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पुरानी कारों का धंधा फिर भी नहीं पड़ेगा मंदा!

Last Updated- December 07, 2022 | 11:41 AM IST

पुरानी कार बाजार का कारोबार नैनो जैसी छोटी गाड़ियों के आने के बाद भी बड़े शहरों में मंदा नहीं पड़ेगा।


इसकी वजह यह है कि इस कारोबार से जुड़े संगठित और असंगठित कारोबारी नैनो को ध्यान में रखते हुए पुरानी कारों की कीमतों को कम करने का इरादा कर चुके हैं।

महिंद्रा फर्स्ट च्वॉइस के सीईओ विनय सांघी का कहना है, ‘पुरानी कारों के बाजार में ए और बी सेगमेंट की गाड़ियों (मारुति 800, ऑल्टो, वैगन आर और सैन्ट्रो) की कीमतों में 7 से 8 प्रतिशत की कमी आएगी। देश में पुरानी कारों का कारोबार हर साल 10 से 12 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। अभी फिलहाल पुरानी कारों का बाजार 15 लाख का है, जबकि नई कार का बाजार 16 लाख है।’

सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरर्स (सियाम) के महा निदेशक दिलीप चिनॉय का कहना है कि पुरानी का कार का बाजार 20 लाख के  करीब पहुंच सकता है। पर इसके लिए बाजार को संगठित होना होगा।

कैसा है संगठित क्षेत्र

फिलहाल संगठित क्षेत्र की हिस्सेदारी पुरानी कारों के बाजार में 10 प्रतिशत है। इनमें मारुति ट्रू वैल्यू, महिन्द्रा फर्स्ट च्वॉइस, हुंडई एडवांटेज, फोर्ड एश्योर्ड, होंडा ऑटो टेरेस और टोयोटा यू ट्रस्ट जैसी कंपनियां शामिल हैं। महिन्द्रा फर्स्ट च्वॉइस के 70 आउटलेट देश के 37 शहरों में हैं। कंपनी अगले पांच सालों में लगभग 300 आउटलेट खोलने की योजना बना रही है।

हरप्रीत फोर्ड के एचओडी अमित बाधवा का कहना है कि नैनो के आने से पुरानी कारों के बाजार पर असर थोड़ा जरूर पड़ेगा। ऐसे में पुरानी कारों के दाम घट सकते हैं और यह कदम ग्राहकों को लुभाने के लिए बेहतर साबित हो सकता है। बाधवा का कहना है कि पुरानी कारों के बाजार में लोन की सुविधा भी है।  पुरानी कारों के लिए ऊंची ब्याज दर पर लोन देना पड़ता है।

असंगठित क्षेत्र का हाल :

यहां छोटी गाड़ी के लिए 3000 रुपये, उससे बड़ी कार के लिए मसलन- सैंट्रो, वैगन आर, इंडिका के लिए 5000 रुपये का कमीशन है। ज्यादा बड़ी कार के लिए 3 प्रतिशत का कमीशन है। असंगठित क्षेत्र के कुछ कार डीलरों  का कहना है कि महीने में उनकी 25 से 30 गाड़ियां बिक जाती हैं। इस क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि संगठित क्षेत्र और असंगठित क्षेत्र के कार में 30 से 40 हजार का फर्क होता है।

हालांकि इस क्षेत्र के लोगों का कहना है कि अब पहले जैसी बात नहीं रही है और बिक्री कम हो गई है। दिल्ली में लगभग 5000 कार डीलर हैं। लक्ष्मी नगर के सोनी मोटर्स का कहना है कि पहले ज्यादा बिक्री होती थी, लेकिन अब कम होती है। पुरानी कारों में छोटी गाड़ियों को ही ज्यादा पसंद किया जाता है।

इंडस्ट्री से जुड़े कुछ लोगों का कहना है कि पुरानी कार बाजार में अगर विदेशी कंपनियां आएंगी यानी पुरानी इंपोर्टेड कारों का बाजार बनेगा तो फिर उसका असर नई कारों के बाजार पर भी पड़ेगा, क्योंकि शेव्रले और पजेरो जैसी गाड़ियां भी जिनके दाम 36 से 40 लाख रुपये हैं, वे भी 6 से 10 लाख रुपये में मिल जाएंगी।

First Published - July 16, 2008 | 12:30 AM IST

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