भारत में तेजी से बढ़ने वाले अवैध ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र को खत्म करने में मेटा और गूगल जैसी बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों को प्रमुख भूमिका निभानी चाहिए। गैर लाभकारी थिंक टैंक डिजिटल इंडिया फाउंडेशन की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। भारत में अवैध जुआ और सट्टेबाजी का परिवेश एक उन्नत डिजिटल नेटवर्क के जरिये संचालित किया जाता है, जो ऑनलाइन विज्ञापनों, सोशल मीडिया, मेसेजिंग प्लेटफॉर्म और क्रिप्टोकरेंसी जैसी भुगतान प्रौद्योगिकी का लाभ उठाता है।
यह अवैध जुआ और सट्टेबाजी का क्षेत्र सालाना 100 अरब डॉलर से अधिक का हो गया है और डिजिटल अपनाने की दर, उन्नत प्रौद्योगिकी और नियामकीय अनिश्चितता बढ़ने से यह हर साल 30 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। ‘इलीगल गैंबलिंग ऐंड बेटिंग मार्केट इन इंडिया: द स्केल ऐंड इनेबलर्स’ रिपोर्ट ने डिजिटल प्लेटफॉर्म की नीतियों का विश्लेषण किया और पाया कि भुगतान किए जाने वाले विज्ञापनों के लिए तो नियम सख्त हैं, लेकिन उनका पालन सही ढंग से नहीं हो रहा।
भारत में अवैध जुए का प्रसार
रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में अवैध जुए और सट्टेबाजी का प्रसार काफी चौंकाने वाला है। परीमैच, स्टेक, वनएक्स बेट और बैटरी बेट जैसे विश्लेषण किए गए चार प्लेटफॉर्मों पर पिछले साल अक्टूबर से लेकर दिसंबर के बीच 1.6 अरब लोग पहुंचे थे।
ट्रैफिक स्रोतों के विश्लेषण से पता चलता है कि इन प्लेटफॉर्म पर आने वाले लोगों में सिर्फ सोशल मीडिया के जरिये ही 4.28 करोड़ लोग पहुंचे। यह ट्रैफिक मुख्य तौर पर फेसबुक ऐड नेटवर्क, इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग, प्रचार वाले कंटेंट और इंगेजमेंट कैंपेन से सीधे भुगतान वाले विज्ञापनों से उत्पन्न हुआ है।
व्यापक कार्रवाई जरूरी
समस्या की गंभीरता को देखते हुए रिपोर्ट में एक व्यापक रणनीति की सिफारिश की गई है, जिसमें गूगल और मेटा जैसे प्रमुख इनेबलर्स को इस अवैध बाजार की जवाबदेही सौंपना और अनुपालन आवश्यकताओं को लागू करना शामिल है।
डिजिटल इंडिया फाउंडेशन के प्रमुख और सह-संस्थापक अरविंद गुप्ता ने कहा, ‘इस चिंताजनक मसले का प्रभावी तरीके से समाधान करने के लिए महज वेबसाइट को ब्लॉक करने से काम नहीं चलेगा।
इसके लिए एक व्यापक रणनीति बनानी होगी, जो अवैध सट्टेबाजी और जुए को बढ़ावा देने वाले इस पूरे परिवेश को लक्षित करे। इसमें विज्ञापन, भुगतान ऑपरेटर और इन प्लेटफॉर्म को मदद करने वाले सॉफ्टवेयर प्रदाताओं के जरिये उपयोगकर्ता अधिग्रहण पर नकेल कसना शामिल है।’
भारत सरकार ने कई वेबसाइट को ब्लॉक कर और आधिकारिक सलाहों के जरिये इन गतिविधियों पर अंकुश लगाने की कोशिश की है मगर सिर्फ अकेले इन उपायों का काफी सीमित प्रभाव पड़ा है क्योंकि अवैध ऑपरेटर लगातार प्रवर्तन से बचने के लिए नए-नए तरीके अपनाते रहे हैं।
रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र, वस्तु एवं सेवा कर खुफिया महानिदेशालय, उपभोक्ता मामलों का विभाग और इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय जैसे प्रमुख सरकारी विभागों को डिजिटल विज्ञापन मध्यस्थों, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, सर्च इंजन और ऐड नेटवर्क के साथ मिलकर अवैध जुआ संबंधी विज्ञापनों की निगरानी, चेतावनी और उन्हें हटाने के लिए काम करना चाहिए।
अंकुश के लिए वैश्विक नजरिया
रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कंटेंट की निगरानी करने और और उपयोगकर्ता आधारित कंटेंट सहित अवैध जुआ कंटेंट को चिह्नित करने के लिए तंत्र को लागू करने के लिए डिजिटल विज्ञापन और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ नियामक भी सक्रिय रूप से सहयोग करते हैं।
भारत में अवैध सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म के तौर-तरीकों का विश्लेषण करने वाली सरकारी दस्तावेजों की समीक्षा से पता चलता है कि आक्रामक विज्ञापन अभियानों के जरिये उपयोगकर्ताओं को आकर्षित किया जाता है और फिर उन्हें भारी भरकम रकम जीतने का लालच देकर बरकरार रखा जाता है।
एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया की साल 2024-25 की छमाही रिपोर्ट के मुताबिक, अवैध सट्टेबाजी और जुए के विज्ञापन नए प्रारूपों में डिजिटल मीडिया में बढ़ गए हैं, जिससे प्रवर्तन और कठिन हो गया है।