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ईवी के लिए तैयार कलपुर्जा उद्योग

Last Updated- December 11, 2022 | 6:37 PM IST

वाहन कलपुर्जा उद्योग देश में आई इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) लहर पर सवाल होने के लिए तैयार है। वाहन कलपुर्जा विनिर्माताओं के संगठन एक्मा के एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, 800 सदस्यों में से 60 फीसदी सदस्यों का कहना है कि वे इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए कलपुर्जों की आपूर्ति करने के लिए तैयार हैं। जबकि शेष का कहना है कि वे इस साल के अंत तक अथवा 2023 तक इसके लिए पूरी तरह तैयार होंगे।
एक्मा के अध्यक्ष संजय कपूर ने कहा, ‘इलेक्ट्रिक वाहन के लिए खुद को तैयार करने के लिए वाहन कलपुर्जा कंपनियों का निवेश चक्र पहले ही शुरू हो चुका है और वह सही राह पर अग्रसर है। जहां तक आपूर्ति पक्ष का सवाल है तो इलेक्ट्रिक वाहन के लिए आई क्रांति से कलपुर्जा विनिर्माताओं को कारोबार के लिए पूरी तरह एक नया बाजार मिलेगा। वे टेलीमैटिक्स, बैटरी आदि विभिन्न प्रकार के कलपुर्जों की आपूर्ति कर सकते हैं और तैयार हो रहे नए परिवेश की जरूरतों के अनुरूप आपूर्ति कर सकते हैं।’
कपूर ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी से चालित होने के बावजूद कई अन्य कलपुर्जा जैसे सीट, स्टीयरिंग सिस्टम, ब्रेक, मिरर आदि पेट्रोल-डीजल वाहनों की तरह समान होंगे।
ईवी के लिए वाहन कलपुर्जा विनिर्माताओं के लिए आवश्यक निवेश के बारे में कपूर ने कहा कि 75 कंपनियां वाहन कलपुर्जा के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के लिए पात्र हैं। उन्हें प्रोत्साहन हासिल करने के लिए पांच साल के दौरान हर साल 250 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा।
कपूर ने कहा, ‘इसका मतलब साफ है कि वाहन उद्योग में भविष्य की प्रौद्योगिकी के लिए उन्हें पांच साल के दौरान कम से कम 18,600 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा।’ उन्होंने कहा कि अधिकांश रकम का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहन के लिए किया जाएगा जबकि कुछ रकम उन प्रौद्योगिकी को तैयार करने पर खर्च की जाएगी जिनका फिलहाल आयात किया जाता है।
कपूर ने कहा कि मात्रात्मक बिक्री बढ़ाने के लिए निर्यात को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा, ‘मात्रात्मक बिक्री बढ़ाने के लिए हमें वैश्विक बाजार पर भी गौर करना होगा क्योंकि भारतीय बाजार फिलहाल छोटा है, विशेष तौर पर यात्री कार के लिए। लेकिन वैश्विक रुझान के अनुरूप हम भी आगे बढ़ेंगे।’
कपूर ने कहा कि वाहन कलपुर्जा उद्योग कुछ क्षेत्रों में बिल्कुल मौजूद नहीं है जबकि ईवी कलपुर्जों के विनिर्माण के लिए भारत वैश्विक केंद्र बन सकता है। इनमें इलेक्ट्रिक मोटर, स्टीयरिंग, ड्राइव ट्रेन आदि शामिल हैं। अच्छी बात यह है कि भारतीय विनिर्माण उद्योग के लिए अब अमेरिका और यूरोप में भी काफी संभावनाएं दिख रही हैं।
कपूर ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स की समस्या अब भी बरकरार है। उन्होंने कहा, ‘मैं समझता हूं कि इलेक्ट्रॉनिक्स हमारे लिए एक चुनौती है जहां हमें भारी निवेश करने की जरूरत है।’ उन्होंने कहा कि इसका एक समाधान वाहन उद्योग और इलेक्ट्रिॉनिक उद्योग के बीच करार हो सकता है।

First Published - May 28, 2022 | 12:33 AM IST

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