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फाकाकशी को मजबूर ट्रांसपोर्टर

Last Updated- December 09, 2022 | 9:41 AM IST

बेंगलुरू से करीब 200 किलोमीटर दूर चिकदल दुर्गा निवासी सेलो राजू ने आत्महत्या कर ली। राजू एक ट्रांसपोर्टर था और पिछले तीन महीनों से वह अपने एकमात्र ट्रक की किस्त नहीं चुका पा रहा था।


ट्रक खरीदने के लिए उसने फाइनैंसर से 3 लाख रुपये कर्ज लिए थे और 1 लाख रुपये की राशि उसने अदा भी कर दी थी। लेकिन पिछले तीन महीनों से मंदी की मार से उसका काम ठप हो गया और वह 15,000 रुपये की अपनी मासिक किस्त नहीं दे पा रहा था। फाइनैंसर ने उसके ट्रक को उठा लिया और उसने खुदकुशी कर ली।

किस्त नहीं चुका पाने वालों में राजू अकेला नहीं है। कर्ज लेकर मालवाहक वाहन खरीदने वाले 50 फीसदी ट्रांसपोर्टर इन दिनों अपनी किस्त भरने की स्थिति में नहीं है।

देश भर में 50-60 हजार मालवाहक वाहनों को फाइनेंसरों ने जब्त कर लिया है। अब डर इस बात का है कि कही और ट्रांसपोर्टर भी राजू की राह न पकड़ लें।

लिहाजा देश भर के ट्रांसपोर्टर अब लामबंद हो चुके हैं। उन्होंने सरकार से फौरी राहत की मांग की है। ऐसा नहीं करने पर उन्होंने 5 जनवरी से देशव्यापी चक्का जाम करने का ऐलान किया है। ट्रांसपोर्टर सरकार से एक साल के लिए कर्ज के ब्याज से मुक्ति चाहते हैं।

साथ ही टोल टैक्स से मुक्ति व डीजल की कीमत करने की मांग कर रहे हैं। उनकी यह भी शिकायत है कि सेवा कर के नाम पर उन्हें सरकार की तरफ नोटिस भेजकर परेशान किया जा रहा है।

ऑल इंडिया मोटर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ओ.पी. अग्रवाल पूछते हैं, ‘अकेला ट्रक के मालिक को 60 दिनों से कोई काम नहीं मिले और प्रतिमाह उसकी किस्त 15-20 हजार रुपये प्रतिमाह हो तो आत्महत्या के अलावा वह और क्या करेगा।’

राजू की जानकारी देने वाले दक्षिण भारत लॉरी ऑनर एसोसिएशन के अध्यक्ष जीआर संगप्पा कहते हैं, ‘सरकार ने तुरंत कोई कदम नहीं उठाया तो कई राजू की कहानी सामने आ जाएगी।’ ट्रांसपोर्टरों के मुताबिक देश भर में करीब 50 लाख मालवाहक वाहन हैं।

इनमें से करीब 50 फीसदी वाहनों की किस्त चल रही है। लेकिन काम में आयी भारी गिरावट के कारण उन्होंने अपनी गाड़ी खड़ी कर दी है।

ऑल इंडिया मोटर कांग्रेस के अध्यक्ष एच.एस. लोहारा कहते हैं, ‘गत डेढ़ महीनों से 40 फीसदी मालवाहक वाहन काम के अभाव में खड़े हैं। कर्ज लेकर वाहन खरीदने वाले ट्रांसपोर्टरों ने फाइनेंसर के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। ट्रांसपोर्टरों की इस दुर्दशा के कारण इससे जुड़े करीब 50 लाख लोग बेरोजगार हो चुके हैं।’

एक ट्रक से कम से कम दो लोगों को रोजगार मिलता है। अग्रवाल कहते हैं कि सिर्फ ड्राइवर व खलासी की ही नौकरी नहीं जा रही है। पूरे देश भर में राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे चलने वाले ढाबों से जुड़े करीब 17 लाख लोगों की रोजी-रोटी पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

सेवा कर के मामले में सरकार अब अपने वादों से पीछे हट रही है। जुलाई में ट्रांसपोर्टरों को सेवा कर से छूट का आश्वासन दिया गया था लेकिन अब उन्हें 600 करोड़ रुपए से अधिक के वसूली के नोटिस मिले हैं।

First Published - December 26, 2008 | 11:57 PM IST

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