मारुति सुजूकी के चेयरमैन आर सी भार्गव ने साफ किया है कि जापानी कार विनिर्माता सुजूकी की 100 फीसदी हिस्सेदारी वाली सहायक कंपनी सुजूकी गुजरात कॉरपोरेशन ने बेशक इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) के लिए निवेश की घोषणा की है मगर इससे मारुति सुजूकी के ईवी उत्पादन की राह में कोई अड़चन नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि प्रॉक्सी सलाहकारों ने चिंता जताई है कि शायद यह शेयरधारकों के लिए फायदेमंद नहीं होगा और मारुति सुजकी शायद सुजूकी गुजरात के उत्पादों की वितरक बनेगी मगर ये चिंता बेबुनियाद हैं।
भार्गव ने कहा, ‘पेट्रोल-डीजल वाहनों की व्यवस्था की तरह मारुति सुजूकी के इलेक्ट्रिक वाहन बनाने पर कोई रोक नहीं है। इस समय ईवी की मांग कम है और इतनी नहीं है कि दोनों कंपनियों में अलग-अलग संयंत्र लगाए जाएं। प्रॉक्सी सलाहकारों ने 2014 में भी कहा था कि सजुकी की 100 फीसदी हिस्सेदारी वाली सहायक कंपनी मारुति सुजूकी के शेयरधारकों के लिए नुकसानदेह है, लेकिन चिंता बेबुनियाद निकली। आप इन वर्षों में सुजूकी की ही सहायक मारुति सुजूकी के प्रदर्शन और लाभ में वृद्धि साफ तौर पर देख सकते हैं।’
प्रॉक्सी एडवाइजर इंस्टीट््यूशनल इन्वेस्टर एडवाइजरी सर्विसेज लिमिटेड ने सुजूकी मोटर गुजरात लिमिटेड द्वारा कुल 104.45 अरब रुपये के निवेश के लिए कुछ दिनों पहले किए गए एमओयू पर आज अपनी रिपोर्ट में चिंता जताई। समझौते में बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहन और बैटरी बनाने के लिए उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी शामिल है। इसने कहा है कि इस फैसले से एक ही बाजार में 100 फीसदी हिस्सेदारी वाली सहायक कंपनी और एक सूचीबद्ध कंपनी रखने से अंतर्निहित हितों का टकराव सामने आ गया है।
इसने कहा, ‘इन ढांचों से इस बहुराष्ट्रीय कंपनी के लिए सूचीबद्ध सहायक कंपनी को खोखला बनाना और इसकी कीमत घटाना आसान हो जाता है।’ इसने तर्क दिया है कि मारुति सुजूकी का भविष्य दांव पर हो सकता है क्योंकि इसे इलेक्ट्रिक वाहन उद्यम में अपनी भूमिका को परिभाषित करना चाहिए। गुजरात में कंपनी के तीन संयंत्रों की क्षमता हर साल 7.5 लाख पेट्रोल-डीजल वाहन बनाने की है। मारुति सुजूकी की सालाना क्षमता 15 लाख है।
प्र्रॉक्सी एडवाइजरी का कहना है कि यह 2014 जैसा ही है। उस समय मारुति ने अचानक घोषणा की थी कि सुजूकी मोटर कॉरपोरेशन गुजरात में 100 फीसदी हिस्सेदारी वाली सहायक कंपनी स्थापित करेगी। इसका मारुति के निवेशकों ने तगड़ा विरोध किया था क्योंकि मारुति समझौते से सुजूकी के उत्पादों की वितरक बनकर रह जाती। निवेशकों और अन्य हितधारकों के साथ चर्चाओं के बाद पहले के सौदे को बदला गया और मारुति ने निवेशकों की चिंताएं दूर कीं।
भार्गव ने कहा कि गुजरात में बनाए जाने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों की पाइपलाइन के बारे में उनके पास कोई सूचना नहीं है। लेकिन उन्होंने कहा कि देश में बड़ी इलेक्ट्रिक कारों का बाजार है और ग्राहक उनसे खरीदारी करेंगे। मगर भार्गव ने कहा कि आगे जाकर ईवी बाजार में बड़ा हिस्सा छोटी कारों का ही होगा।