्किल है।
नोमुरा के रिसर्च में कहा गया है कि 2020 में इलेक्ट्रिक कार की विनिनिर्माण आयात लागत आईसीई कार के उसी मॉडल की तुलना में 8 गुना अधिक है। 2025 में यह 6.2 गुना ज्यादा होगी। 2030 में यह 4.3 गुना ज्यादा होगी। इसकी वजह साधारण सी है। स्थानीय आपूर्ति शृंखला के माध्यम से स्थानीयकरण का लाभ मिलेगा। साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ेगी औऱ चार्जिंग स्टेशनों की संख्या बढ़ेगी। इन सभी को मिलाकर आयात पर निर्भरता कम होगी।
आईसीई वाहनों में ज्यादातर लोकप्रिय कारों का स्थानीयकरण 80 प्रतिशत से ऊपर पहुंच चुका है, वहीं इलेक्ट्रिक कारों के मामले में स्थिति एकदम अलग है।
उद्योग के अनुमानों से पता चलता है कि भारत में विनिर्मित लोकप्रिय कारों में कुल विनिर्माण लागत में आयात का हिस्सा 40 से 46 प्रतिशत है। आयात होने वाले प्रमुख घटकों में सेल शामिल हैं, जिसका इस्तेमाल लीथियम ऑयन बैटरी बनाने में होता है। साथ ही मोटर और मोटर कंट्रोलर बनाने में इस्तेमाल होने वाले कल पुर्जों का आयात किया जाता है। लीथियम ऑयन बैटरी की लागत कुल विनिर्माण लागत में 43 प्रतिशत है और लीथियम ऑयन बैटरी बनाने की लागत में सेल पर आने वाला खर्च 80 प्रतिशत है। सेल का विनिर्माण भारत में नहीं होता है। कंट्रोलरों व मोटरों के विनिर्माण की लागत में भी ऐसा ही प्रतिशत है। कुल विनिर्माण लागत में मोटर की हिस्सेदारी 14 प्रतिशत है।
साफ है कि सरकार इलेक्ट्रिक वाहन बनाने में आयात पर व्यापक तौर पर निर्भरता के बारे में जानती है, जिसकी वजह से वह स्थानीयकरण पर जोर दे रही है। यही वजह है कि सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन की 2 योजनाएं चलाई हैं। एक इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण के लिए है, जबकि एक योजना पावर बैटरी के एडवांस केमिस्ट्री सेल्स के विनिर्माण के लिए है। 

First Published - April 27, 2022 | 1:51 AM IST

संबंधित पोस्ट