रुपया और भारत के सरकारी बॉन्ड शुक्रवार को कमजोर हुए। यह 10 वर्षीय यूएस राजकोषीय बॉन्ड के करीब 10 आधार अंक बढ़कर 4.29 फीसदी और डॉलर सूचकांक के 0.57 फीसदी बढ़कर 103.50 पर पहुंचने के कारण हुआ।
अमेरिका बॉन्ड का प्रतिफल (yield) बढ़ा। इसका कारण अमेरिका में उत्पादक मूल्य सूचकांक (Producer Price Index-PPI) का उम्मीद से ज्यादा आना था। प्रतिफल बढ़ने के कारण निवेशकों को गंभीरता से विचार करना होगा और उन्हें दरों में कटौती के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ सकता है। सीएमई फेडवॉच टूल के मुताबिक जून में दरों में गिरावट की उम्मीद एक सप्ताह पहले के 74 फीसदी से घटकर 61 फीसदी रह गई है।
विदेशी मु्द्रा प्रवाह की वजह से रुपये में नुकसान की भरपाई हुई लेकिन इसके पहले कोराबार की शुरुआत में रुपया गिरकर 82.97 प्रति डॉलर पर पहुंच गया था। स्थानीय मुद्रा शुक्रवार को 82.88 प्रति डॉलर पर बंद हुई जबकि यह गुरुवार को 82.82 प्रति डॉलर पर बंद हुई थी। शुक्रवार को बंद हुए सप्ताह में रुपये में 17 पैसे की गिरावट आई थी।
एक सरकारी बैंक के डीलर ने कहा, ‘यह 82.97 रुपये प्रति डॉलर पर तकनीकी प्रतिरोध है। लिहाजा रुपये को अगले सप्ताह होने वाली फेडरल रिजर्व की बैठक से पहले इस हालिया दायरे में कारोबार करना चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘गुड फ्राइडे 29 मार्च को हमारे लिए गैर कारोबारी दिवस है लेकिन एनडीएफ (नॉन डिलीवरी फॉरवर्ड) में कारोबार होता है। इस दिन अमेरिका के मार्केट में कारोबार होता है। लिहाजा इस दिन रुपया 83 प्रति डॉलर की सीमा को भी पार कर सकता है।’
एकमुश्त विदेशी मुद्रा ओवर द काउंटर (ओटीसी) और एनडीएफ के कारोबार में अंतर होने पर कारोबार निवेशक विभिन्न मार्केट के प्रतिभूतियों के मूल्य में अंतर का फायदा उठा सकते हैं। ऐसे कारोबार में मूल्य के रुझानों को प्रभावित करने की क्षमता होती है। 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड का प्रतिफल शुक्रवार को 2 आधार अंक बढ़कर 7.06 फीसदी हो गया जबकि यह गुरुवार को 7.04 फीसदी था।
डीलर ने कहा, ‘अमेरिका की तुलना में हमारा मार्केट बेहतर है। इसका कारण यह है कि हमारे मार्केट में धन आ रहा है। करीब 7.07-7.08 फीसदी (बैंचमार्क बॉन्ड के प्रतिफल) पर प्रतिरोध है। घरेलू मार्केट पर्याप्त रूप से मजबूत होने के कारण अधिक बिक्री नहीं होनी चाहिए।