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बैटरी सेल की लागत 20 फीसदी बढऩे से दबाव : टाटा मोटर्स

Last Updated- December 11, 2022 | 8:26 PM IST

देश की अग्रणी इलेक्ट्रिक कार निर्माता टाटा मोटर्स ने कहा है कि वैश्विक स्तर पर कच्चे माल (मुख्य रूप से लीथियम) की कीमत बढऩे से बैटरी सेल करीब 20 फीसदी महंगा हो गया है, जो अल्पावधि में कंपनी पर दबाव बढ़ा रहा है।
यात्री वाहन इकाई के अध्यक्ष शैलेश चंद्रा ने रॉयटर्स से कहा, सेल की कीमतें बढ़ती रही है और हमें लग रहा है कि यह एक साल तक उच्चस्तर पर बनी  रहेगी।
उन्होंंने कहा, इसका तात्कालिक प्रभाव करीब 20 फीसदी की बढ़ोतरी के तौर पर दिख रहा है, जो अल्पावधि में दबाव डालेगा। एक साल में यह नरम होगी और फिर नीचे आनी शुरू होगी।
चंद्रा ने हालांकि इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी कि क्या यह कंपनी की बिक्री या लाभ पर असर डालेगा, लेकिन कहा कि व्यक्तिगत हरित वाहनों की मांग तेजी से बढ़ रही है और हमें उम्मीद है कि अपनी कारों में स्थानीय कलपुर्जे का इस्तेमाल बढ़ाने से कुछ लागत की भरपाई हो जाएगी।
वैश्विक स्तर पर वाहन निर्माता निकल, कोबाल्ट और लीथियम की लागत बढऩे से महंगाई का दबाव झेल रहे हैं, जिसका इस्तेमाल बैटरी बनाने मेंं होता है और यह इलेक्ट्रिक वाहन का सबसे महंगा हिस्सा है क्योंंकि मांग के मुकाबले आपूर्ति नहीं हो पा रही है।
यूक्रेन पर रूस के हमले से यह और भी खराब हो गया और विश्लेषकों ने कहा है कि यह बैटरी की घटती कीमतों का रुख धीमा कर सकता है, जो ईवी को अपनाने पर असर डाल सकता है, खास तौर से भारत जैसे कीमत संवेदनशील बाजारों में।
भारत में ईवी बाजार नया है और कुल कारों की बिक्री में इलेक्ट्रिक कारों की हिस्सेदारी महज 1 फीसदी है। बैटरी की ज्यादा कीमतें और चार्जिंग नेटवर्क अपर्याप्त होने के कारण ही इसमें लोगों की कम रुचि है और इसी  वजह से ज्यादातर कार निर्माताओं की तरफ से इलेक्ट्रिक मॉडल उतारा जाना अभी बाकी है।

First Published - March 29, 2022 | 11:43 PM IST

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