नीरज चोपड़ा ने खेल के सारे खिताब जीत लिए हैं लेकिन ओलिंपिक और विश्व चैम्पियन यह धुरंधर निरंतर बेहतर प्रदर्शन में विश्वास रखता है और उनका मानना है कि ‘थ्रो खिलाड़ियों की कोई फिनिश लाइन नहीं होती।’
चोपड़ा विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बन गए। उन्होंने 88 . 17 मीटर दूर भाला फेंककर यह उपलब्धि हासिल की। इससे पहले वह टोक्यो ओलिंपिक खेलों, 2018 में हुए एशियाई तथा राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण जीतने के साथ ही चार डायमंड लीग व्यक्तिगत मीटिंग खिताब और पिछले साल डायमंड लीग चैम्पियंस ट्रॉफी जीत चुके हैं।
वह 2016 में जूनियर विश्व चैम्पियन और 2017 में एशियाई चैम्पियन भी रहे। तो अब जीतने के लिए क्या बचा है, यह पूछने पर उन्होंने एक वर्चुअल बातचीत में कहा, ‘कहा जाता है कि थ्रो खिलाड़ियों की कोई फिनिश लाइन नहीं होती।
सबसे अच्छी बात है कि हमारे पास भाला है। हम हमेशा बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। मैंने भले ही कई पदक जीत लिए हैं लेकिन बेहतर थ्रो फेंकने की प्रेरणा कभी कम नहीं होगी।’
उन्होंने कहा, ‘ये पदक जीतकर मुझे यह नहीं सोचना है कि मैने सब कुछ हासिल कर लिया। मैं और मेहनत करके और पदक जीतूंगा। अगर अगली बार और भी भारतीय खिलाड़ी मेरे साथ पोडियम पर होंगे तो बहुत अच्छा लगेगा।’
पिछले तीन चार साल से 90 मीटर की बाधा पार करने की बात हो रही है लेकिन चोपड़ा ने कहा कि यह उनके लिए मानसिक बाधा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मुझे इस साल बहुत अच्छा लग रहा है और मुझे लगा था कि 90 मीटर का थ्रो फेकूंगा। लेकिन पेड़ू की चोट से दिक्कत हुई। मैं 90 मीटर के आसपास ही पिछले साल फेंक रहा था। एक दिन यह बाधा भी पार हो जाएगी लेकिन इसका कोई दबाव नहीं है।’
उन्होंने कहा, ‘अधिक महत्त्वपूर्ण पदक है। मैं निरंतरता में भरोसा रखता हूं। जब 90 मीटर पार करूंगा तब भी यही फलसफा होगा। मैं काफी मेहनत कर रहा हूं और इसका इंतजार है।’
उन्होंने कहा कि विश्व चैम्पियनशिप स्वर्ण जीतना सपना सच होने जैसा था। उन्होंने कहा, ‘ओलिंपिक स्वर्ण के बाद मैं विश्व चैम्पियनशिप जीतना चाहता था। मैं थ्रो बेहतर करना चाहता था। यह मेरा सपना था।’