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Hockey WC 2023: पेनल्टी कॉर्नर के बचाव में काफी सुधार हुआ है, ड्रैग फ्लिकर के लिए गोल करना आसान नहीं- रुपिंदर

Last Updated- January 22, 2023 | 5:21 PM IST
Indian Hockey Team

भारत के पूर्व ड्रैग फ्लिकर रूपिंदर पाल सिंह का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय टीमों के लिए पेनल्टी कॉर्नर से गोल करना लगातार मुश्किल होता जा रहा है क्योंकि खेल में वीडियो विश्लेषण जैसी तकनीक के इस्तेमाल से विरोधी टीमों की रक्षापंक्ति को मजबूत बना दिया है।

तोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे रुपिंदर ने कहा कि हाल के वर्षों में पेनल्टी-कॉर्नर के बचाव में काफी सुधार हुआ है और यही कारण है कि दुनिया भर में ड्रैग-फ्लिकर को गोल करने में परेशानी हो रही है। रुपिंदर ने ओलंपिक के बाद खेल को अलविदा कह दिया था।

उन्होंने ने पंजाब से ‘पीटीआई-भाषा’ को फोन पर दिये साक्षात्कार में कहा, ‘‘ हाल के वर्षों में पेनल्टी कॉर्नर का बचाव करना एक कला बन गया है। हर टीम के पास अब यह अध्ययन करने के लिए वीडियो विश्लेषण है कि विरोधी अपने पेनल्टी कॉर्नर को कैसे लेते है। टीमें यह विश्लेषण करती है कि विपक्षी टीम के ड्रैग फ्लिकर कैसे फ्लिक करती है। उनके तरीके और तकनीक को देखकर वे इसके बचाव के लिए खुद को तैयार करती हैं।’’

तोक्यो ओलंपिक के दौरान ड्रैग फ्लिक में टीम के मौजूदा कप्तान हरमनप्रीत सिंह के साथ जोड़ी बनाने वाले रुपिंदर ने कहा, ‘‘ भारत के मामले में भी ऐसा ही है। हम पेनल्टी कॉर्नर का बचाव करने में भी बहुत अच्छे हैं जैसा कि हमने इंग्लैंड के खिलाफ (इस विश्व कप में) देखा। हमारे खिलाड़ी अमित रोहिदास और मनप्रीत सिंह, बाहर निकलने और कोण को बंद करने के मामले में बहुत तेज हैं।’’

भारत ने मौजूदा विश्व कप में 16 पेनल्टी कॉर्नर हासिल किये और इसमें से सिर्फ तीन को गोल में बदलने में सफल रहा। पूल चरणों के अंत में 24 मैचों में टीमों ने कुल 130 पेनल्टी कॉर्नर हासिल किये और इसमें से 43 को गोल में बदलने में सफल रहे। इस 32 साल के पूर्व खिलाड़ी ने कहा, ‘‘ यह विश्व कप है, कोई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट या द्विपक्षीय टेस्ट श्रृंखला नहीं है। हर टीम पेनल्टी कॉर्नर पर अधिक गोल करने की कोशिश करेगी जबकि विरोधी टीम उसके बचाव की कोशिश करेगी।’’ रूपिंदर ने कहा कि विपक्षी टीमों के वीडियो विश्लेषण के अलावा, अब बेहतर गुणवत्ता वाले उपकरण, जैसे कि घुटने और मुंह का गार्ड, दस्ताने और हेड गार्ड ने ड्रैग फ्लिक को अतीत की तुलना में कम खतरनाक बना दिया है।

इसलिए वे अब बेहतर बचाव कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ हम यह नहीं कह सकते कि ड्रैग फ्लिकर का प्रभाव हॉकी में कम हुआ है। हां गोल के आंकड़े कम हुए है क्योंकि रक्षापंक्ति के पास चोटिल होने से बचाव के बेहतर उपकरण है। ड्रैग-फ्लिकर भी गोल करने के नये तरीके ढूंढेंगे , यह बस समय से जुड़ा है। अगर इंजेक्टर (पेनल्टी कॉर्नर पर गेंद को पहले हिट करने वाला), स्टॉपर और ड्रैग फ्लिकर के बीच समन्वय सही रहा तो गोल होने के मौके ज्यादा होते है।’’ भारतीय कप्तान हरमनप्रीत मौजूदा विश्व कप में पेनल्टी पर सिर्फ एक गोल कर सके है। लेकिन रूपिंदर ने भारतीय खिलाड़ियों को संयम बरतने की सलाह दी।

उन्होंने कहा, ‘‘ अधिक दबाव वाले मैचों में ऐसा होता है। उन्हें शांत और सकारात्मक रहना चाहिए। मुझे लगता है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है और उन्हें नकारात्मक विचार नहीं रखने चाहिए।’’ हरमनप्रीत तोक्यो ओलंपिक के दौरान शानदार फॉर्म में थीं, उन्होंने छह गोल किए, जिसमें जर्मनी के खिलाफ कांस्य-पदक मैच के दौरान एक गोल भी शामिल था। उस मैच में रुपिंदर ने भी अपनी ड्रैग फ्लिक से एक गोल किया था।’’

First Published - January 22, 2023 | 5:21 PM IST

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