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चीनी आयात में सुस्ती से दूर होगा इलेक्ट्रिक वाहन लक्ष्य

Last Updated- December 15, 2022 | 7:52 AM IST

चीन विरोधी भावना बढऩे से इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माताओं की रफ्तार सुस्त पड़ सकती है क्योंकि चीन से होने वाले आयात को इससे झटका लग सकता है। संयोग से चीन इलेक्ट्रिक वाहनों के कलपुर्जों का उत्पादन करने वाला विश्व का सबसे बड़ा देश है। कार बाजार की अग्रणी कंपनी मारुति सुजूकी इंडिया (एमएसआईएल) का कहना है कि हाइब्रिड जैसी अन्य प्रौद्योगिकी को दमदार सरकारी समर्थन के जरिये इसके प्रभाव से निपटा जा सकता है। हाइब्रिड तकनीक के लिए उद्योग की ओर से तत्परता दिखाई जा रही है लेकिन सरकार की इस पर कोई उत्साहजनक प्रतिक्रिया नहीं दिख रही है।
मारुति सुजूकी के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक सीवी रमण ने कहा, ‘सरकार मुख्य तौर पर बैटरी इलेक्ट्रिक व्हीकल (बीईवी) को मदद कर रही है जबकि अन्य इलेक्ट्रिक वाहन प्रौद्योगिकी (स्ट्रॉग हाइब्रिड एवं प्लग-इन हाइब्रिड) को इस तरह की मदद नहीं मिल रही है। इसके अलावा उद्योग ने आंतरिक दहन इंजन (आईसीई) आधारित माहौल तैयार करने के लिए करीब तीन दशक तक काम किया है। यही कारण है कि हम लागत के काफी निचले स्तर पर पहुंचने में सफल रहे हैं। बीईवी के लिए भी इसी तरह की मदद की दरकार है।’
आईएचएस मार्किट के प्रधान विश्लेषक (पावरट्रेन फोरकास्ट) सूरज घोष ने कहा, ‘चीन ने वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन आपूर्ति शृंखला के 60 फीसदी से अधिक हिस्से पर कब्जा कर लिया है। वह दुलर्भ खनिज पदार्थों से लेकर बैटरी सेल के विनिर्माण एवं आपूर्ति और डीसी मोटर, इनवर्टर, कन्वर्टर एवं नियंत्रण प्रणाली जैसे प्रमुख उपकरणों के बाजार में प्रमुखता मौजूद है।’
इलेक्ट्रिक वाहनों की उल्लेखनीय पहुंच वाले बाजारों में बड़ी प्रोत्साहन योजनाएं लागू की गई हैं अथवा कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन को लेकर सख्त मानदंड निर्धारित किए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने वाली केंद्र सरकार की योजना- फेम 2- इस क्षेत्र में निवेशकों को आकर्षित करने के लिहाज से पर्याप्त नहीं है। जबकि जीएसटी को 5 फीसदी तक कम किया गया है।’
फ्रॉस्ट ऐंड सुलिवन के उपाध्यक्ष (मोबिलिटी प्रैक्टिस) कौशिक माधवन का कहना है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के आयातित कलपुर्जो पर निर्भरता तक तक बरकरार रहेगी जब तक इसकी पयाप्तता सुनिश्चित न हो जाए। उन्होंने कहा, ‘स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड तकनीक कई कारणों से इसकी भरपाई नहीं कर सकती है। पहला, दो ऊर्जा स्रोतों को एकीकृत करना काफी जटिल है। दूसरा, हाइब्रिड काफी महंगी तकनीक है।’
हालांकि इलेक्ट्रिक वाहन संबंधी बैटरी प्रौद्योगिकी विनिर्माण को यदि सरकार काफी प्रोत्साहित करेगी तो प्रौद्योगिकी संबंधी बेहतरी हासिल की जा सकती है।

First Published - June 27, 2020 | 1:00 AM IST

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