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छोटे शहरों में रफ्तार पकड़ रहे ईवी

Last Updated- December 11, 2022 | 7:32 PM IST

वारंगल, कोयंबत्तूर, त्रिची, पुणे और निजामाबाद में आखिर समानता क्या है? असल में ये शहर हाल ही में कुछ ऐसी वजहों से सुर्खियों में रहे हैं, जो अच्छी नहीं हैं। पिछले एक महीने में इन शहरों में इलेक्ट्रिक स्कूटरों में आग लगने की कई घटनाएं हुई हैं, जिसने लीथियम आयन बैटरी वाले दोपहियों की सुरक्षा को लेकर चिंता खड़ी कर दी है और विनिर्माताओं के साथ ही नीति निर्माताओं की भी नींद भी उड़ी हुई है।
दिलचस्प है कि चेन्नई की एक घटना को छोड़कर आग लगने की सभी दुर्घटनाएं छोटे शहरों में हुई है, जो इस बात का संकेत है कि छोटे शहरों में ई-वाहनों की संख्या बढ़ रही है। ऊर्जा, पर्यावरण एवं जल परिषद (सीईईडब्ल्यू) के आंकड़ों के अनुसार महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु के 10 लाख से कम आबादी वाले शहरों में इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहियों की अच्छी बिक्री हुई है। महाराष्ट्र में 56 फीसदी, कर्नाटक में 75 फीसदी और तमिलनाडु में 78 फीसदी बिक्री ऐसे ही छोटे शहरों में हुई है। सीईईडब्ल्यू सेंटर फॉर एनर्जी फाइनैंस के निदेशक गगन सिद्घू ने कहा, ’10 लाख से कम आबादी वाले शहरों में ई-स्कूटरों की सबसे ज्यादा बिक्री हुई है। कई राज्यों में छोटे कस्बों और शहरों में ई-वाहनों को तेजी से अपनाया जा रहा है।’
वित्त वर्ष 2022 में ई-स्कूटरों की बिक्री में महाराष्ट्र (41,850), कर्नाटक (41,278) और तमिलनाडु (35,695) शीर्ष तीन राज्यों में रहे। सभी दोपहिया वाहनों की बिक्री में भी महाराष्ट्र (69 फीसदी), कर्नाटक (79 फीसदी) और तमिलनाडु (82 फीसदी) के छोटे शहरों का अहम योगदान रहा। दोपहिया विनिर्माता भी इससे सहमत हैं। एथर एनर्जी के मुख्य कारोबार अधिकारी रवनीत एस पोकला ने कहा कि कंपनी ने बड़े शहरों से ही अपना कारोबारी सफर शुरू किया था लेकिन बाद में मझोले और छोटे शहरों में इसका विस्तार हुआ क्योंकि इन बाजारों में अच्छी मांग थी।   
एथर एनर्जी के मुख्य कारोबार अधिकारी रवनीत एस पोकला ने कहा, ‘प्रति लाख आबादी पर ई-स्कूटरों की बिक्री की बात करें तो शीर्ष 10 शहरों में से 8 छोटे-मझोले शहर हैं। हालांकि यहां चुनौती यह है कि इन बाजारों के ग्राहक वाजिब कीमत पर उपयुक्त उत्पाद चाहते हैं। ग्राहक ईवी को उन्नत और भविष्य की तकनीक के तौर पर देख रहे हैं।’ पोकला के अनुसार स्वामित्व की कुल लागत आकर्षक होने की वजह से ग्राहक ऐसे उत्पादों के लिए शुरुआत में अधिक दाम चुकाने के लिए भी तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि बाजार में दबी हुुई मांग हमेशा से थी लेकिन भरोसेमंद ईवी के विकल्प का अभाव था। एथर 450एक्स और एथर 450 के साथ इन बाजारों में मजबूत वृद्घि देखी गई।राजस्थान के अलवर में हीरो मोटोकॉर्प और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा की डीलर जेएस फोर व्हील के मालिक निकुंज सांघी ने कहा कि पेट्रोल इंजन वाले दोपहिया चलाने पर आने वाला खर्च काफी बढ़ गया है, जिसका असर छोटे शहरों के खरीदारों पर पड़ रहा है। यही वजह है कि इन बाजारों में खरीदार इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों को अपना रहे हैं। सांघी ने कहा, ‘इन खरीदारों को ब्रांड से खास लगाव नहीं है और अगर इससे ईंधन की लागत बचती है तो उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि ई-स्कूटर को कौन सी कंपनी बना रही है।’जेएमके रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2022 में कुल ईवी की बिक्री पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 196 फीसदी बढ़कर 77,128 वाहन रही। ई-दोपहियों की मांग तिगुनी बढऩे से बिक्री में इजाफा हुआ है। राष्ट्रीय स्तर पर जनवरी 2021 में कुल वाहनों की बिक्री में ईवी की हिस्सेदारी 1 फीसदी थी, जो अगस्त 2021 में बढ़कर 2 फीसदी और दिसंबर 2021 में 3 फीसदी हो गई। मार्च 2022 में कुल वाहनों की बिक्री में ईवी की हिस्सेदारी 4 फीसदी रही।
सिद्घू ने कहा, ‘ई-दोपहिया और ई-तिपहियों की बैटरी को चार्ज करने के लिए विशेष चार्जिंग ढांचे की जरूरत नहीं है। इसलिए छोटे शहर इसे अपनाने की अच्छी स्थिति में हैं।’बूम मोटर्स ने हाल ही में बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया था कि उसके 60 फीसदी से ज्यादा ऑर्डर छोटे-मझोले शहरों से आते हैं। सीईईडब्ल्यू के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2022 में प्रति 1,000 गैर-ईवी वाहनों की बिक्री पर ईवी की बिक्री दिल्ली में 84, त्रिपुरा में 63 और असम में 49 वाहनों की रही। दिल्ली और असम में ई-वाहनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने नीतियां भी बनाई हैं।

तत्काल खराबी ठीक करने के उपाय करें ईवी कंपनियां: गडकरी
इलेक्ट्रिक स्कूटरों में हाल में आग लगने की घटनाओं के बीच केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को कंपनियों से गड़बड़ी वाले वाहनों को वापस मंगाने को लेकर तुरंत कदम उठाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि मार्च, अप्रैल और मई में पारा चढऩे के साथ ई-वाहनों की बैटरी में कुछ समस्या होती है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा कि देश का ईवी उद्योग ने अभी काम करना शुरू किया है तथा सरकार उनके लिए कोई बाधा पैदा नहीं करना चाहती। उन्होंने कहा कि सरकार के लिए सुरक्षा सबसे महत्त्वपूर्ण है और मानव जीवन के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता। हाल के दिनों में इलेक्ट्रिक वाहनों में आग लगने की कुछ घटनाओं के बाद उनका बयान मायने रखता है। इन घटनाओं में कुछ लोगों की मौत हो गई जबकि कुछ गंभीर रूप से जख्मी हुए हैं।

First Published - April 27, 2022 | 1:13 AM IST

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