भारत की भले ही वैश्विक केंद्र बनने की आकांक्षा हो, खास तौर पर उच्च प्रौद्योगिकी विनिर्माण के लिए लेकिन इस महत्वाकांक्षा को अब भी काफी लंबा सफर तय करना है।
फीडबैक एडवाइजरी सर्विसेज के अध्ययन के अनुसार फॉर्च्यून 500 सूची के आधार पर वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी 20 विनिर्माण/असेंबली कंपनियों के राजस्व में देश का योगदान केवल 1.39 प्रतिशत है। साल 2022 के राजस्व के आधार पर भारत में वैश्विक स्तर की शीर्ष 20 विनिर्माण कंपनियों का सामूहिक राजस्व 46.6 अरब डॉलर था, जबकि उनका कुल राजस्व 3,348 अरब डॉलर था।
फीडबैक एडवाइजरी के अनुसार भारत को जो दूरी तय करनी है, उसे इस तथ्य से देखा जा सकता है कि चीन ने शीर्ष 20 विनिर्माण कंपनियों के 279.4 अरब डॉलर के साथ वैश्विक राजस्व में 8.3 फीसदी का योगदान दिया है, जो भारत की तुलना में लगभग छह गुना है।
शोध के मुख्य निष्कर्षों के बारे में विस्तार से बताते हुए फीडबैक एडवाइजरी के मुख्य कार्याधिकारी एएम देवेन्द्रनाथ ने कहा, ‘हालांकि भारत विनिर्माण का वैश्विक केंद्र बनने पर जोर दे रहा है, लेकिन उसे लंबा सफर तय करना है। फॉक्सकॉन या ह्युंडै जैसी कुछ कंपनियों को छोड़कर भारत में शीर्ष 20 वैश्विक विनिर्माण कंपनियों का निवेश और राजस्व योगदान बहुत कम है।’
देवेन्द्रनाथ का कहना है कि इन रुझानों के आधार पर सीख मिल रही है क्योंकि संदेश स्पष्ट है कि भारत में विनिर्माण करने वाली कंपनियां केवल घरेलू बाजार पर ही ध्यान केंद्रित किए नहीं रह सकतीं, बल्कि निर्यात पर बड़े स्तर पर जोर देने और भारत को इसका केंद्र बनाने की जरूरत है।
सरकार पहले से ही वैश्विक मूल्य श्रृंखला की हिस्सा बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) को भारत में आने के लिए प्रोत्साहित करने की रणनीति पर काम कर रही है।
अच्छी खबर यह है कि कुछ कंपनियां वैश्विक रुझान से अलग चल रही हैं, जिनके लिए भारत अगर चीन से ज्यादा नहीं तो उतना ही बड़ा राजस्व उत्पादक बन रहा है। उनमें से एक है होन हेई टेक्नोलॉजी ग्रुप (फॉक्सकॉन), जो दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण सेवा कंपनी है।
फीडबैक के शोध में बताया गया है कि साल 2022 में चीन से फॉक्सकॉन के राजस्व की हिस्सेदारी 5.8 प्रतिशत थी, जबकि भारत की राजस्व हिस्सेदारी 4.49 प्रतिशत रही, खास तौर इसलिए क्योंकि ऐपल इंक को साल 2023-24 तक अपनी वैश्विक क्षमता का 10 प्रतिशत से अधिक यहां स्थानांतरित होने की उम्मीद है।