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सेमीकंडक्टर किल्लत, अधिक लागत का दिखेगा दबाव

Last Updated- December 12, 2022 | 12:18 AM IST

ब्रोकरेज फर्मों का कहना है कि वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही में वाहन कंपनियों की आय कमजोर रहने के आसार हैं क्योंकि सेमीकंडक्टर किल्लत जैसी आपूर्ति पक्ष की बाधाओं से आय को झटका लगेगा। मोतीलाल ओसवाल, येस सिक्योरिटीज, आईडीबीआई कैपिटल और फिलिप कैपिटल जैसी ब्रोकरेज फर्मों के अनुमानों के औसत पर गौर करने से पता चलता है कि आपूर्ति किल्लत का दबाव यात्री वाहनों की मात्रात्मक बिक्री पर दिखेगा जबकि कमजोर मांग के कारण दोपहिया वाहनों की बिक्री प्रभावित होगी।
ऐसे में निफ्टी50 सूचकांक में शामिल वाहन कंपनियों (टाटा मोटर्स सहित) को सालाना आधार पर 399 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है जबकि पिछले साल उन्हें 4,395 करोड़ रुपये का एकीकृत लाभ हुआ था। नुकसान को मुख्य तौर पर टाटा मोटर्स से बल मिलेगा जो दूसरी तिमाही में 4,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान दर्ज कर सकती है। ब्रिटेन में उसकी सहायक कंपनी जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) को चिप किल्लत का तगड़ा झटका लगा है। इससे कंपनी की मात्रात्मक बिक्री काफी प्रभावित हुई है।
दूसरी तिमाही के दौरान जेएलआर की खुदरा बिक्री सालाना आधार पर 18.4 फीसदी घटकर 92,710 वाहन रह गई जो एक साल पहले 1,13,569 वाहन रही थी। कंपनी ने पिछले दिनों एक बयान में यह खुलासा किया है। यह कंपनी की मात्रात्मक बिक्री में भारी गिरावट है। कोविड पूर्व दौर में यह आंकड़ा करीब 1,50,000 वाहनों का रहा था। जेएलआर के मुख्य वाणिज्यिक अधिकारी लेनार्ड हूर्निक ने एक बयान में कहा, ‘सेमीकंडक्टर की आपूर्ति संबंधी वैश्विक समस्या निकट भविष्य में उद्योग के लिए एक बड़ी चुनौती रहेगी जिसे सामान्य होने में वक्त लगेगा।’
दूसरी तिमाही में कुल शुद्ध बिक्री 4.4 फीसदी बढ़कर 10.7 करोड़ रुपये हो जाएगी जो एक साल पहले 10.2 लाख करोड़ रुपये थी। कमजोर बिक्री और कच्च्चे माल की कीमतों में लगातार हो रही तेजी से कंपनी के एबिटा मार्जिन को झटका लग सकता है।
येस सिक्योरिटीज का मानना है कि दूसरी तिमाही के दौरान वाहन कंपनियों (जेएलआर को छोड़कर) के मार्जिन में 8.8 फीसदी का संकुचन दिख सकता है जबकि एक साल पहले इसमें 12 फीसदी का संकुचन दिखा था। सालाना आधार पर मार्जिन में संकुचन की मुख्य वजह कच्चे माल की कीमतों में तेजी- सीसे की कीमतों मं 24 फीसदी, तांबे की कीमतों में 43 फीसदी, एल्युमीनियम की कीमतों में 55 फीसदी और रबर की कीमतों में 1 फीसदी की बढ़त- रही है। जेएलआर को मिलाकर इसमें सालाना आधार पर करीब 540 आधार अंकों का संकुचन दिख सकता है।
अन्य ब्रोकरेज फर्मों का भी मानना है कि महंगाई संबंधी रुझान को विपरीत प्रभाव दिखेगा। ऐक्सिस इक्विटीज रिसर्च ने एक रिपोर्ट में कहा है, ‘हमारा मानना है कि कच्चे माल में तेजी वित्त वर्ष 2022 की दूसरी तिमाही में आय को प्रभावित कर सकती है। हालांकि आगे चलकर जिंस कीमतों में नरमी आने पर उसमें वित्त वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही से सुधार दिखना चाहिए।’
इस बीच, यात्री वाहनों और वाणिज्यिक वाहनों की मांग दमदार बनी हुई है लेकिन अगस्त-सितंबर के दौरान चिप किल्लत से उत्पादन में कटौती के कारण मात्रात्मक बिक्री 40 से 45 फीसदी प्रभावित हो सकती है। यात्री वाहनों के बिक्री चैनलों में कम इन्वेंट्री से भी त्योहारी सीजन के दौरान बिक्री प्रभावित हो सकती है।

First Published - October 12, 2021 | 11:35 PM IST

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