भारत में बिकने वाली 40 प्रतिशत से अधिक सिडैन कारें अब सीएनजी से चलती हैं क्योंकि उपभोक्ता तेजी से स्वच्छ ईंधन पसंद कर रहे हैं। साथ ही, वे अपनी कारों का इस्तेमाल कारोबारी उद्देश्यों के लिए भी कर रहे हैं। वैश्विक डेटा और एनालिटिक्स कंपनी जैटो डायनैमिक्स के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले कुछ वर्षों में सीएनजी अपनाने में लगातार तेजी आई है। यह साल 2021 के मामूली 10.8 प्रतिशत से बढ़कर साल 2024 में अब 41.5 प्रतिशत हो गई है। इसके विपरीत पेट्रोल ने उपभोक्ताओं की पसंद गंवा दी है। इसकी हिस्सेदारी साल 2021 की 82 प्रतिशत की तुलना में तेजी से घटकर साल 2024 में अब महज 55.5 प्रतिशत रह गई है। डीजल ने भी अपनी हिस्सेदारी गंवाई है और यह साल 2021 की 6.5 प्रतिशत से घटकर 2024 में अब तक 1.1 प्रतिशत रह गई है।
जैटो डायनैमिक्स के अध्यक्ष और निदेशक रवि भाटिया ने कहा कि सिडैन में टैक्सियों की हिस्सेदारी काफी ज्यादा है। भाटिया ने बताया, ‘डिजायर की करीब 33 प्रतिशत बिक्री टैक्सी श्रेणी में होती है। दोहरा इस्तेमाल करने वाले लोग (छोटे कारोबारी सीएनजी का इस्तेमाल करते हैं) भी ईंधन के इसी प्रकार को चुनते हैं। टैक्सी के इस्तेमाल ने भी इन ब्रांडों की छवि को कुछ प्रभावित किया है।’
मारुति ने अब चौथी पीढ़ी की डिजायर को निजी इस्तेमाल की श्रेणी में रखा है, जबकि उसने डिजायर टूर को टैक्सी के रूप में बरकरार रखा है। चौथी पीढ़ी की डिजायर भी ईंधन की इस किस्म के मामले में उपभोक्ताओं की दमदार पसंद को पूरा करने के लिए सीएनजी इंजन के साथ आती है।
टैक्सी श्रेणी में ह्यंडै ऑरा, टाटा टिगोर और मारुति डिजायर जैसे लोकप्रिय मॉडल ने कॉम्पैक्ट सिडैन की वृद्धि में योगदान दिया है। आंकड़ों से पता चलता है कि समूची सिडैन श्रेणी में कॉम्पैक्ट सिडैन की हिस्सेदारी साल 2021 की 68 प्रतिशत से बढ़कर साल 2024 में अब तक 74.6 प्रतिशत हो गई। इसके विपरीत मिड-सिडैन (मुख्य रूप से होंडा सिटी, मारुति सियाज और फोक्सवैगन वर्चुस जैसी निजी कारों के रूप में इस्तेमाल) की हिस्सेदारी साल 2021 की 26.2 प्रतिशत से घटकर अब 20.2 प्रतिशत रह गई।
कुल मिलाकर सिडैन श्रेणी ने देश के यात्री वाहन बाजार में हिस्सेदारी गंवा दी है, क्योंकि उपभोक्ता तेजी से स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहनों (एसयूवी) का विकल्प चुन रहे हैं। जैटो डायनैमिक्स के आंकड़ों से पता चलता है कि सिडैन श्रेणी की हिस्सेदारी 2021 की 10.05 प्रतिशत से गिरकर साल 2024 में अब तक 8.3 प्रतिशत रह गई है।