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एक्सपर्ट्स की राय, विपरीत परिस्थितियों के बीच दबाव में रह सकते है बाजार

पांच कारोबारी सत्रों में बेंचमार्क सेंसेक्स और निफ्टी-50 लाल निशान में बंद हो चुके हैं। इस अवधि में निफ्टी-50 में 3.5 फीसदी की गिरावट आई जबकि सेंसेक्स 3.6 फीसदी नीचे चला गया।

Last Updated- October 25, 2023 | 11:14 PM IST
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Stock Market: बेंचमार्क सूचकांक अपने-अपने सर्वोच्च स्तर से 4 फीसदी नीचे आ चुके हैं। विभिन्न अवरोधों मसलन अमेरिकी बॉन्ड का बढ़ता प्रतिफल व कच्चे तेल में तेजी, भूराजनीतिक अनिश्चितताएं और आय के मोर्चे पर निराशा के बीच विशेषज्ञ और गिरावट की संभावना से इनकार नहीं कर रहे हैं। साथ ही अगर राज्यों में होने वाले चुनाव के नतीजे अनुकूल नहीं होते हैं तो भारत का आम चुनाव एक और अनिश्चितता के तौर पर उभर सकता है।

10 वर्षीय अमेरिकी बेंचमार्क बॉन्ड का प्रतिफल साल 2007 के बाद पहली बार 5 फीसदी के पार चला गया, जिसका दुनिया भर के इक्विटी बाजारों के सेंटिमेंट पर असर पड़ रहा है। तब से प्रतिफल हालांकि 5 फीसदी से नीचे नहीं आया है, लेकिन यह कई साल के उच्चस्तर पर बना हुआ है, जो पूंजी के प्रवाह पर दबाव बनाए रखेगा।

पांच कारोबारी सत्रों से बाजार लाल निशान में

पांच कारोबारी सत्रों में बेंचमार्क सेंसेक्स और निफ्टी-50 लाल निशान में बंद हो चुके हैं। इस अवधि में निफ्टी-50 में 3.5 फीसदी की गिरावट आई जबकि सेंसेक्स 3.6 फीसदी नीचे चला गया।

जेएम फाइनैंशियल ने एक रिपोर्ट में कहा, बढ़ते बॉन्ड प्रतिफल के अतिरिक्त बाजार इजरायल में युद्ध की बढ़ती जा रही विभीषिका को लेकर चिंतित है, ऐसे में जोखिम से दूर हटने वाला सेंटिमेंट अब और स्पष्ट हो चुका है। देसी आर्थिक हालात सुदृढ़ बने हुए हैं, हालांकि कम बारिश को लेकर जोखिम और जलाशय के स्तर अभी भी खेती से होने वाली आय और ग्रामीण इलाके में रिकवरी का मामला अभी भी अटका हुआ है।

अमेरिकी बॉन्ड का उच्च प्रतिफल दो वजहों से इक्विटी बाजारों के सामने जोखिम खड़ी कर रहा है – जोखिम समायोजित बेहतर रिटर्न के कारण विदेशी पूंजी का अमेरिकी बॉन्ड की ओर जाना और उच्च उधारी लागत के कारण आर्थिक मंदी।

बाजार में आ सकती है और गिरावट

विश्लेषकों ने कहा कि नकारात्मक सेंटिमेंट बाजार को नीचे की ओर खींचना जारी रख सकता है जबकि प्राइस टु अर्निंग मूल्यांकन अपनी लंबी अवधि के औसत की ओर जा रहा है।

मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, मूल्यांकन के लिहाज से निफ्टी एक साल आगे की आय करीब 18-19 गुने पर सहज स्थिति में है। हालांकि वैश्विक कारकों के चलते बना नकारात्मक सेंटिमेंट बाजार पर असर बनाए रख सकता है। मिडकैप व स्मॉलकैप में ज्यादा गिरावट आ सकती है क्योंकि उनका मूल्यांकन ज्यादा है।

कुछ फंड मैनेजरों के मुताबिक, बाजार उच्चस्तर पर ट्रेड जारी रखे हुए है लेकिन मौजूदा स्तर से ठीक-ठाक गिरावट लंबी अवधि के निवेशकों के लिए प्रवेश का अच्छा मौका मुहैया करा सकता है।

कुछ का कहना है कि निवेशकों को अपनी नकदी का इस्तेमाल करना चाहिए, चाहे बेंचमार्क सूचकांकों में 4 से 5 फीसदी की और गिरावट आती हो। यह मिड व स्मॉलकैप में 15 से 20 फीसदी की गिरावट ला सकता है।

पीपीएफएएस म्युचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी राजीव ठक्कर ने कहा, मूल्यांकन को देखते हुए मौजूदा इक्विटी बाजार अभी ऊंचे पर ट्रेड कर रहा है और निवेशकों को अल्पावधि का नकदी निवेश इक्विटी से दूर करना चाहिए। 5 साल से ज्यादा का निवेश नजरिया रखने वाले निवेशक इसमें बने रह सकते हैं।

कुछ विशेषज्ञ इस वास्तविकता को सामने रख रहे हैं कि इक्विटी बाजार पर भू-राजनीतिक मसले का असर सामान्यत: सीमित अवधि के लिए होता है।

आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी के प्रमुख (पीएमएस व एआईएफ इन्वेस्टमेंट्स) आनंद शाह ने कहा, अगर संघर्ष और बढ़ता है और ऊर्जा की कीमतें उच्चस्तर पर बनी रहती है तो यह महंगाई को ऊंचा रख सकता है, जिससे ब्याज दरें ज्यादा रह सकती है और इससे वैश्विक स्तर पर इक्विटी बाजार के मूल्यांकन संभवत: हतोत्साहित हो सकता है।

First Published - October 25, 2023 | 11:14 PM IST

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