मारुति सुजूकी के चेयरमैन आर सी भार्गव ने कहा है कि आने वाले वर्षों में भारत में स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल्स (एसयूवी) सहित अन्य बड़े वाहनों को लेकर दीवानगी कम हो जाएगी। भार्गव ने कहा कि इसका कारण यह है कि अब लोग जलवायु परिवर्तन से जुड़े खतरे को अधिक गंभीरता से लेने लगे हैं इसलिए वे भी इन चुनौती से निपटने में अपना अधिक से अधिक योगदान देना चाहेंगे।
भार्गव ने बीएस मंथन कार्यक्रम में कहा, ‘मुझे लगता है कि 2047 तक पूरे देश में स्वच्छ ईंधन से चलने वाले वाहनों की संख्या अधिक होनी चाहिए। मैं यह नहीं कह सकता कि ये कारें बिजली से चलेंगी या कोई नई तकनीक की मदद से सड़कों पर दौड़ेंगी मगर इनकी तादाद बढ़ती जाएगी।’
उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 तक भारत इलेक्ट्रिक कारों का निर्यात करने वाले बड़े देशों की सूची में शुमार हो जाएगा। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि आने वाले वर्षों में बड़े वाहनों, बड़ी एसयूवी और ऐसे अन्य वाहनों की चाहत लोगों में कम होती जाएगी। मेरा मानना है कि दुनिया धीरे-धीरे पर्यावरण को पहुंच रहे नुकसान को लेकर सचेत हो जाएगी। ऐसे वाहन काफी मात्रा में कार्बन उत्सर्जन करते हैं।’
सायम के आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-फरवरी की अवधि में भारत में यूटिलिटी व्हीकल (यूवी) की बिक्री सालाना 25.87 प्रतिशत बढ़कर 22.1 लाख हो गई। इनके मुकाबले 2023-24 के पहले 11 महीनों में छोटी कारों की बिक्री सालाना आधार पर 11.58 प्रतिशत कम हो गई।
पिछले साल भारत ने 2070 तक कार्बन उत्सर्जन शून्य करने का लक्ष्य रखा है। भार्गव ने कहा, ‘कार्बन उत्सर्जन कम करने में हम सरकार को अपना पूरा सहयोग देंगे। हमने भारत के हालात, यहां के ग्राहकों एवं बुनियादी ढांचे और चुनौतियों एवं सकारात्मक पहलुओं को अच्छी तरह समझा है। हमारा मानना है कि हमें न केवल इलेक्ट्रिक वाहन चाहिए बल्कि उन सभी तकनीकों की जरूरत हैं जो कार्बन उत्सर्जन कम करने में सहायक हो सकते हैं।’
भारतीय कार बाजार में एमएसआईएल इस समय सबसे बड़ी कंपनी है। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-फरवरी अवधि में देसी बाजार में कारों की कुल बिक्री में कंपनी की हिस्सेदारी बढ़कर 26.39 प्रतिशत हो गई, जो पिछले साल 18.72 प्रतिशत रही थी।
भार्गव ने कहा, मेरा मानना है कि दुनियाभर में कार्बन उत्सर्जन कम करने की मुहिम के बीच कारों का आकार छोटा होता जाएगा। मुझे लगता है कि भारत इस स्थिति का फायदा उठाने की मजबूत स्थिति में है। मारुति की कामयाबी में सहयोग का अहम योगदान रहा है। उन्होंने कहा, ‘शुरुआत से ही हमारा मानना रहा है कि सबसे अच्छे नतीजे न सिर्फ उद्योग में बल्कि जीवन के अन्य क्षेत्र में मिलने चाहिए, अगर आपके कारोबार के साथ जुड़े हर किसी के साथ आप साझेदारी की सही भावना के साथ काम करते हैं।’
भार्गव ने कहा, ‘हमने शुरुआत से ही हमने फैसला लिया कि हम हर किसी के साथ साझेदार के तौर पर काम करेंगे। ऐसे में हमने कंपनी के भीतर कदम उठाए, नीतियां बनाई और कदम बढ़ाए ताकि कंपनी के कामगार समेत हर कर्मचारियों को लगे कि वे हमारे साझेदार हैं। हमारे बीच कोई विभेद नहीं है, इसलिए हमने अपनी आपूर्ति श्रृंखला के साथ साझेदार के तौर पर काम किया और पूरी आपूर्ति श्रृंखला शून्य से विकसित की गई।’ ऐतिहासिक चुनौतियों और नीतिगत ढांचे पर भार्गव ने विनियमित माहौल के भीतर परिचालन के सूक्ष्म आयाम को स्वीकार किया।